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साइकोलॉजिस्ट बन सुलझाएं मानव व्यवहार की गुत्थियां

जिन युवाओं की रुचि मानव व्यवहार को समझने में है, वहीं वे धैर्यवान और संवेदनशील भी हैं तो कैरियर बनाने को साइकोलॉजी का क्षेत्र उनके लिए उपयुक्त है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में हर एक लाख लोगों पर...
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जिन युवाओं की रुचि मानव व्यवहार को समझने में है, वहीं वे धैर्यवान और संवेदनशील भी हैं तो कैरियर बनाने को साइकोलॉजी का क्षेत्र उनके लिए उपयुक्त है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में हर एक लाख लोगों पर कम से कम तीन साइकोलॉजिस्ट चाहिए, जबकि अभी ठीक से एक भी नहीं है। अतः इस क्षेत्र में कैरियर बनाने की बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं।

आज मानसिक तनाव और रिश्तों की जटिलता का दौर है। जिस कारण लोग पहले से कहीं ज्यादा मानसिक बीमारियों के शिकार होने लगे हैं, इस कारण समाज में साइकोलॉजिस्ट या मनोवैज्ञानिकों की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई है। जबकि भारत में मनोवैज्ञानिकों की भारी कमी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत को हर एक लाख लोगों पर कम से कम तीन साइकोलॉजिस्ट चाहिए, जबकि अभी ठीक से एक भी नहीं है। अतः इस क्षेत्र में कैरियर बनाने की बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं। रकारी ही नहीं, निजी क्षेत्र भी अब इस समस्या पर काफी निवेश कर रहे हैं, इसलिए अगले दस सालों तक भारत में साइकोलॉजिस्ट की मांग लगातार बढ़ेगी। जानिये, साइकोलॉजी के क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए चरण-दर-चरण क्या करें।

चुनें सही विषयों का कॉम्बिनेशन

जब 11वीं, 12वीं में पढ़ रहे हों तो साइकोलॉजी में कैरियर बनाने के लिए सही विषयों का कॉम्बिनेशन चुनें। साइकोलॉजी में छह किस्म के कैरियर आमतौर पर होते हैं। क्लीनिकल साइकोलॉजी, काउंसलिंग साइकोलॉजी, ऑर्गेनाइजेशन साइकोलॉजी, एजुकेशन साइकोलॉजी, स्पोर्ट्स साइकोलॉजी और फारेंसिक साइकोलॉजी। अगर साइकोलॉजी को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं तो या तो शुरू से आर्ट स्ट्रीम में आगे बढ़ें या साइंस में। अगर आपके स्कूल में साइकोलॉजी विषय उपलब्ध हो तो 12वीं में साइकोलॉजी, बायोलॉजी, सोशलॉजी, होम साइंस और इंग्लिश विषयों का कॉम्बिनेशन सबसे बढ़िया हैं। अगर आपके स्कूल में साइकोलॉजी नहीं हो तो ग्रेजुएशन में इसे चुन सकते हैं। अगर मेडिकल संबंधी साइकोलॉजी को चुनना है, तो बीएससी इन साइकोलॉजी या अप्लाइड साइकोलॉजी में ग्रेजुएशन करें। अगर काउंसलिंग या इंडस्ट्रियल साइकोलॉजी में कैरियर बनाना चाहते हैं तो बीए इन साइकोलॉजी ठीक रहेगी। पोस्ट ग्रेजुएशन करके साइकोलॉजी के लिए कैरियर के बेहतर दरवाजे खुलते हैं। ऐसे में आप एमए या एमएससी इन साइकोलॉजी कर सकते हैं। साइकोलॉजी में कैरियर बनाने के लिए विशेषज्ञता का क्षेत्र चुनना जरूरी है। ये क्षेत्र हैं- क्लीनिकल साइकोलॉजी, काउंसलिंग साइकोलॉजी, इंडस्ट्रियल या ऑर्गनाइजेशन साइकोलॉजी, चाइल्ड साइकोलॉजी, फारेंसिक साइकोलॉजी और स्पोर्ट्स साइकोलॉजी। आगे की पढ़ाई और लाइसेंस हासिल करने के लिए रिहैबिलिटेशन काउंसिल ऑफ इंडिया (आरसीआईबी) से मान्यता प्राप्त कोर्स करना जरूरी है, इसके बाद ही आप निजी प्रैक्टिस कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान

