ज्योतिष विज्ञान में रोजगार की संभावनाएं
ज्योतिष विज्ञान अब एक व्यवस्थित शैक्षणिक और व्यावसायिक कैरियर विकल्प के तौर पर उभरा है। आज ज्योतिष विद्या विश्वविद्यालयों में वैज्ञानिक अध्ययन का विषय बन गई है। जो विद्यार्थी भारतीय संस्कृति, गणित व खगोल विज्ञान में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह सम्मानजनक कैरियर साबित हो सकता है।
ज्योतिष केवल भाग्य बताने की विद्या नहीं है, यह प्राचीन भारतीय विज्ञान की वह शाखा है जिसने हजारों वर्षों से मानव जीवन और प्रकृति के बीच के रहस्यमय संबंध को समझने का प्रयास किया है। आज यह परंपरा विश्वविद्यालयों की कक्षाओं, शोध केंद्रों और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्मों तक पहुंच चुकी है। भारत में अब ज्योतिष को एक व्यवस्थित अध्ययन क्षेत्र के रूप में देखा जा रहा है। इसे शैक्षिक पाठ्यक्रमों में शामिल किए जाने और विश्वविद्यालयों में ज्योतिष विभागों की स्थापना के बाद यह एक सम्मानित कैरियर विकल्प बनकर उभरा है।
Advertisementविज्ञान के दर्जे की वजह
वर्ष 2000 में जब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ‘ज्योतिष शास्त्र’ को एक वैकल्पिक शैक्षणिक विषय के रूप में मान्यता दी, तब से इस पर व्यापक चर्चा शुरू हुई। ज्योतिष हमारे वैदिक ज्ञान का अभिन्न अंग है और इसका गणितीय तथा खगोलीय आधार इसे अध्ययन योग्य विज्ञान बनाता है। दरअसल, ज्योतिष में ग्रहों की गति, नक्षत्रों की स्थिति, खगोलीय गणना, समय निर्धारण और घटनाओं की गणितीय व्याख्या सम्मिलित होती है।
प्रमुख विश्वविद्यालय और कोर्स
भारत के कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में ज्योतिष विज्ञान के कोर्स सर्टिफिकेट से लेकर शोध तक उपलब्ध हैं। मसलन बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी : ज्योतिष विभाग - संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय। कोर्स: स्नातक, स्नातकोत्तर , पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा, पीएचडी। यहां छात्रों को गणितीय ज्योतिष, भविष्यवाणी शास्त्र, फलित, प्राश्निक और मुहूर्त अध्ययन कराया जाता है। लखनऊ विश्वविद्यालय : ज्योतिष विज्ञान विभाग । कोर्स: स्नातक (ज्योतिष विज्ञान),स्नातकोत्तर (ज्योतिष विज्ञान), शोध पाठ्यक्रम। केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय नई दिल्ली एवं इसके परिसर : कोर्स- सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, शास्त्री (स्नातक), आचार्य (स्नातकोत्तर) तथा वेदांग ज्योतिष में पीएचडी। इसके अलावा कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, नागपुर, श्रीलाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली, राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान ( डीम्ड यूनिवर्सिटी), संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी आदि संस्थानों में ज्योतिष की शिक्षा दी जाती है।
कोर्स संरचना और अध्ययन विषय
ज्योतिष के अधिकांश विश्वविद्यालयीय कोर्स तीन भागों में विभाजित होते हैं : गणितीय ज्योतिष जिसमें ग्रहों-नक्षत्रों की गति, पंचांग निर्माण, समय गणना, ग्रहण, दशा और अंतर्दशा की गणना जैसे विषय पढ़ाए जाते हैं। फलित ज्योतिष जिसमें जन्मकुंडली, राशि, भाव, योग, ग्रह दृष्टि, गोचर, विवाह, स्वास्थ्य और कैरियर से जुड़ी व्याख्याएं सिखाई जाती हैं। मुहूर्त और प्राश्निक ज्योतिष जिसमें विद्यार्थी शुभ समय निर्धारण (मुहूर्त), प्रश्न कुंडली, यात्रा, गृह प्रवेश, विवाह, व्यवसाय प्रारंभ आदि विषय पढ़ते हैं। इसके अतिरिक्त कई कोर्सों में वास्तु शास्त्र, आयुर्वेदिक ज्योतिष, खगोल विज्ञान और सॉफ्टवेयर एप्लिकेशन इन ज्योतिष जैसे आधुनिक विषय भी सम्मिलित किए गए हैं।
प्रवेश हेतु योग्यता एवं अवधि
सर्टिफिकेट / डिप्लोमा हेतु 10 2 उत्तीर्ण , अवधि 6 माह से 1 वर्ष। स्नातक / शास्त्री हेतु 10 2 उत्तीर्ण तथा अवधि 3 वर्ष। स्नातकोत्तर / आचार्य हेतु स्नातक और समकक्ष, अवधि 2 वर्ष, पीएचडी हेतु स्नातकोत्तर उत्तीर्ण, अवधि 3–5 वर्ष।
कैरियर की संभावनाएं
स्वतंत्र एस्ट्रोलॉजी परामर्शदाता :आज ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म, मोबाइल ऐप्स और डिजिटल मीडिया के ज़रिए परामर्श सेवाओं की बड़ी मांग है। अनुभवी ज्योतिषी अच्छी आय अर्जित कर सकते हैं। शैक्षिक और शोध क्षेत्र : विश्वविद्यालयों में शिक्षक, शोध सहायक या विभाग प्रमुख के रूप में अवसर। ज्योतिष पर शोध, अनुवाद और तुलनात्मक अध्ययन के क्षेत्र बढ़ रहे हैं। मीडिया : अख़बार, टीवी चैनल, वेबसाइट और यूट्यूब प्लेटफ़ॉर्म्स ज्योतिष सामग्री के लिए विशेषज्ञों को आमंत्रित करते हैं। ज्योतिष सॉफ्टवेयर और ऐप डेवलपमेंट : प्रौद्योगिकी के युग में कुंडली निर्माण, ग्रह गणना और भविष्यवाणी के लिए सॉफ्टवेयर व मोबाइल ऐप्स की भारी मांग है। जो छात्र आईटी और ज्योतिष का मिश्रण सीखते हैं, वे इस क्षेत्र में अग्रणी बन सकते हैं। वास्तु परामर्श : रियल एस्टेट, उद्योग और कॉर्पोरेट सेक्टर में वास्तु विशेषज्ञों और कॉर्पोरेट काउंसलर की मांग लगातार बढ़ रही है।
ज्योतिष ऐप्स, एआई आधारित कुंडली सॉफ्टवेयर और वीडियो परामर्श सेवाओं ने नए रोजगार सृजित किए हैं। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर ज्योतिष परामर्श सेवाओं का वैश्विक बाज़ार 2025 तक 2 बिलियन डॉलर से अधिक हो चुका है।
हालांकि ज्योतिष की वैधता पर अभी भी वैज्ञानिक समुदाय में मतभेद है, इसलिए इसे अंधविश्वास से जोड़ने के बजाय तार्किक दृष्टिकोण आवश्यक है। नैतिकता अत्यंत आवश्यक है, भविष्यवाणियां करते समय सामाजिक उत्तरदायित्व को ध्यान में रखना चाहिए।
