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जॉब छोड़ने से पहले जोखिम भी देखें

नरेंद्र कुमार हम अपने इर्दगिर्द और सोशल मीडिया में अकसर उन उदाहरणों से दो-चार होते हैं, जिनमें किसी के जुनून की सक्सेस स्टोरी बयां की गई होती है। सब कभी न कभी ऐसी कहानियां सुनते ही हैं कि फलां व्यक्ति...
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नरेंद्र कुमार

हम अपने इर्दगिर्द और सोशल मीडिया में अकसर उन उदाहरणों से दो-चार होते हैं, जिनमें किसी के जुनून की सक्सेस स्टोरी बयां की गई होती है। सब कभी न कभी ऐसी कहानियां सुनते ही हैं कि फलां व्यक्ति सालों से एक छोटी सी नौकरी के साथ घिसट रहा था, जबकि उसके दिमाग में बिजनेस के कई शानदार आइडिया थे। मगर वह उन्हें जमीन पर उतारने के लिए जॉब छोड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रहा था। फिर एक दिन उसने साहस करके जॉब छोड़ दिया और इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आमतौर पर जुनून से संबंधित हम तक पहुंची सभी कहानियां केवल कामयाबी से ओतप्रोत होती हैं। इन्हें पढ़कर, सुनकर या देखकर लगता है सारी समस्या जॉब न छोड़ने की होती है वर्ना कामयाबी तो आपके द्वार पर दस्तक दे रही होती है।

लेकिन ये सब किस्से, कहानियों और सोशल मीडिया तक ही सीमित हैं। इस तरह की कहानियों में ये नहीं बताया जाता कि इस तरह के हर दुस्साहस में करीब 15 लोग बर्बाद होते हैं व उनके बाद एक कामयाब। कामयाबी का औसत सोलह दुस्साहस कथाओं में से एक के खाते में ही जाता है, यह बात हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के शोध बताते हैं। इसलिए हार्वर्ड बिजनेस स्कूल आगाह करता है कि महज जुनून के लिए जॉब छोड़ देना सही निर्णय नहीं है। एचबीएस (हार्वर्ड बिजनेस स्कूल) यह नहीं कहता कि लंबी छलांग लगाने के लिए कोई रिस्क लो ही न। मगर आगाह करता है कि जॉब छोड़ने के पहले गंभीरता से कम से कम पांच-छह बार सोचें।

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भावनात्मक नहीं, तार्किक निर्णय लें

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल यानी एचबीएस के मुताबिक जुनून या गुस्से में नौकरी छोड़ना हमेशा बहुत बड़ी भूल होती है। नौकरी छोड़ने के पहले शांत दिमाग से इस बारे में कई दिन सोचें और अपने आपसे कुछ सवालों के जवाब पूछें। मसलन- क्या यह मेरी क्षणिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया है? क्या जॉब को लेकर मेरी नाराजगी या थकावट अस्थायी है? क्या मैं अपनी समस्या को बातचीत से सुलझा सकता हूं? इन सब सवालों के जवाब ईमानदारी से देते हुए कुछ दिन रुकें, छुट्टी ले लें या अपनी विश्वसनीय शुभचिंतक दोस्त से बात करें। मेंटर की राय लें और इसके बाद अगर सब कुछ जॉब छोड़ने के पक्ष में जा रहा हो तो फिर एक झटके में जॉब छोड़ दें।

‘पुल’ बनाम ‘पुश’ फैक्टर

हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के एक प्रोफेसर के मुताबिक, ‘किसी नई चीज की ओर आकर्षण और मौजूदा स्थिति से छुटकारा पाने की चाह के बीच फर्क को समझना चाहिए। क्या आप किसी नये अवसर के कारण इस आकर्षण की तरफ बढ़ रहे हैं या महज इसकी वजह त्वरित रूप से समस्या से भागना है? अगर वाकई आपके पास नये आकर्षण का कोई ठोस विकल्प है, तो जरूर मौजूदा जॉब को धक्का देने की तरफ आगे बढ़ें वर्ना अपने कदम खींच लें। सिर्फ भावनात्मक जुनून में जॉब छोड़ना हमेशा घाटे का सौदा साबित होता है। हमेशा ‘पुश’ के संदर्भ में ‘पुल’ फैक्टर सकारात्मक होता है।

पहले छह माह का वित्तीय इंतजाम

चाहे आपको जितना भी पक्का भरोसा हो कि आपको अपना मौजूदा जॉब छोड़ते ही बेहतर जॉब मिल जायेगी। कई बार छह महीने बेरोजगार भी रहना पड़ सकता है। तो किसी भी जॉब से छुटकारा पाने के पहले आपके पास छह महीने तक की बेरोजगारी को झेलने की आर्थिक व्यवस्था होनी चाहिए। अगर आपके पास पारिवारिक जिम्मेदारियां हों तो, तब तो इस आपातकालीन फंड के बिना एक कदम भी आगे न बढ़ाएं।

आखिरी फैसले से पहले अपनी कुशलता को परखें

ठीक है आपके पास दूसरों से बेहतर स्किल है, लेकिन क्या आपके पास ऐसा नेटवर्क भी है, जो आपको मौजूदा जॉब छोड़ते ही आपकी कुशलता के अनुरूप जॉब दिलवा सकता है? अगर इस मामले में आपका जवाब हां, है, तभी जॉब छोड़ने का आनन फानन में फैसला करें वर्ना नये संदर्भों में कुशलता की मांग को देखते हुए अपने स्किल को परखें और अगर जरा भी उस मांग के मुकाबले आपकी स्किल उन्नीस बैठती हो, तो थोड़े दिन और इंतजार करें ताकि सही मौका मिल सके।

वजह को कई बार परखें

आप नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं, क्या इसलिए कि आपको मौजूदा कार्यस्थल में अच्छा नहीं लग रहा? अपने आपसे यह सवाल करें और अगर आपका जवाब इसके पक्ष में हो, तो इसका यह मतलब नहीं है कि आप नौकरी से चिपके ही रहें, लेकिन छोड़ने की प्रक्रिया को थोड़ा लंबा कर दें और नये अवसर को तलाशने का प्रयास बढ़ा दें। जब नया अवसर व्यावहारिक रूप से हाथ में आ जाए, तब ही नौकरी छोड़ने की दिशा में आगे बढ़ें। जॉब छोड़ने के पहले अपने इस ‘क्यों’ को भी स्पष्ट करें कि क्या आप यहां से इसलिए जाना चाहते हैं, क्योंकि यहां आपका ग्रोथ रुकी है और अगर यह बात सही है तो अपने टीम हैड या मैनजमेंट से खुलकर इस संबंध में बात करें।

-इ.रि.सें.

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