भारत में साइकोलॉजी की पढ़ाई करने वाले कुछ महत्वपूर्ण संस्थान हैं- दिल्ली यूनिवर्सिटी , टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, मुंबई , जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली व अंबेडकर यूनिवर्सिटी, दिल्ली , बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी , क्राइस्ट यूनिवर्सिटी, बैंगलुरु, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसेज (विमहांस)। हेल्थ साइकोलॉजी और क्लीनिकल रिसर्च के लिए एम्स (दिल्ली)।

यहां मिलेगी नौकरी

क्लीनिक साइकोलॉजी पढ़ने वालों को अस्पतालों, मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों और निजी क्लीनिकों में नौकरी मिल सकती है, जहां आप रोगियों की मानसिक बीमारियों का निदान और इलाज करते हैं। जबकि काउंसलिंग साइकोलॉजी की पढ़ाई करने वालों को स्कूल, कॉलेज, एनजीओ, रिहैब सेंटर आदि में नौकरी मिलती है। यहां आपको छात्रों, परिवारों या नशे की समस्या से जूझ रहे लोगों की मदद करनी होती है। ऑर्गनाइजेशन साइकोलॉजी पढ़ने वाले कारपोरेट कंपनियों के एचआर विभाग, इम्प्लाई ट्रेनिंग और रिक्रूटमेंट विभाग में नौकरी तलाश सकते हैं, जबकि एजुकेशन साइकोलॉजी वालों को स्कूलों में चाइल्ड काउंसलर के रूप में और एग्जाम स्ट्रेस, कैरियर गाइडेंस और लर्निंग डिसएबिलिटी जैसी समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी निभानी होती है। साइकोलॉजी की पढ़ाई करके जिन विशेष क्षेत्रों में खास कैरियर बनता है वो हैं- स्पोर्ट्स साइकोलॉजी, फारेंसिक साइकोलॉजी, मिलिट्री साइकोलॉजी और साइकोलॉजी के क्षेत्र में रिसर्च।

शुरुआती सैलरी

जहां तक सभी क्षेत्रों के लिए शुरुआती सैलरी का सवाल है, तो बीए और बीएससी करने वालों को शुरू में ही 20 से 25 हजार रुपये महीने की नौकरी मिल जाती है। एमए/एमएससी वालों को स्कूलों में काउंसलिंग जॉब के तहत 30 से 40 हजार रुपये महीने और गैर सरकारी संस्थानों में 35 से 45 हजार रुपये महीने की नौकरी मिल सकती है। कारपोरेट क्षेत्र में शुरुआती वेतन 40 से 60 हजार रुपये हो सकता है। अगर आपने एमफिल और पीएचडी कर रखी है या आरसीआई लाइसेंस आपको मिला हुआ है, तो आपको 60 हजार से 1 लाख रुपये महीने की प्राइवेट क्लिनिकों में नौकरी मिल जाती है । वहीं सरकारी संस्थानों तथा अस्पतालों में शुरुआती वेतन 60 से 90 हजार रुपये मासिक होता है। जहां तक इस क्षेत्र में भविष्य का सवाल है तो भारत में नेशनल मेंटल हेल्थ प्रोग्राम और टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम शुरू किये गये हैं, जहां सरकारी नौकरियों की व्यापक संभावनाएं हैं। इन दिनों हर स्कूल में काउंसलर रखे जा रहे हैं। कारपोरेट वेलनेस प्रोग्राम और ऑनलाइन थैरेपी प्लेटफॉर्म के कारण भी इस क्षेत्र में नौकरियों की संभावनाएं बढ़ी हैं।

 -इ.रि.सें.

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