देशसेवा के अवसरों से भरपूर एनडीआरएफ का चुनौतीपूर्ण कैरियर
जो युवा ऐसा सम्मानजनक व चुनौतीपूर्ण कैरियर चाहते हैं जिसमें देश सेवा-जन सेवा का मौका भी मिले तो एनडीआरएफ उनके लिए उपयुक्त पेशा है। बाढ़, भूकंप, अग्निकांड व लैंडस्लाइड जैसी आपदाओं में एनडीआरएफ कर्मी राहत व बचाव कार्य करके लोगों के जान-माल को बचाते हैं। सीधी भर्ती न होकर एनडीआरएफ बटालियन में पैरामिलिट्री के जवान तैनात होते हैं।
कुछ कैरियर ऐसे होते हैं जो केवल कमाई के साधन नहीं होते बल्कि देश सेवा के माध्यम भी होते हैं वहीं उनमें जनता का सम्मान भी मिलता है। ये यद्यपि चुनौती पूर्ण होते हैं लेकिन इनसे संतुष्टि मिलती है। ऐसा ही कैरियर है एनडीआरएफ और एसडीआरएफ का। देश में कहीं भी आपदा आती है तो एनडीआरएफ कर्मी देवदूत बनकर पहुंचते हैं। जान का जोखिम उठाकर लोगों की जिंदगी बचाते हैं। नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स यानी एनडीआरएफ का गठन भारत सरकार ने प्राकृतिक और मानव-जनित आपदाओं से निपटने के लिए किया है। भूकंप, बाढ़, भूस्खलन, चक्रवात, सुनामी, औद्योगिक दुर्घटनाओं आदि में एनडीआरएफ राहत और बचाव का काम करता है।
Advertisementक्या है एनडीआरएफ?
देश में आने वाली प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए भारत सरकार ने वर्ष 2006 एनडीआरएफ की स्थापना की जिसका हेड क्वार्टर अंत्योदय भवन, नई दिल्ली में है। यह बल मिनिस्ट्री ऑफ़ होम अफेयर्स के तहत है। एनडीआरएफ स्थानीय, स्टेट और नेशनल लेवल पर हरेक डिजास्टर का सामना करने के लिए दिन-रात तैयार रहता है। एनडीआरएफ में करीब 1000 कर्मचारी और 40 लाख वॉलंटियर्स कार्य कर रहे हैं। इन्हें विभिन्न ट्रेनिंग प्रोग्राम्स के माध्यम से ट्रेनिंग दी गई है। इसका आदर्श वाक्य ‘आपदा सेवा सदैव’ है। भारत में 12 सबसे अधिक संवेदनशील स्थानों पर एनडीआरएफ की बटालियनें हैं। ये 12 स्थान असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश (गाज़ियाबाद और वाराणसी), बिहार, आंध्रप्रदेश और अरुणाचल प्रदेश राज्यों में स्थित हैं। हरेक बटालियन में 18 टीमें और हरेक टीम में तकरीबन 47 पर्सनल्स होते हैं।
एनडीआरएफ कर्मियों का कार्य
देश के हरेक कोने में आजकल बाढ़, भूकंप या अग्निकांड जैसे हालात पैदा होने पर राहत कार्य में लगे लाल जैकेट पहने जवानों को देखा जा सकता है। ये जवान, सेना के जवानों और सामाजिक संस्थाओं के साथ बचाव अभियान में हिस्सा लेते हैं और मुसीबत में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने में मदद करते हैं। ये प्रोफेशनल एनडीआरएफ और स्टेट लेवल पर एसडीआरएफ के होते हैं। दरअसल एनडीआरएफ नेचुरल डिजास्टर्स की आशंका पैदा होते ही राहत और बचाव कार्यों के लिए अपनी टीम तैनात कर देता है। एनडीआरएफ पर्सनल्स और इनके वॉलंटियर्स महत्वपूर्ण काम करते हैं जिनमें लोगों को डूबने से बचाना, बिल्डिंग्स गिरने पर जान-माल की रक्षा करना,लैंड स्लाइड्स व बाढ़ के समय लोगों की जान और धन-संपत्ति को बचाना,साइक्लोन के समय लोगों को सुरक्षा प्रदान करना ,रेल दुर्घटना के समय लोगों को बचाना व जंगल में आग लगने पर बचाव कार्य करना शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय सेवा के भी अवसर
भारत सरकार वैश्विक सहयोग के माध्यम से आपदा तैयारियों को बेहतर बनाने के लिए भी बहुत प्रयास करती है। तजाकिस्तान, मंगोलिया, बांग्लादेश, इटली, जापान, एससीओ देशों, जर्मनी, सार्क देशों, रूस, स्विटजरलैंड और अन्य देशों के साथ भारत ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में विभिन्न समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। हमारे एनडीआरएफ को एक कुशल तथा पेशेवर बल मानकर दुनियाभर में इसकी सेवाएं ली जाती है। फरवरी, 2023 को तुर्की में भयंकर भूकंप आया, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ। भारत ने ‘ऑपरेशन दोस्त’ के तहत बचाव अभियान चलाने के लिए एनडीआरए कर्मियों को भेजा। अप्रैल, 2015 को नेपाल में विनाशकारी भूकंप आया। एनडीआरएफ द्वारा 16 यूएसएआर टीमों के 700 से अधिक बचावकर्मियों के साथ-साथ 18 प्रशिक्षित कुत्तों को भेजा गया था। 2011 में जापान में भूकंप आया, उसके बाद सुनामी और परमाणु ऊर्जा का संकट आया। भारत ने वहां एनडीआरएफ की एक टीम भेजी थी।
