Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

कला, समाज और संस्कृति को जोड़ता एक जीवंत आंदोलन

कोच्चि मुजि़रिस

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

कोच्चि–मुज़िरिस बिनाले दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समकालीन कला महोत्सव है, जो हर दो वर्ष में कोच्चि शहर को एक विशाल खुला संग्रहालय बना देता है। वर्ष 2012 में शुरुआत के बाद से यह आयोजन इतिहास, संस्कृति, राजनीति और रचनात्मक प्रयोगों को जोड़ते हुए कला को अभिजात्य दायरे से निकालकर आम जनता और वैश्विक समुदाय तक पहुंचाता है।

भारतीय कला जगत में हर दो सालों में दिसंबर के महीने मंे एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में रहता है, वह है—कोच्चि मुजिरिस बिनाले। केरल के ऐतिहासिक बंदरगाह शहर कोच्चि और प्राचीन व्यापारिक नगर मुजि़रिस की सांस्कृतिक स्मृति से प्रेरित यह आयोजन न केवल भारत बल्कि पूरे दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा समकालीन कला महोत्सव माना जाता है। साल 2012 में अपनी पहली पारी से शुरू होकर आज यह एक वैश्विक कला अभिव्यक्ति का केंद्र बन चुका है। यह हर दो साल बाद, कला, इतिहास, राजनीति, लोक-संस्कृति और भविष्य की रचनात्मक संभावनाओं पर विचार विमर्श एक बड़ा मंच तैयार करता है। इस साल यह बिनाले 12 दिसंबर से शुरू होकर 31 मार्च, 2026 तक चलेगा। जब यह शुरू होता है, तो पूरा कोच्चि शहर एक विशाल ओपन म्यूजियम में बदल जाता है।

स्थापना और पृष्ठभूमि

Advertisement

कोच्चि मुजिरिस बिनाले की स्थापना के.बी.जैसन और रियाज कोमू जो कि दोनों प्रमुख भारतीय कलाकार हैं, ने मिलकर साल 2010 में की थी और इसका पहला संस्करण 2012 मंे आयोजित हुआ। इस बिनाले के साथ मुजिरिस नाम को जोड़ना महज भौगोलिक संदर्भ नहीं था बल्कि उन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को सम्मान देना था, इसकी मिसाल प्राचीन मुजिरिस बंदरगाह से मिलती है। जहां सदियों पहले रोमन, अरब, यहूदी और अन्य सभ्यताओं के व्यापारी आते थे।

Advertisement

कलाओं का संगम

इसमंे शामिल होते हैं पेंटिंग्स, इंस्टाॅलेशन आर्ट, परफोर्मेंस आर्ट, डिजिटल और वीडियो आर्ट, साइट-स्पेसिफिक आर्ट वर्क, फोटोग्राफी, ध्वनि, कला, फैब्रिक, मूर्तिकला और इंट्रैक्टिव कला परियोजनाएं। फोर्ट कोच्चि, मट्टनचेरी, एर्नाकुलम के पुराने गोदामों, गैलरियों, औपनिवेशिक इमारतों और समुद्रतटीय स्थानों को अस्थाई कला-स्थलों में बदल दिया जाता है।

लोकतांत्रिक कला दृष्टि

कोच्चि बिनाले के पास अपनी एक लोकतांत्रिक कला दृष्टि है। जबकि दुनिया के कई बड़े बिनाले अत्यधिक औपचारिक और केवल अभिजात्य वर्गों तक सीमित हैं। दूसरी तरफ कोच्चि बिनाले ने शुरुआत से ही इसके केंद्र में आम जनता को रखा है। स्कूलों, काॅलेजों, आर्ट स्टूडियो, मार्केट और पब्लिक स्पेस में कार्यक्रम आयोजित होते हैं। यह आयोजन कला को एलीट चर्चा से निकालकर सार्वजनिक संवाद के दायरे में लाता है।

वैश्विक प्रवेशद्वार

बिनाले ने भारतीय कला को विश्व मानचित्र पर स्थापित किया है। अफ्रीका, यूरोप, एशिया और लैटिन अमेरिका के प्रतिष्ठित कलाकार इसमें भाग लेने के लिए हर वर्ष आते हैं। इसलिए भारतीय कलाकारों को भी अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्किंग, अनुभव और नये विचारों से जुड़ने का मौका मिलता है। इस बिनाले में युवा कलाकार, विद्यार्थी और क्यूरेटरों को विशेष रूप से शामिल किया जाता है। केरल की लोक संस्कृति, समुद्री व्यापार के इतिहास, औपनिवेशिक स्मृति और मलाबार की सांस्कृतिक विविधता, कला के माध्यम से पुनर्गठित होती है। कई प्रोजेक्ट स्थानीय समुदायों को सीधे कला निर्माण में शामिल करते हैं जैसे- मछुआरों, कारीगरों, बुनकरों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं के साथ यह बिनाले सहयोग करता है और उन्हें सीधे कला निर्माण से जोड़ता है।

पर्यटन और कला समाज

बिनाले के चलते कोच्चि में तीन महीनों तक देश-विदेश के लाखों पर्यटक आते हैं। इससे होटल, होम स्टे, भोजनालय, टैक्सी, किताबें और हस्तशिल्प उद्योग पर सकारात्मक असर पड़ता है। यह बिनाले केवल सौंदर्य का उत्सव नहीं है। यह सामाजिक, राजनीतिक मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण संवाद करता है।

कुल मिलाकर कोच्चि-मुजिरिस बिनाले समकालीन भारतीय कला के लिए केवल एक आयोजनभर नहीं है बल्कि एक सांस्कृतिक आंदोलन है। इ.रि.सें.

Advertisement
×