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बेहतर ‘ईक्यू’ सफलता में मददगार

कार्पोरेट जॉब्स
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कार्पोरेट जगत में चयन के दौरान आजकल आईक्यू से ज्यादा अहमियत ईक्यू यानी भावनात्मक बुद्धिमत्ता से लैस उम्मीदवारों को दी जा रही है। दरअसल, नेतृत्व क्षमता, टीम से सहयोग व तनाव प्रबंधन के लिए खुद के साथ दूसरों को समझकर तालमेल बनाने का गुण जरूरी है। वहीं क्लाइंट को भी इक्यू लेवल वाला पेशेवर बेहतर तरीके से संभालता है।

नरेंद्र कुमार

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इन दिनों मल्टीनेशनल कंपनियों में इमोशनल इंटेलीजेंस (ईक्यू) चयन प्रक्रिया का अहम कारक बन गया है। सवाल है आखिर इमोशनल इंटेलीजेंस यानी भावनात्मक बुद्धिमत्ता को इतनी अहमियत क्यों दी जा रही है? विशेषज्ञों की मानें तो कार्पोरेट जगत में कामयाबी के लिए सिर्फ तकनीकी योग्यता से काम नहीं चलता। लंबी अवधि की सफलता, नेतृत्व क्षमता, टीम सहयोग और तनाव प्रबंधन -हर चीज के लिए सबसे जरूरी कारक इमोशनल इंटेलिजेंस ही है। यही कारण है कि आज कार्पोरेट जगत में चयन के दौरान आईक्यू से कहीं ज्यादा ईक्यू को अहमियत दी जा रही है।

बहु-सांस्कृतिक माहौल में जरूरी सामंजस्य

दरअसल बहुराष्ट्रीय कंपनियों में कर्मचारी किसी एक देश या एक क्षेत्र के नहीं होते। वे कई देशों, कई संस्कृतियों और कई भौगोलिक विशिष्टताओं वाले होते हैं। ऐसे में उनमें आपस में सहयोग, सहनशीलता और भावनात्मक समझ के बिना कोई कामयाब टीम कैसे बन सकती है? दरअसल बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बेहतर टीम के विकास के लिए टीम लीडर के पास आईक्यू से ज्यादा ईक्यू की जरूरत होती है ताकि कर्मचारियों के बीच गलतफहमियां न पैदा हों, जिससे प्रोजेक्ट समय पर पूरे हों। टीम को लीड करने के लिए ऐसे व्यक्ति की जरूरत होती है, जिसका इमोशनल इंटेलीजेंस लेवल काफी अच्छा हो, जिसमें विभिन्न सांस्कृतिक विविधता वाले कर्मचारियों के बीच तालमेल बिठाना आता हो।

मुश्किल समय में मोटिवेशन देने वाले

जिन लोगों का ईक्यू (भावनात्मक बुद्धिमत्ता) स्कोर बेहतर होता है, वे मुश्किल के समय उन लोगों से बेहतर संयम का प्रदर्शन करते हैं, जिनका आईक्यू बेहतर होता है और बहुराष्ट्रीय कंपनियों में क्योंकि काम का दबाव काफी ज्यादा होता है, डेडलाइन का प्रेशर होता है और टारगेट के साथ क्वालिटी वर्क की भी बहुत डिमांड रहती है, ऐसे में मोटिवेशन की जरूरत पड़ती है और यह मोटिवेशन कोई ईक्यू में बेहतर लीडर ही बनाये रख पाता है। इसलिए बहुराष्ट्रीय कंपनियों में जब टीम लीडर चुनने की बात आती है, तो बेहतर ईक्यू वाले लोगों को तरजीह दी जाती है। क्योंकि माना जाता है कि ऐसे लोग तनाव के समय पैनिक नहीं करते, समाधान केंद्रित सोच को अपनाते हैं व कठिन समय पर टीम के लोगों को भी बेहतर ढंग से संभालते हैं।

आदेश के बजाय प्रेरणा

आज बहुराष्ट्रीय कंपनियों को ऐसे कर्मचारी और टीम लीडर चाहिए, जो अपने सहयोगियों से काम लेते समय उन्हें आदेश न देकर उन्हें इंस्पायरिंग गाइड दें। कंपनियां अपने ग्लोबल टीम लीडर से चाहती हैं कि वह सहयोगियों की प्रतिभा पहचानने में देर न करे, जरूरी समय पर मोटिवेट कर सके और अगर संघर्ष की स्थिति बन जाए तो वह संतुलन बनाने में माहिर हो।

क्लाइंट्स रिलेशंस

कस्टमर को हैंडल करने, क्लाइंट को अपने पास बनाये रखने आदि में भी बेहतर ईक्यू वाले लोग ज्यादा कामयाब साबित होते हैं। इसलिए बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कर्मचारियों और कर्मचारियों को लीड करने वाले प्रबंधक का चुनाव करते समय इन बातों को तरजीह देती हैं। क्लाइंट की जरूरतों और भावनाओं को समझने के लिए कर्मचारी व टीम लीडर का इमोशनल इंटेलीजेट होना जरूरी है। क्योंकि कम्प्लेन को संवदेनशीलता से संभालने में ज्यादा कामयाबी मिलती है।

एआई से बनी स्थितियां व समाधान

कार्पोरेट दुनिया एआई के हस्तक्षेप से बहुत तेजी से बदल रही है। ऐसे बदलावों के दौरान ईक्यू वाला कर्मचारी बहुत जल्द अनुकूल स्थितियां बनाने में कामयाब होता है। वह खुद तो किसी भी तरह के हालात से जल्द से जल्द सहज हो ही जाता है, अपने साथ के दूसरे लोगों को भी सहज बना लेता है। ऐसा व्यक्ति हमेशा डर की जगह अवसर देखता है। कंप्लीट रेजोल्यूशन में ईक्यू की भूमिका आईक्यू के मुकाबले बहुत ज्यादा आगे की होती है। ईक्यू से लैस लीडर किसी झगड़े की स्थिति में उसे तूल देने से पहले ही सुलझा लेते हैं। खुद को और दूसरों को समझाकर संतुलन लाते हैं। इससे वर्क कल्चर सकारात्मक बनती है। आईक्यू किसी को नौकरी भले आसानी से दिला दे, लेकिन आपको प्रमोशन और स्थायित्व तभी हासिल होते हैं, जब आपमें ईक्यू लेवल बेहतर हो। बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने कर्मचारियों के प्रबंधन हेतु ऐसे प्रोफेशनल चाहती हैं, जो तकनीकी रूप से तो सक्षम हों ही, पर मानवीय रूप में कहीं ज्यादा परिपक्व हों। इंटरव्यूज में आपसे सवाल किया जाता है, ‘आपने आखिरी बार अपने गुस्से को कैसे हैंडल किया था?’ और ये आपके चयन के लिए मूल प्रश्न भी हो सकता है।                               -इ.रि.सें.

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