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किंग साइज मौज-मस्ती और ऐश की लाइफ

गोवा

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नीलापन समेटे सागर, सुनहरी रेत, चर्चों की घंटियां और फेनी की खुशबू—गोवा हर बार नए रंगों में दिल को छूता है। यहां की हर गली, हर लहर एक कहानी कहती है। भारतीय और पुर्तगाली संस्कृति का यह संगम, छुट्टियों को यादगार बना देता है।

अमिताभ स.

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नीलम जैसा नीला सागर और आसमान, सोने जैसी सुनहरी रेत और पन्ने जैसी हरी हरियाली। चर्च, मंदिर और मस्जिद। अंतर्राष्ट्रीय व्यंजन, स्थानीय सी-फूड, फेनी समेत तरह-तरह की दारू-शराब और एक से एक स्वादिष्ट फल यानी दिल्लगी के फुल्लम-फुल मसाले। लाइफ किंग साइज जैसी मौज-मस्ती और ऐश की धरती। यही है गोवा। जब-जब घूमने जाएं, हर बार नया पाएं। कोई तारीफ में कहता है कि वाकई ‘ज्वेल ऑफ इंडिया’ है। तो कोई इसे ‘पर्ल ऑफ ओरियन्ट’ के नाम से पुकारता है। मिली-जुली संस्कृतियां संजोए है- भारतीय और पुर्तगाली। गोवा हवाई अड्डे पर उतरते ही दिल बाग-बाग हो उठता है और हर मन फिल्मी तरानें गुनगुनाने लगता है।

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छिलकेदार काजू और फेनी का फन

गोवा का सी-फूड क्या बात है। और फेनी है गोवा का ठेठ अपना पेय। काजू से बनती है, खासी सस्ती है, बावजूद इसके सैलानियों को कम ही पसंद आती है। फिर भी, सौगात के तौर पर, एक-दो बोतल हर सैलानी अपने संग ले जाता है। छिलकेदार काजू भी गोवा में खूब मिलते हैं। चप्पे-चप्पे पर हरियाली है। शहर छोटे-छोटे हैं और ज्यादातर हरियाली भरे रास्ते हैं। इसलिए घूमने-फिरने के लिए किराए पर टैक्सी और बाइक मिलते हैं। सैलानियों को खुद ही भाड़े पर बाइक या कार/जीप लेकर ड्राइव पर निकलना ज्यादा रोमांचक और बगैर बंदिशों के लगता है।

गोवा की आबादी 15 लाख से ऊपर है। जबकि देश-विदेश से हर साल 25 लाख घूमंतु उमड़ते हैं। गोवा 3702 वर्ग किलोमीटर इलाक़े में फैला है। अरब सागर के तट पर बसा है। सरहदें महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों को छूती हैं। राजधानी पणजी है, जबकि वास्कोडीगामा सबसे बड़ा शहर है। ज्यादातर कोंकणी, मराठी और अंग्रेजी भाषाएं बोली जाती हैं। इतिहास बताता है कि दिसम्बर, 1961 में गोवा, दमन और दयू करीब 450 बरस (सन‌् 1510 से) के पुर्तगाली शासन से एक साथ आजाद हुए। फिर 1987 में, गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। इससे पहले यह यूनियन टेरटरी यानी केन्द्रशासित प्रदेश था।

पणजी की नजारे

पणजी के अलावा वास्कोडीगामा, मारगोवा, मोरमुगाओ, पिलार, मापूसा वगैरह मशहूर शहर हैं। पणजी मनडोवी नदी के बाएं किनारे पर बसा छोटा-सा खूबसूरत शहर है। यहां करीब-करीब सभी इमारतें लेटिन शैली की हैं। ज्यादातर की दीवारें सफेद हैं और छतें लाल रंगी हैं। यहां-वहां मूर्तियां और गुलमोहर की पत्तियां ध्यान खींचती हैं। करीबी हिल टॉप एलिटनहो से पणजी का नजारा बखूब दिखता है। पणजी से 33 किलोमीटर की दूरी पर है मारगोवा। यह मडगांव भी कहलाता है। यही साउथ गोवा की राजधानी है और गोवा का प्रमुख कारोबारी शहर भी। मोरमुगाओ बंदरगाह है, पणजी से करीब 34 किलोमीटर और वास्कोडीगामा से महज 4 किलोमीटर परे। नॉर्थ गोवा का शहर मपूसा भी खास है- पणजी से 13 किलोमीटर दूर। खासियत है कि यहां बाजार में हर शुक्रवार को मेला लगता है। और तो और पणजी से 11 किलोमीटर आगे पिलार है, यहां ईसाई मिशनरी का जाना-माना धार्मिक और शैक्षिक केन्द्र है। इसी पहाड़ी से मोरमुगाओ पोर्ट और जुआरीखिर का दिलकश नजारा देखने योग्य है।

साउथ की काशी

गोवा में गिरजाघरों और मंदिरों की भरमार है। इसलिए गोवा को कभी ‘ईस्ट का रोम’, तो कभी ‘साउथ का काशी’ कहा जाता है। इतिहास गवाह है कि 16वीं सदी में, आदिल शाह द्वारा बसाया गया था पुराना गोवा। बीजापुर से अपनी राजधानी बदलने के लिए उन्होंने पुराना गोवा बसाया। यहीं है बोर्न जीसस बासिलिका का चर्च। सेंट फ्रांसिस जेवियर के अवशेष, ममी के रूप में, आज तक यहां चांदी के बक्से में सुरक्षित हैं। सेंट फ्रांसिस जेवियर का शव सोने के तकिए पर चिरनिन्द्रा में सो रहा है। चर्च शिशु ईसा को समर्पित है। दस साल में एक दफा संत के दर्शन किए जा सकते हैं।

एकदम सामने सड़क पार है सेंट कैथेड्रल चर्च। यही गोवा का सबसे बड़ा चर्च है। पणजी का एक और चर्च आवर लेडी ऑफ इमाकुलेट कॉनसेप्शन अपनी सीढ़ियों की बेजोड़ नक्काशी के लिए विख्यात है। सेंट लॉरेंस, आवर लेडी ