मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

ऑटिज्म के खिलाफ चले सजगता अभियान

अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता माह के रूप में मनाये जाने की मुहिम ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं के प्रति गहन सामाजिक जुड़ाव का आग्रह करती है। इस माह का मौजूदा वर्ष का थीम, ‘भिन्नताओं का...
Advertisement

अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता माह के रूप में मनाये जाने की मुहिम ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं के प्रति गहन सामाजिक जुड़ाव का आग्रह करती है। इस माह का मौजूदा वर्ष का थीम, ‘भिन्नताओं का जश्न मनाएं’ रखा गया है ताकि समाज में समावेशी इकोसिस्टम बनाने में मदद मिले।

अप्रैल को ऑटिज्म जागरूकता और स्वीकृति माह के रूप में मनाया जाता है। इसके तहत समावेशी नीतियों, शीघ्र हस्तक्षेप और देखभाल करने वाले मनोवैज्ञानिक उपचार की बढ़ती आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इस वैश्विक अभियान की शुरुआत 1970 में ऑटिज्म सोसायटी ऑफ अमेरिका द्वारा की गई थी और साल 2008 से अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता माह के रूप में मनाये जाने की शुरुआत हुई। यह अभियान ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्तियों और उनके परिवारों की आवश्यकताओं के प्रति गहन सामाजिक जुड़ाव का आग्रह करता है। विश्व ऑटिज्म जागरूकता माह के सिलसिले में इस वर्ष का विषय, ‘भिन्नताओं का जश्न मनाएं’, समुदायों में समावेशी इकोसिस्टम के निर्माण को प्रोत्साहित करता है।

Advertisement

न्यूरोडाइवरजेंट बच्चों की चुनौतियों पर पुस्तक

इस संदर्भ में, मुग्धा कालरा की पुस्तक, ‘आई सी यू, आई गेट यू : द सेल्फ-केयर गाइड फॉर स्पेशल नीड्स पेरेंट्स’, एक मार्गदर्शक के रूप में सामने आई है। बैंगलोर में इंडिया इंक्लूजन समिट और इंडियन न्यूरोडायवर्सिटी समिट के दौरान लॉन्च की गई यह पुस्तक परिवारों, शिक्षकों और अभियान से जुड़े कर्मचारियों के लिए एक समयोचित साथी है।

तीमारदारों को सशक्त बनाने के फायदे

यह पुस्तक न्यूरोडाइवरजेंट बच्चों के समक्ष उत्पन्न भावनात्मक, वित्तीय और सामाजिक चुनौतियों के बारे में सीधे बात करती है, खासकर भारत में, जहां प्रणालीगत सुविधा अपर्याप्त है। मुग्धा कालरा - बीबीसी द्वारा चयनित 100 चर्चित महिला 2021 में सम्मानित हुई। वे ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के लिये काम करने वाली संस्था नॉट दैट डिफरेंट की सह-संस्थापक हैं। एक प्रभावित बच्चे की देखभालकर्ता के रूप में अपने व्यक्तिगत अनुभव और अपनी पेशेवर विशेषज्ञता से लाभान्वित करती हैं। वे इस बात पर बल देती हैं कि देखभाल करने वालों को सशक्त बनाने से पीड़ितों के उपचार के व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र में बदलाव आ सकता है।

जनसमर्थन है महत्वपूर्ण

माना जाता है कि जनसमर्थन से पीड़ित बच्चों में आत्मविश्वास और सजगता बढ़ती है। दरअसल, भारत में ऑटिज्म के उपचार में वृद्धि के साथ शुरुआती खतरे के संकेत और समय पर हस्तक्षेप के बारे में सार्वजनिक जागरूकता पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। कई परिवार जागरूकता की कमी के कारण बच्चों के उपचार में देरी करते हैं। ‘ध्वनि- कक्षाओं के उपयोग को बढ़ावा देने वाले चिकित्सकों की आवाजें’, बुकोस्मिया के न्यूरोडायवर्सिटी एडवोकेसी वर्टिकल नॉट दैट डिफरेंट द्वारा प्रत्येक शिक्षक के लिए एक उपयोगी संसाधन है। -फीचर डेस्क

Advertisement