Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

अवसरों से भरपूर आयुर्वेद चिकित्सा क्षेत्र

आयुर्वेद में कैरियर लोगों के स्वास्थ्य-संवर्धन का जरिया है। युवा आयुर्वेदाचार्य, फार्मेसिस्ट या नर्स बनने का विकल्प चुन सकते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या संस्थान से बीएएमएस की पढ़ाई जरूरी है। वहीं फार्मासिस्ट के लिए...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

आयुर्वेद में कैरियर लोगों के स्वास्थ्य-संवर्धन का जरिया है। युवा आयुर्वेदाचार्य, फार्मेसिस्ट या नर्स बनने का विकल्प चुन सकते हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए किसी मान्यताप्राप्त कॉलेज या संस्थान से बीएएमएस की पढ़ाई जरूरी है। वहीं फार्मासिस्ट के लिए डी.फार्मा आयुर्वेद व बी. फार्मा आयुर्वेद के कोर्स करने होते हैं। वहीं आयुर्वेदिक नर्सिंग कोर्स भी उपलब्ध हैं।

भारत की प्राचीन चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद आजकल फिर से लोकप्रियता प्राप्त कर रही है। आधुनिक युग में जब लोग एलोपैथिक दवाओं के दुष्प्रभावों से चिंतित हैं, तब प्राकृतिक और जड़ से इलाज करने वाली यह पद्धति एक सशक्त विकल्प बनकर उभर रही है। देश-विदेश में आयुर्वेदिक डॉक्टरों, फार्मासिस्टों और नर्सिंग विशेषज्ञों की मांग लगातार बढ़ रही है।

आयुर्वेदाचार्य बनने के लिए कोर्स

आयुर्वेदाचार्य या आयुर्वेदिक डॉक्टर बनने के लिए बी.ए.एम.एस. ( बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) कोर्स करना अनिवार्य है। यह एक स्नातक स्तर का 5½ वर्ष का कोर्स होता है, जिसमें 4½ वर्ष की अकादमिक पढ़ाई और 1 वर्ष की इंटर्नशिप शामिल है। इस कोर्स में छात्र आयुर्वेद के सिद्धांतों, औषध निर्माण, पंचकर्म, शल्य चिकित्सा, रोग निदान आदि का गहन अध्ययन करते हैं।

शैक्षणिक योग्यता और प्रवेश प्रक्रिया

बी.ए.एम.एस. में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी को 12वीं कक्षा में भौतिकी, रसायन व जीवविज्ञान (पीसीबी) विषयों के साथ न्यूनतम 50 फीसदी अंक प्राप्त होने चाहिए। प्रवेश नीट यूजी (नेशनल एलिजिबिलिटी एवं एंट्रेंस टेस्ट ) के माध्यम से होता है। यह परीक्षा हर वर्ष मई माह में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित की जाती है।

फीस संरचना

सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेजों में बी.ए.एम.एस. की फीस तुलनात्मक रूप से कम होती है,औसतन 20,000 से 60,000 रुपए प्रति वर्ष। जबकि निजी कॉलेजों में यह फीस 2 लाख से 5 लाख रुपए प्रति वर्ष तक हो सकती है। संस्थानों में उनकी गुणवत्ता के अनुसार फीस अलग-अलग हो सकती है, जिसकी जानकारी संस्थान की वेबसाइट से मिल सकती है।

भारत के प्रमुख आयुर्वेदिक कॉलेजों में दोनों तरह के कॉलेज हैं यानी कुछ राजकीय और कुछ निजी आयुर्वेदिक महाविद्यालय / संस्थान। हर प्रदेश में कई नए राजकीय और निजी आयुर्वेदिक कॉलेज स्थापित हुए हैं जिनकी जानकारी आयुष मंत्रालय की वेबसाइट से ली जा सकती है।

प्रमुख सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज

*राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर (राजस्थान) : भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय स्तर का शीर्ष संस्थान। यहां बीएएमएस, एमडी तथा पीएचडी तक पढ़ाई होती है। * गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय, जामनगर : इसमें विभिन्न राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी अध्ययन करते हैं। यहां बीएएमएस, एमडी , पीएचडी के अतिरिक्त विदेशी विद्यार्थियों के लिए कई अल्पावधि के आयुर्वेद और नेचुरोपैथी से संबंधित पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई है।

* बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), वाराणसी, उत्तर प्रदेश : बीएचयू के आयुर्वेद संकाय में बीएएमएस से लेकर उच्च शोध तक की शिक्षा दी जाती है। यह भारत के सबसे पुराने संस्थानों में से एक है। * तिलक आयुर्वेद महाविद्यालय, पुणे (महाराष्ट्र) : 1933 में स्थापित, भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेजों में से एक। *आल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेदा , नई दिल्ली : 2017 में स्थापित राष्ट्रीय संस्थान, जहां पारंपरिक आयुर्वेद और आधुनिक तकनीक का समन्वय किया जाता है। *श्री कृष्णा आयुर्वेदिक कॉलेज, कुरुक्षेत्र : इस राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज में बीएएमएस और आयुर्वेदिक फार्मेसी की पढ़ाई होती है

प्रमुख निजी आयुर्वेदिक कॉलेज

* श्री बाबा मस्तनाथ आयुर्वेदिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल, रोहतक , हरियाणा। * एम एसएम इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा, खानपुर कलां, हरियाणा। * गौड़ ब्राह्मण आयुर्वेदिक कॉलेज (जीबीएसी), रोहतक, हरियाणा। * डॉ. डी. वाइ. पाटिल आयुर्वेद कॉलेज, पुणे (महाराष्ट्र) * भारती विद्यापीठ आयुर्वेद महाविद्यालय

* श्री धन्वंतरि आयुर्वेद कॉलेज, चंडीगढ़ * एम. एस. आयुर्वेदिक कॉलेज, एर्नाकुलम (केरल)।

आयुर्वेदिक फार्मेसी और नर्सिंग कोर्स

आयुर्वेद क्षेत्र में डिप्लोमा इन आयुर्वेदिक फार्मेसी (डी.फार्मा आयुर्वेद) और बैचलर इन आयुर्वेदिक फार्मेसी (बी. फार्मा आयुर्वेद) कोर्स भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। इन कोर्सों की अवधि क्रमशः 2 और 4 वर्ष होती है। वहीं आयुर्वेदिक नर्सिंग कोर्स में रोगियों की देखभाल, औषधि तैयार करना और पंचकर्म चिकित्सा की जानकारी दी जाती है।

आयुर्वेद की ओर बढ़ता रुझान

आजकल लाइलाज मानी जाने वाली बीमारियों जैसे गठिया, डायबिटीज़, त्वचा रोग, माइग्रेन, मानसिक तनाव आदि में लोग आयुर्वेद की शरण ले रहे हैं। जिसका मुख्य कारण शायद एलोपैथिक दवाओं के लंबे समय तक प्रयोग करने से उत्पन्न होने वाले साइड इफेक्ट हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा न केवल शरीर का उपचार करती है, बल्कि मन और आत्मा के संतुलन पर भी बल देती है। यही कारण है कि आधुनिक युग में भी यह प्राचीन पद्धति फिर से जन-जन की पसंद बन रही है।

Advertisement
×