समीर चौधरी
ब्राज़ील के उत्तरी क्षेत्र में जहां अमेज़न नदी अटलांटिक महासागर से मिलती है, वहां एक स्विट्ज़रलैंड के आकार का द्वीप है। नाम इसका मराजो है। इस द्वीप को आप इकोलॉजिकल खज़ाना कह सकते हैं, लेकिन पर्यटकों के लिए इसका आकर्षण एक अन्य कारण से भी है। इसके विशिष्ट पुलिसिंग तरीके ने दुनियाभर को आकर्षित किया हुआ है। यहां मिलिट्री पुलिस सड़कों, मैदानों व खेतों में गश्त घोड़े पर या किसी वाहन पर नहीं करती है बल्कि पानी में रहने वाली एशियाई भैंसों पर करती है।
एशिया से मराजो कैसे पहुंची भैंस
एशियन वाटर बफैलो एक ऐसा पशु है जिसका संबंध भारत व दक्षिणपूर्व एशिया से है। इसलिए सबसे पहला सवाल तो यही उठता है कि यह जानवर दक्षिण अमेरिका के देश ब्राज़ील के द्वीप में कैसे पहुंचा? मराजो उसका घर कैसे बन गया? भैंस की ब्राज़ील के द्वीप तक की यात्रा रहस्य के पर्दे में है। कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि तट पर एक जहाज़ दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, उसमें भैंसें ट्रांसपोर्ट की जा रही थीं और इस तरह वे इस द्वीप पर आ गईं। कुछ का कहना था कि जो कैदी फ्रेंच गुयाना से बचकर भाग रहे थे, वे अपने साथ भैंस लेकर आये। अगर हम इनके मराजो पहुंचने की वजह अनदेखी कर दें तो इस द्वीप का ट्रॉपिकल क्लाइमेट भैंसों को रास आ गया है। इस द्वीप पर इनकी संख्या फ़िलहाल लगभग पांच लाख है, जबकि मानव जनसंख्या 440,000 है यानी भैंसें इंसानों से अधिक हैं।
अब स्थानीय संस्कृति का हिस्सा
मराजो में ये भैंसें अब स्थानीय संस्कृति व अर्थव्यवस्था में गहराई तक समा गई हैं। वह कामकाजी पशु की तरह सेवा करती हैं, सौरे की सड़कों पर बग्गियों को लेकर जाती हैं, किसानों की खेतों में मदद करती हैं और उत्सवों में हिस्सा लेती हैं, जिनमें बफैलो रेस विशेष आकर्षण का केंद्र होता है, जिसे देखने के लिए दुनियाभर के पर्यटक आते हैं। भैंस की मौजूदगी मजारो के व्यंजनों में भी महसूस की जा सकती है, विशेषकर बफैलो स्टिक्स और मोज्ज़रेल्ला लगभग हर रेस्टोरेंट के मेन्यू पर देखने को मिला।
सैन्य पुलिस की सवारी भी
मराजो में भैंसों की महत्वपूर्ण भूमिका क़ानून व्यवस्था लागू करने में है। ‘बफैलो सोल्जर्स ऑफ़ मराजो’ यानी मराजो के भैंस सैनिक एक ऐसा नाम है जो 19वीं शताब्दी के अमेरिकी सेना रेजिमेंट्स की याद दिलाता है और जिसे बॉब मारले की रेगे क्लासिक ने विश्व विख्यात किया। ‘बफैलो सोल्जर्स ऑफ़ मराजो’ सैन्य पुलिस की यूनिट है जो भैंस की सवारी करती है। सवारी के लिए विशेष प्रकार की सीट्स बनायी गई हैं। सवाल है कि ‘बफैलो सोल्जर्स ऑफ़ मराजो’ घोड़े या वाहन की बजाय भैंस की ही सवारी क्यों करते हैं? दरअसल, यह प्रथा लगभग तीन दशक पहले एक मजबूरी के तहत आरंभ हुई थी। बाढ़ के कारण मराजो के खेतों में परम्परागत गश्त करने के तरीके असंभव हो गये थे। लेकिन अब यह सिर्फ सुविधा नहीं, जिंदगी के लुत्फ लेने का एक तरीका भी है।
पर्यटकों का आकर्षण
भैंसें बारिश के मौसम में भी दलदले मैनग्रोव्स और बाढ़ के पानी से भरे मैदानों में भी सफ़र कर लेती हैं। इन स्थितियों में भैंस वह स्पीड हासिल कर सकती है, जिसका मुकाबला यातायात के अन्य साधन नहीं कर सकते। लेकिन भैंस को मास्टर करना चुनौतीपूर्ण कार्य है, जिसके लिए अधिकारियों को गहन ट्रेनिंग से गुज़रना पड़ता है। भैंस की पीठ पर सवार अधिकारियों को गश्त करते हुए देखना केवल पुलिसिंग पहलू का आवश्यक हिस्सा ही नहीं है बल्कि मजारो के लिए यह द्वीप की पहचान और पर्यटकों का आकर्षण बन गया है। लेखक जब सौरे मिलिट्री पुलिस यूनिट के मुख्यालय पहुंचा तो देखा कि बुलेट के खाली खोलों से एक प्लेक बनायी हुई है, जिसमें एक मांसल भैंस को शॉटगन पकड़े हुए दिखाया गया है। इसने मजारो में भैंस की आइकोनिक हैसियत पर पुष्टि की मोहर लगा दी है।
इको-फ्रेंडली समाधान
आज दुनिया इको-फ्रेंडली प्रथाओं की तलाश कर रही है। ब्राजील के इस द्वीप के ‘बफैलो सोल्जर्स ऑफ़ मराजो’ इस तलाश की जीती-जागती मिसाल है कि किस तरह परम्परागत तरीके आधुनिक ज़रूरतों को भी पूरा करने में सक्षम हैं। स्थानीय इकोसिस्टम को समझकर और उसे ढंग से प्रयोग करने से समुदाय व प्राकृतिक संसार को लाभ मिल सकता है। मराजो की भैंसें कभी इस द्वीप के लिए अजनबी थीं। अब वह इसकी पहचान का अटूट हिस्सा बन गई हैं। वह अपनी पीठ पर केवल समुदाय को सुरक्षित रखने वाले अधिकारियों को ही लेकर नहीं चल रही हैं बल्कि इस जगह की परम्परा को भी उठाये हुए हैं जहां प्रकृति व संस्कृति का आश्चर्यजनक मिश्रण है। मजारो में भैंस ताक़त, सहयोग व जीवन के विशिष्ट तरीके का प्रतीक है, जो आकर्षित भी करता है और प्रेरित भी। इमेज रिफ्लेक्शन सेंटर