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रोमांच और राेमांस की निराली दुनिया

मलेशिया

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मलेशिया आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विविधता का अद्भुत संगम है। कुआलालम्पुर जैसे चमकते शहर, ऐतिहासिक स्थल, हरियाली से भरपूर पहाड़ और शानदार समुद्र तट इसे पर्यटकों के लिए आकर्षक बनाते हैं। यहां पर हर किसी के लिए कुछ न कुछ खास है – चाहे रोमांच हो, संस्कृति हो या आरामदायक छुट्टियां।

अमिताभ स.

मलेशिया ट्रूली एशिया- अपने पर्यटन नारे पर एकदम खरा उतरता है मलेशिया का चप्पा- चप्पा। वहां क्या- क्या नहीं है? अमेरिकी स्काई लाइन का मुकाबला करती आकाश छूती इमारतें हैं, नेपाल से मिलते-जुलते हरे-भरे शिखर हैं, भारत जैसे नीले गहरे सागर किनारे हैं और दुबई-सा शॉपिंग जलवा भी है। मलेशिया की राजधानी कुआलालम्पुर उतरते ही एयरपोर्ट की भव्यता देख कर ही दंग हो जाते हैं। क्योंकि अपने देश से दस साल बाद अगस्त 1957 को मलेशिया ब्रिटिश राज से आजाद हुआ, लेकिन वहां विकास की गति कहीं अधिक है। समूचे मलेशिया में बिजली और पानी की कोई कमी नहीं है। कुआलालम्पुर की इमारतें, सड़कें और पेड़ तक लाइटों से जगमग करते हैं। इसलिए यह ‘रोशनी का शहर’ कहलाता है।

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कुआलालम्पुर की शान ट्विन टाॅवर

​कुआलालम्पुर के स्काई हाई पेट्रोनाज ट्विन टॉवर दुनिया में सबसे ऊंचे जुड़वां टॉवर हैं और मलेशिया की बहुमुखी ऊंचाइयों की मिसाल हैं। अब तो ट्विन टॉवर कुआलालम्पुर का लैंडमार्क बन गया है। इसका निर्माण 1998 से 2004 के बीच हुआ, तब यह 88 मंजिलों के साथ 1,483 फुट ऊंची दुनिया की सबसे ऊंची इमारत थी। लेकिन फिर इससे ऊंची इमारत दुबई में बुर्ज खलीफा बन गई। मगर अभी भी, पेट्रोनाज टावर्स दुनिया की सबसे ऊंची जुड़वां इमारतें हैं और 41 और 42 वीं मंजिल पर एक आकाशीय पुल से जुड़ी हुई हैं। यह पुल जमीन से 558 फुट ऊपर हैं। इस में एक शानदार सूरिया केएलसीसी शॉपिंग मॉल है, मलेशिया का पहला कन्सर्ट हॉल कई रेस्टोरेंट और बुक स्टोर हैं। मुख्य रूप से, यह इमारत एक ऑयल कंपनी का मुख्यालय है।

यही नहीं, मीनार कुआलालम्पुर भी देखने लायक है। मीनार की चोटी से शहर का 360 डिग्री का नज़ारा दिखाता है। 421 मीटर ऊंचा कंक्रीट टॉवर ऊंचाई की मामले में एशिया का नम्बर वन है। ​ईस्ट और वेस्ट दुनिया के बीच पेनिनसुला मलेशिया ग्लोब पर इधर-उधर दोनों ओर से रास्ते में है। सो, पूरब और पश्चिम का दिलकश फ्यूजन साफ झलकता है।

इक्वेटर की रेखा से एक और सात डिग्री उत्तर में होने के चलते मौसम ट्रोपिकल है। यानी आमतौर पर तापमान 26 डिग्री सेल्सियस के आसपास ही रहता है। पहाड़ी इलाकों में तापमान 18 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। अक्सर मूसलाधार बारिशें होती हैं। इसीलिए उमस से सारा साल सामना होता है।

साझी सांस्कृतिक विरासत

हालांकि, मलेशिया इस्लामिक देश है, लेकिन यहां मस्जिदों के साथ-साथ चीनी और हिन्दू मन्दिरों पर भी भक्तों के मेले लगते हैं। सभी धर्मों के त्योहार और उत्सव धूमधाम से मनाए जाते हैं। गैर-इस्लामी त्योहारों में सबसे बड़ा थाईपुसम है। कुआलालम्पुर के नजदीक बाटू गुफा में भगवान शिव पुत्र मरूग का महामन्दिर है। यहीं हर साल जनवरी या फरवरी में थाईपुसम मनाया जाता है। भक्त शरीर पर बर्छी, सुइयां वगैरह चुभो-चुभो कर मन्नत मांगते हैं।

