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मेंटल हेल्थ व वेलनेस क्षेत्र में उम्मीदों का पेशा

कई वजहों से देश में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की मांग बढ़ी है। यह सेक्टर तेज विकास कर रहा है। शिक्षा, कारपोरेट, स्पोर्ट्स, जेल और सेना में मेंटल हेल्थ पेशेवरों की जरूरत है।...

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कई वजहों से देश में मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। इस क्षेत्र के विशेषज्ञों की मांग बढ़ी है। यह सेक्टर तेज विकास कर रहा है। शिक्षा, कारपोरेट, स्पोर्ट्स, जेल और सेना में मेंटल हेल्थ पेशेवरों की जरूरत है। एमए या एमएससी मनोविज्ञान के बाद क्लीनिकल साइकोलॉजी, काउंसलिंग साइकोलॉजी या वेलनेस कोचिंग फील्ड में कैरियर बना सकते हैं।

भारत में हर आठ में से एक व्यक्ति मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से घिरा हुआ है – यह तथ्य विश्व स्वास्थ्य संगठन की 2024 की एक मानसिक स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट में सामने आया है। इसलिए भारत में मेंटल हेल्थ और वेलनेस सेंटर्स की संख्या तेजी से बढ़ी है। आज शिक्षा, कारपोरेट, स्पोर्ट्स, जेल, सोशल सेक्टर और मिलिट्री यानी भारतीय सेनाओं आदि सभी जगहों पर एक मानसिक स्वास्थ्य प्रोफेशनल की जरूरत है। देश में कई ऐसी योजनाएं भी चला रखी हैं, जिसमें मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नियुक्ति होती है। जैसे- नेशनल टेली मेंटल हेल्थ प्रोग्राम और मनोदर्पण (विद्यार्थियों के लिए)। मानसिक स्वास्थ्य संबंधी विशेषज्ञों की मांग के कारण आज मेंटल हेल्थ और वेलनेस सेक्टर में सालाना 15 से 20 फीसदी की वृद्धि दर जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वृद्धि दर अगले कई सालों तक बरकरार रहेगी। साल 2025 में जहां भारत में 1 लाख साइकोलॉजी और काउंसलिंग प्रोफेशनल्स की जरूरत है।

न्यूनतम शैक्षिक योग्यता

यह क्षेत्र कितनी तेजी से शानदार कैरियर का उभरता हुआ क्षेत्र बन गया है। सवाल है इस सेक्टर में कैरियर बनाने के लिए न्यूनतम क्वॉलीफिकेशन क्या है? तो अगर आपको काउंसलिंग प्रोफेशनल्स बनने की दिशा में आगे बढ़ना है, तो आपको बीए या बीएससी साइकोलॉजी में होना जरूरी है। इसके बाद पीजी प्रोग्राम करने के लिए एमए या एमएससी इन साइकोलॉजी होना जरूरी है। तभी क्लीनिकल साइकोलॉजी या काउंसलिंग साइकोलॉजी में कैरियर बना सकते हैं। अगर पीजी के बाद का कैरियर बनाना है तो एमफिल इन क्लीनिकल साइकोलॉजी (आरसीआई-अप्रूव्ड) कोर्स आप पीजी के बाद कर सकते हैं और अगर थैरेपी और वेलनेस कोचिंग में कैरियर बनाना है, तो किसी भी डिसिप्लिन से ग्रेजुएट होने के बाद आपको सर्टिफिकेट या डिप्लोमा काउंसलिंग/आर्ट थैरेपी में लेना होगा। वेलनेस कोचिंग के लिए भी यही न्यूनतम शैक्षिक जरूरत है।

 प्रमुख कोर्स और स्पेशलाइजेशन

क्लीनिकल साइकोलॉजी- मानसिक रोगों की पहचान, परीक्षण और उनकी चिकित्सा के लिए यह स्पेशलाइजेशन जरूरी है।

