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परीकथाओं वाला द्वीप बुखारा

सिल्क रूट पर
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समीर चौधरी

एक ऐसी जगह की कल्पना कीजिये जहां एक कदम आगे बढ़ाने पर आप कई सदी पीछे चले जाते हैं। एक ऐसी जगह जो बहुत अधिक पारम्परिक है, लेकिन तरोताजागी की उमंगें आपमें भर देती हैं। यह बातें सिर्फ़ बुखारा पर ही लागू नहीं होती हैं बल्कि पूरे उज्बेकिस्तान का यही हाल है।

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बुखारा एक ऐसी जगह है जहां टैक्सी चालक से लेकर व्यापारी तक आपकी मोलभाव करने की क्षमता की परीक्षा लेगा। अगर आप सौदेबाज़ी में असफल होकर दार्शनिक की मुद्रा में आ भी जाते हैं तो भी आपको खुश होना चाहिए क्योंकि भारतीय रुपये के मुकाबले में उज्बेक सोम बहुत सस्ता है।

बुखारा कठिन सिल्क रूट पर परीकथाओं वाला द्वीप है, जो इतिहास और हेरिटेज की खुली किताब है। पुराने संसार का यह सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक व धार्मिक केंद्र था। वह ज्ञान का लाइटहाउस था। हिन्दुओं के लिए जो बनारस है, वही इस्लामी संसार के लिए बुखारा था। कुछ शताब्दियों के अंतर के कारण बुखारा का आध्यात्मिक वैभव देखने से वंचित रह गया, लेकिन अपनी यात्रा की एक दोपहर नादिर दीवान-बेगी मदरसा काम्प्लेक्स के भीड़भरे आंगन में डांस परफॉर्मेंस व फैशन शो देखा तो अहसास हो गया कि बुखारा एक अलग ही अनुभव होने जा रहा है।

अपने अगले आश्चर्य में एक सजे हुए पूर्व मदरसा के सामने गधे पर सवार एक व्यक्ति की मूर्ति थी, जिसे लोगों ने घेरा हुआ था। डूबते सूरज की नारंगी रोशनी मोटे पेड़ों व पुराने घरों से झांक रही है और ‘व्यक्ति’ की मुस्कान को अधिक चमका रही है। यह बुखारा का प्रिय मुल्ला नसीरुद्दीन है, जिसकी मनोरंजक कथाएं केंद्रीय एशिया से पृथ्वी के हर भाग में यात्रा कर चुकी हैं। अगर मुल्ला की कब्र को देखना है, तो तुर्की के अकेशीर में जाना होगा। नसीरुद्दीन की गधे पर सवार मूर्ति बुखारा के केंद्र में है जैसे ऐतिहासिक इमारतों, बाज़ारों, रेस्टोरेंट्स और वेंडर्स पर नज़र रख रही हो। प्राचीन गलियों, नहरों व घरों को बहुत ध्यानपूर्वक बरकरार रखा गया है जैसे इतिहास की 3डी तस्वीर बना दी गई हो, जिसकी दिलचस्पी तेज़, आधुनिक संसार में प्रवेश करने की है ही नहीं। जैसे रेगिस्तान के बीच में नखलिस्तान हो, लयाबी हौज़ एक छोटा-सा तालाब है इस हमेशा जवान रहने वाले प्राचीन शहर में। तालाब के पास पांच बुज़ुर्ग बोर्ड गेम खेलने में व्यस्त हैं, उन्हें पर्यटकों के आने-जाने और व्यस्त कार्य दिवस पर व्यापारियों से कोई लेना-देना नहीं है। आगे टोकि तेल्पक बाज़ार के निकट सबसे विश्वसनीय हमाम था।

पतली गलियों व रिहायशी मकानों के बीच बुखारा का ऐतिहासिक केंद्र बहुत अच्छे ढंग से संरक्षित है। थोड़ा पैदल चलने पर बुखारा के 400-वर्ष पुराने सिनागोग यानी यहूदियों का पूजास्थल था। सिनागोग से लगभग 3 किमी के फासले पर बहाउद्दीन नक्शबंद का मकबरा और मदरसा है, जो कि सूफीवाद का सबसे बड़ा प्रतीक है। इसकी दीवार पर लिखा है- ‘दिल में ख़ुदा है और हाथ काम में लगे हैं।’ बुखारा के लोग कहते हैं कि बुखारा में सीखने को बहुत कुछ है। सच है। बुखारा अपने मेहमानों को कुछ न कुछ सिखाता अवश्य है। इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर

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