मलेशिया मार्डन सिटीज और शांत सागर तटों के लिए जाना जाता है। सागर में मूंगों, मछलियों और समुद्री जीवों की अनंत दुनिया है। प्रदूषण से बचाव के लिए मैरीन पार्क डवेल्प किए गए हैं। मूंगों की खेती पर लंगर डालने, वॉटर स्कीइंग, स्पीड बोट रेसिंग, मछली पकड़ने, मूंगे तोड़ने, तटों पर आग जलाने वगैरह पर सख़्त रोक है। पर्यटकों के आकर्षण के लिए अंडर वॉटर तैराकी और फ़ोटोग्राफ़ खींचने की मनाही नहीं है। खास मैरीन पार्कों में कुआला केदाह और लेंगकावी के नजदीक पुलाओ पॉपार, पुलाओ काका, पुलाओ लेम्बू और पुलाओ सेगारेंग खासमखास हैं।

सागर किनारे, तैरते पहाड़

मौज-मस्ती का भरपूर इंतजाम है। कुआलालम्पुर के आसपास ही सनवे लमून, माइंस वंडरलैंड, सफारी लमून वॉटर थीम पार्क वगैरह मौज के अनगिनत ठिकाने हैं। सनवे लमून साउथ अफ्रीका की सन सिटी का मिनी रूप है। और है ख़ूबसूरत स्टेशन-गेन्टिंग हाइलैंड्स। कुआलालम्पुर के नजदीक ही है- केवल 15 किलोमीटर की सड़क दूरी पर। टेढ़ा-मेढ़ा सड़क सफर तय करने में करीब एक घंटा लगता है। आखिरी 20 मिनट का रास्ता रोप- वे ट्रॉली गेन्टिंग स्काई-वे के ज़रिए पूरा करते हैं।

पर्यटकों को लंबा इंतज़ार न करना पड़े, इसलिए 200 ट्रालियां फटफट लाने-ले जाने में जुटी रहती हैं। रोप- वे ट्रॉलियां दुनिया की सबसे तेजी से घूमती मोनो केबल कारें हैं। ​आगे वाकई सपनों का संसार है। सारा-सारा दिन घना कोहरा ही कोहरा छाया रहता है। तन-मन में बड़ा रोमांच पैदा होता है, जब कोहरे का धुआं अगल-बग़ल से छू-छू कर तैरता है।

पांच पंच तारा होटल एक-दूसरे से गुत्थम-गुत्था जुड़े हैं। आपस में फैंटेसी, रोमांच और रोमांस की निराली दुनिया से पिरोए हुए। कल्पना से भी परे खासे लम्बे-चौड़े रेस्टोरेंट हैं। हजार-दो लोग एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। थियेटर, कैसीनो, गोल्फ, इनडोर और आउटडोर थीम पार्क, शॉपिंग वगैरह क्या-क्या नहीं हैं। हर ओर पर्यटक ही पर्यटकों का समुद्र लगता है।

पश्चिमी जलवा भी

इस्लामी देश होने के बावजूद पश्चिमी देशों की सांस्कृतिक हवाओं से अछूता नहीं है। कुआलालम्पुर में नाइट लाइफ बेरोक-टोक जारी रहती है। मुस्लिम लड़कियां सिर पर स्कार्फ जरूर बांधे घूमती हैं और होटल, एयरपोर्ट, स्टोर्स वगैरह में काम भी करती हैं। नशाखोरी के खिलाफ कानून सख्त है और दोषी को मृत्युदंड की सज़ा दी जाती है। कुआलालम्पुर में मेट्रो, बस और टैक्सियों से आना-जाना होता है। मैकडॉनल्ड्स, केएफसी, पिज़्ज़ा हट जैसे विदेशी फास्ट फूड आउटलेट बहुत हैं। बस फर्क है कि इनके बाहर टंगे बोर्डों पर ‘हलाल’ लिखा है। केवल इन्हीं बोर्डों को देखकर मुस्लिम देश होने का अहसास होता है। ​वैसे भी, मलेशिया की आधी आबादी मुस्लिम ही है। बाकी 40 फीसदी चीनी और केवल 10 फीसदी दक्षिण भारतीय हैं। इसीलिए नॉर्थ इंडियन के मुकाबले साउथ इंडियन खाना परोसते ढाबे और रेस्टोरेंट ज़्यादा हैं।

खास बातें

  • एशियाई देश है मलेशिया, राजधानी कुआलालम्पुर है।
  • राष्ट्रीय भाषा ‘भाषा मलेशिया’ है। हालांकि बोलचाल में अंग्रेजी खूब चलती है।
  • करेंसी है ‘रिंग गिट’ या कहें ‘एमवाईआर’। आजकल एक ‘रिंग गिट’ करीब 19 रुपये के बराबर है।
  • अलग-अलग समय पर, मलेशिया पर डच, जापान और ब्रिटेन का राज रहा है।
  • यह लोकतंत्र देश है। सुल्तान का राज है और प्रधानमंत्री मतदान से चुना जाता है।
  •  दिल्ली से करीब साढ़े 4 घंटे की उड़ान भर कर कुआलालम्पुर पहुंचते हैं।
  • मलेशिया अपने देश से ढाई घंटे आगे है। यानी अगर यहां दोपहर के 2 बजे हैं, तो मलेशिया में शाम के साढ़े 4 बजे होंगे।
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