काउंसलिंग साइकोलॉजी- रिश्ते, तनाव, छात्रों की परेशानियों, पारिवारिक समस्याओं आदि की काउंसलिंग करने के लिए काउंसलिंग साइकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन जरूरी है। चाइल्ड एंड एडोलसेंट साइकोलॉजी- बच्चों और किशोरों की मानसिक समस्याओं का इलाज करने के लिए इस विषय में स्पेशलाइजेशन होना चाहिए। रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजी- दिव्यांगों या मानसिक रोगियों के पुनर्वास में मदद आदि के लिए रिहैबिलिटेशन साइकोलॉजी में स्पेशलाइजेशन जरूरी है। वेलनेस कोचिंग/होलिस्टिक साइकोलॉजी- योग, मेडीटेशन, जीवनशैली और संतुलन की काउंसलिंग के लिए यह विशेषज्ञता चाहिये।

पढ़ाई के लिए प्रमुख संस्थान

निमहांस, बेंगलुरु- यहां से आप आरसीआई अप्रूव्ड एम.फिल. इन क्लीनिकल साइकोलॉजी का कोर्स कर सकते हैं। टिस, मुंबई- यहां से काउंसलिंग स्पेशलाइजेशन के लिए एमए इन अप्लाइड साइकोलॉजी की डिग्री ले सकते हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय- यहां से एमए साइकोलॉजी की पढ़ाई कर सकते हैं। जामिया मिलिया इस्लामिया, दिल्ली- यहां से क्लीनिकल साइकोलॉजी की पढ़ाई की जा सकती है। क्राइस्ट यूनिवर्सिटी बेंगलुरु- यहां से बीए और एमसी इन साइकोलॉजी की पढ़ाई कर सकते हैं। अबेडकर यूनिवर्सिटी, दिल्ली- यहां से आप एमए साइकोलॉजी की पढ़ाई कर सकते हैं। इग्नू- यहां से पीजी डिप्लोमा इन मेंटल हेल्थ काउंसलिंग विषय की पढ़ाई कर सकते हैं।

जरूरी स्किल्स

मेंटल हेल्थ और वेलनेस क्षेत्र में कैरियर बनाने के लिए उम्मीदवार में कुछ पेशेवर कौशल होने जरूरी हैं। मसलन, इम्पैथी और लिसनिंग स्किल, इमोशनल इंटेलीजेंस, इथिक्स एंड कॉन्फिडेंटलिटी, डायग्नोस्टिक टेक्निक, बेसिक न्यूरो साइंस अंडरस्टैंडिंग, काउंसलिंग टेक्निक (सीबीटी, आईबीटी, टॉक थैरेपी)।

जॉब प्रोफाइल

क्लीनिकल साइक्लॉजिस्ट- हॉस्पिटल, मानसिक संस्थान में कार्यरत होता है। काउंसलर (स्कूल, कैरियर, मैरिज)- स्कूल, एनजीओ या फिर प्राइवेट क्लीनिक में काउंसलर की जॉब होती है। वेलनेस कोच- फिटनेस सेंटर और कारपोरेट ऑफिस में इनकी नियुक्ति होती है। साइकेट्रिक सोशल वर्कर- इनकी नियुक्ति सरकारी संस्थानों, जेल और पुनर्वास केंद्र में होती है। आर्ट/म्यूजिक थैरेपिस्ट- इनकी नियुक्ति स्कूलों और एनजीओ में होती है। टेली हेल्थ काउंसलर- इनकी नियुक्ति ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और हेल्थ स्टार्टअप में होती है।

नौकरी देने वाली संस्थाएं व कंपनियां

सरकारी व अकादमिक संस्थान- निमहांस, एम्स, राज्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्र- शिक्षा विभाग (स्कूल काउंसलर), टेली मानस प्रोजेक्ट- निजी कंपनियां/एनजीओ, स्टार्टअप, योर दोस्त, वाइसा, इनर आवर- फोर्टिस हेल्थ मेंटल डिपार्टमेंट, माइंड पियर्स, ट्री जॉब- यूनिसेफ , क्राई , स्माइल फाउंडेशन तथा विभिन्न स्कूल और विश्वविद्यालय।

सैलरी पैकेज

स्कूल काउंसलर का सालाना वेतन आम तौर पर 3 से 5 लाख रुपये, क्लीनिकल साइक्लॉजिस्ट (आरसीआई सर्टिफाइड) का 5 से 8 लाख रुपये, एनजीओ-सोशल सेक्टर पेशेवर का 2.5 से 4 लाख रुपये व वेलनेस कोच का 3 से 6 लाख रुपये। वहीं टेली काउंसलर को प्रतिमाह 25-50 हजार रुपये सेलरी मिल सकती है। -इ.रि.सें.

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