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लक्ष्य की स्पष्टता से पाएं मंजिल

युवा किसी भी क्षेत्र में कैरियर में सफलता चाहते हैं, तो मेहनत के अलावा लक्ष्य तय करना बेहद जरूरी है। से जरा भी इधर-उधर न भटकें। क्योकि लक्ष्य हमें हर पल याद कराये रखता है कि हमें किस ओर...
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युवा किसी भी क्षेत्र में कैरियर में सफलता चाहते हैं, तो मेहनत के अलावा लक्ष्य तय करना बेहद जरूरी है। से जरा भी इधर-उधर न भटकें। क्योकि लक्ष्य हमें हर पल याद कराये रखता है कि हमें किस ओर बढ़ना है। व्यावहारिक रूपरेखा बनाकर लक्ष्य के लिए सतत प्रयास करें। वहीं लक्ष्य कठिनाइयों के समय प्रेरित भी करता है।

जीवन में सफलता पाने को कई लोग दिन-रात मेहनत करते हैं, लेकिन मंजिल दूर ही रहती है। उनकी मेहनत की कोई स्पष्ट दिशा नहीं होती। जबकि कैरियर में सफलता पाने के लिए लक्ष्य की स्पष्टता बहुत जरूरी होती है। यदि मेहनत किये जाने की दिशा ही स्पष्ट न हो, तो कामयाबी नहीं मिलती।

इसलिए जरूरी है स्पष्ट लक्ष्य

लक्ष्य हमें हर पल याद कराये रखता है कि हमें किस ओर बढ़ना है, भटकना नहीं है। यानी लक्ष्य हमें स्पष्ट दिशा प्रदान करता है। अगर आप एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं तो चाहे आप जितनी मेहनत करते हों, हमेशा आगे रहेंगे। लक्ष्य उत्साहित रखता है, कठिनाइयों के समय प्रेरित करता रहता है। अगर हमारे सामने एक लक्ष्य है तो हम एक निश्चित समय के बाद आकलन कर सकते हैं कि कितना आगे बढ़े हैं? अब सुरेश को ही लें वह 12वीं पास करने के बाद से ही सिविल सर्विसेज में जाने का सपना देखता था। लेकिन उसका यह लक्ष्य स्पष्ट नहीं था। उसने कुछ दिन तक सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी की और फिर एमबीए में लग गया। एमबीए क्लीयर नहीं हुआ, तो एसएससी की तैयारी में लग गया। लेकिन पांच साल किसी क्षेत्र में सफलता नहीं मिली तो कारण समझ आया व टाइम टेबल बनाकर यूपीएससी की तैयारी की। लक्ष्य था कि दो साल के भीतर मैन्स एग्जाम पास करके इंटरव्यू तक पहुंचना है और वह तीसरे प्रयास में सचमुच सफल हो गया। इस उदाहरण का संदेश है कि अगर सफलता चाहते हैं, तो लक्ष्य से जरा भी इधर या उधर न भटकें।

तय योजना भी जरूरी

सुरेश से ही मिलती जुलती कहानी वनिता की है। वह एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करती थी और चाहती थी कि वह अगले कुछ सालों में कंपनी की मैनेजर बन जाए। लेकिन कितने समय के भीतर कंपनी का मैनेजर बनना है या मैनेजर बनने के लिए क्या क्या करना है, ऐसा कोई भी खाका उसके पास नहीं था। इसलिए चार साल गुजर गये लेकिन वह मैनेजर बनने के आसार नहीं लगे। एक दिन उसने अपने सीनियर से सलाह ली तो उन्होंने समझाया कि प्रमोशन पाने के लिए पहले अपने आपमें कई तरह के स्किल्स डेवलप करने होंगे। तो वनिता ने डिजिटल मार्केटिंग का सर्टिफिकेट कोर्स किया, टीम लीड प्रोजेक्ट्स लिए और खुद को एक दिशा देकर तैयार किया। आज वनिता अपनी कंपनी में मैनेजर है। हालांकि वह पांच साल के बाद मैनेजर बन सकी, लेकिन उसने प्रयास भी तो चार साल के बाद ही लक्ष्य बनाकर शुरु किए थे।

लक्ष्य की दिशा में ही मेहनत

ऐसी ही तीसरी कहानी कांता की है। कांता 200 मीटर की रिकॉर्ड विनर धाविका बनना चाहती थी, ताकि न सिर्फ नेशनल लेवल पर गोल्ड मेडल जीत सके बल्कि रिकॉर्ड बुक में अपना नाम भी लिखवा सके। लेकिन इस सपने को पूरा करने के लिए कभी कोई स्पष्ट लक्ष्य नहीं बनाया था। साल पर साल गुजरते जा रहे थे, लेकिन गोल्ड मेडल तो दूर, वह सिल्वर मेडल के आसपास भी नहीं फटक रही थी। जल्द ही उसे असफलता का कारण समझ में आ गया। उसने इस लक्ष्य के बारे में अपने कोच को बताया और अपनी ट्रेनिंग को दोगुना ज्यादा बढ़ा दिया। अंततः मेहनत रंग लायी। दो साल की बात दूर, उसने एक साल बाद ही गोल्ड मेडल पर निशाना साध लिया। हां, रिकॉर्ड तोड़ने के लिए कम से कम 10 महीने और उसी स्तर की मेहनत करनी पड़ी।

स्पष्ट रूपरेखा भी बनाएं

एक अंतिम कहानी सुमित की देख लें। वह हमेशा कहता था कि मुझे इंजीनियर बनकर नौकरी नहीं करनी, अपना अंपायर खड़ा करना है। लेकिन किस क्षेत्र में, इस पर तो उसने कुछ सोचा ही नहीं। नतीजा वही हुआ साल दर साल गुजरते जा रहे थे और सुमित जिस इंजीनियर की नौकरी न करने की बात कहता था, उसी से चिपका था। अंततः एक दिन खुद को धिक्कारते हुए स्पष्ट लक्ष्य तय किया कि अगले डेढ़ साल के भीतर सोलर एनर्जी कंपनी शुरू करेगा। उसने नौकरी छोड़कर मार्केट की रिसर्च की, बिजनेस मॉडल बनाया और निवेशकों के साथ बात करके अपने लक्ष्य पर काम शुरु कर दिया। 18 महीने के बाद कंपनी तो नहीं बन सकी, पर स्टार्टअप जरूर तैयार हो गया और ढाई सालों बाद सुमित आज अपनी कंपनी का मालिक है।

लब्बोलुआब यह कि जिसने भी अपनी जिंदगी में स्पष्ट लक्ष्य बनाये, वह हर हाल में सफल हुआ। इसलिए अगर आप भी अपने कैरियर में स्पष्ट कामयाबी चाहते हैं, तो अपना लक्ष्य भी स्पष्ट बनाएं व एक व्यावहारिक रूपरेखा बनाकर उस पर लग जाएं।                                                                                                                                                                            -इ.रि.सें.

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