सीधी भर्ती नहीं
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स में भर्ती के लिए कोई डायरेक्ट एग्जाम या कॉम्पिटिशन नहीं होता है। जिन्हें एनडीआरएफ ज्वाइन करना होता है वह तो पहले बीएसएफ, सीआपीएफ , आईटीबीपी जैसी पैरा मिलिट्री फोर्स में एसएसबी के माध्यम से प्रवेश पाते हैं। परीक्षा पास करने के बाद फोर्स में 4-5 साल सेवाएं देनी होती हैं और फिर एनडीआरएफ के लिए अप्लाई किया जा सकता है। चयन के बाद ट्रेनिंग होती है व फिर अलग-अलग राज्य में तैनाती मिलती है।
सख्त प्रशिक्षण
नागपुर स्थित खोज एवं बचाव के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता संस्थान की स्थापना में कर्मचारियों को नौ सप्ताह के कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें एक बेसिक फर्स्ट रिस्पॉन्डेंट कोर्स होता है जिसमें मेडिकल फर्स्ट रिस्पॉन्डेंट कोर्स भी शामिल है। जिसके तहत बचाव के बाद पीड़ितों की सहायता के लिए कर्मियों को प्राथमिक चिकित्सा कौशल का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके साथ ही इसमें जलीय आपदा प्रतिक्रिया (एडीआर) भी दिया जाता है जिसमें कर्मियों को नावों और पानी के नीचे के उपकरणों को चलाने तथा तैरने और गोता लगाने की शिक्षा दी जाती है। इसमें शामिल ढही संरचना खोज और बचाव कर्मियों को खोज और बचाव विधियों के बारे में शिक्षित करता है। जबकि सीबीआरएन प्रशिक्षण के तहत कर्मचारियों को रासायनिक पदार्थ और गैस लीक की पहचान करने , पता लगाने तथा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्यों में संलग्न होने के लिए शिक्षित किया जाता है। यह आपदाओं को रोकने के तरीकों को सीखने के लिए न्यूजीलैंड, स्विट्जरलैंड, अमेरिका और तेहरान के साथ संयुक्त प्रशिक्षण अभ्यास का भी हिस्सा रहा है। जवानों को स्कूबा डाइविंग और जल से बचाव के लिए स्विमिंग आदि की ट्रेनिंग भी दी जाती है। बेसिक के साथ-साथ स्पेशल तकनीकें भी सिखाई जाती हैं, जिसमें डॉग स्क्वॉड, ड्रोन ऑपरेशन और मलबे से बचाने की स्किल्स भी सिखाई जाती हैं। जवानों को रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजी और न्यूक्लियर आपदाओं से निपटने की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
योग्यताएं
इसके लिए किसी मान्यताप्राप्त एजुकेशनल बोर्ड से किसी भी विषय में कम से कम 50 प्रतिशत मार्क्स के साथ बीए/ बीएससी की डिग्री के अलावा डिजास्टर मैनेजमेंट में एमएससी/ एमए/ एमबीए की डिग्री या डिजास्टर मैनेजमेंट में पीजी डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स अथवा डिजास्टर मैनेजमेट में पीएचडी की डिग्री हासिल की जानी चाहिए । उम्मीदवारों का शारीरिक दमखम भी बेहतर होना चाहिए। त्वरित निर्णय लेने की क्षमता अनिवार्य योग्यता मानी जाती है।
अच्छे वेतन के साथ बेहतर सुविधाएं
एनडीआरएफ कर्मियों को केन्द्र सरकार के अधीन विभिन्न पदों पर उनकी पोस्ट के अनुसार अच्छा वेतन भत्ते तथा सुविधाओं के साथ जोखिम भत्ता भी मिलता है। उत्कृष्ट सेवा के बदले उन्हें उचित सम्मान, पदोन्नति तथा आर्थिक पुरस्कार भी दिए जाते हैं।
प्रमुख संस्थान
आपदा प्रबंधन व संबंधित अन्य विषयों की पढ़ाई के लिए प्रमुख संस्थान हैं- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिजास्टर मैनेजमेंट, दिल्ली, इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी दिल्ली, दिल्ली कॉलेज ऑफ़ फायर सेफ्टी इंजीनियरिंग दिल्ली, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ इकोलॉजी एंड एनवायरनमेंट नई दिल्ली, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ रिमोट सेंसिंग देहरादून, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज मुंबई तथा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ फायर डिजास्टर एंड एनवायरनमेंट मैनेजमेंट, नागपुर।