जो भारतीय युवा विदेश में बेहतर भविष्य बनाना चाहते हैं तो अब उनके पास कई देशों में पढ़ाई और रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं। वीज़ा नियमों और अन्य शर्तों के चलते अमेरिका अब पसंदीदा डेस्टिनेशन नहीं। जर्मनी, यूके, नीदरलैंड, ऑस्ट्रेलिया भारतीय युवाओं को बेहतरीन शिक्षा, आकर्षक कैरियर अवसर और आसान पीआर सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
भारतीय युवाओं के लिए विदेश में उच्च शिक्षा और कैरियर बनाने के अवसर पहले की तुलना में कहीं अधिक विविध हो गए हैं। जहां एक समय पर अमेरिकी विश्वविद्यालय और कंपनियां पहली पसंद हुआ करती थीं, वहीं हाल के वीज़ा नियमों और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते अब केवल यूएस पर निर्भर रहना समझदारी नहीं है। कई अन्य देश भारतीय युवाओं को बेहतरीन शिक्षा, आकर्षक कैरियर अवसर और आसान स्थायी निवास (पीआर) की सुविधाएं प्रदान कर रहे हैं।
कनाडा – पढ़ाई और नौकरी, दोनों के लिए बेहतरीन
कनाडा भारतीय छात्रों की पहली पसंद बनता जा रहा है। यहां पोस्ट ग्रेजुएट वर्क परमिट (पीजीडब्ल्यूपी) के तहत ग्रेजुएशन के बाद 3 साल तक का ओपन वर्क परमिट मिलता है। कुछ कोर्स पर पीजीडब्ल्यूपी एलिजिबिलिटी सीमित हो सकता है। साथ ही, ग्लोबल टैलेंट स्ट्रीम (जीटीएस) और अटलांटिक इमिग्रेशन प्रोग्राम (एआईपी) जैसे प्रोग्राम्स टेक्नोलॉजी सेक्टर और स्किल्ड जॉब्स में तेज़ी से नौकरी पाने का रास्ता आसान बनाते हैं। स्थायी निवास (पीआर) नीतियां भी काफी अनुकूल हैं, जिससे कैरियर बनाना सरल हो जाता है।
ऑस्ट्रेलिया – स्किल्ड माइग्रेशन और लचीले वर्क परमिट
ऑस्ट्रेलिया का पॉइंट-बेस्ड माइग्रेशन सिस्टम भारतीय युवाओं के लिए बड़ा आकर्षण है। पढ़ाई के बाद टेंपरेरी ग्रेजुएट वीजा (सब क्लास 485) के माध्यम से 2 से 4 साल तक काम करने का अवसर मिलता है। ऑस्ट्रेलिया की स्किल्ड ऑक्युपेशन लिस्ट आईटी, इंजीनियरिंग, हेल्थकेयर, साइबर सिक्योरिटी और डेटा साइंस जैसे सेक्टरों में बड़ी संख्या में नौकरियां उपलब्ध कराती है। जो युवा स्किल-बेस्ड कोर्स और इंडस्ट्री प्रोजेक्ट्स पर ध्यान देते हैं, उनके लिए यहां शानदार संभावनाएं हैं।
जर्मनी – मुफ्त शिक्षा और आकर्षक जॉब मार्केट
जर्मनी इंजीनियरिंग, ऑटोमोबाइल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रिसर्च के क्षेत्र में भारतीय युवाओं के लिए शीर्ष पसंद है। यहां कई पब्लिक यूनिवर्सिटीज़ में ट्यूशन फीस नहीं लगती, जिससे उच्च गुणवत्ता की शिक्षा किफायती हो जाती है। पढ़ाई के बाद ईयू ब्लू कार्ड स्कीम के तहत सिर्फ 21 से 27 महीनों में स्थायी निवास (पीआर) प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा चांसेनकार्टे (ऑपर्च्युनिटी कार्ड) पॉइंट-बेस्ड सिस्टम पर आधारित है, जिसके ज़रिए जॉब सीकिंग के लिए आसानी से वर्क परमिट मिल सकता है। फिर भी आधिकारिक स्रोतों से जानकारी जरूर प्राप्त कर लेनी चाहिए।
यूनाइटेड किंगडम – पोस्ट स्टडी वर्क के नए अवसर
यूके खयानी इंग्लैंड भारतीय छात्रों के लिए विशेष रूप से आकर्षक है क्योंकि यहां ग्रेजुएट रूट वीजा के तहत डिग्री पूरी करने के बाद 18 महीने तक किसी भी सेक्टर में काम करने का मौका मिलता है। वित्त, तकनीक, कंसल्टिंग और क्रिएटिव इंडस्ट्रीज में रोजगार की व्यापक संभावनाएं मौजूद हैं। हालांकि, 2025 में यूके की वीज़ा पॉलिसीज़ की समीक्षा चल रही है, इसलिए छात्रों को आवेदन से पहले नवीनतम अपडेट्स ज़रूर देखना चाहिए।
नीदरलैंड्स – टेक और रिसर्च का हब
नीदरलैंड्स तेजी से भारतीय युवाओं के लिए पसंदीदा गंतव्य बन रहा है। यहां ओरिएंटेशन इयर प्रोग्राम के अंतर्गत पढ़ाई के बाद एक साल का ओपन वर्क परमिट मिलता है, जिसमें आप आसानी से जॉब खोज सकते हैं। उसके बाद हाइली स्किल्ड माइग्रेंट ( एचएसएम) वीज़ा या ईयू ब्लू कार्ड के ज़रिए लंबी अवधि का कैरियर बनाना आसान हो जाता है। नीदरलैंड्स खासतौर पर आईटी, फिनटेक, डेटा साइंस और लाइफ साइंसेज़ के क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते अवसर प्रदान करता है।
न्यूज़ीलैंड – तेजी से बढ़ते कैरियर अवसर
न्यूज़ीलैंड में पोस्ट स्टडी वर्क वीजा के ज़रिए ग्रेजुएशन के बाद नौकरी खोजने का पर्याप्त समय मिलता है। सरकार ने हाल ही में आईटी, फार्मा, एग्री-टेक और बायोटेक सेक्टर में विदेशी छात्रों के लिए अवसर बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है। ग्रीन लिस्ट में शामिल प्रोफेशनल्स के लिए स्थायी निवास के रास्ते भी बेहद सरल हैं।
साल 2025 में भारतीय युवाओं के पास कैरियर और उच्च शिक्षा के लिए मल्टी-डेस्टिनेशन स्ट्रेटेजी अपनाने का सुनहरा अवसर है। केवल यूएस पर निर्भर रहने की बजाय कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, यूके, नीदरलैंड्स और न्यूज़ीलैंड जैसे देशों की वीज़ा पॉलिसीज़, पोस्ट-स्टडी वर्क परमिट्स और स्किल्ड माइग्रेशन प्रोग्राम्स का लाभ उठाना बेहतर होगा। सही कोर्स, सही स्किल्स और सही देश का चुनाव कर भारतीय युवा वैश्विक स्तर पर अपना कैरियर सुरक्षित और मजबूत बना सकते हैं। उपरोक्त सभी देशों में कैरियर बनाने के इच्छुक युवाओं को वर्तमान नियमों की जानकारी, संबंधित देशों के दूतावासों या सर्टिफाइड एजेंसीज से हासिल करने के बाद ही अप्लाई करने की प्रोसेस शुरू करनी चाहिए। नियमों में अक्सर परिवर्तन होते रहते हैं।
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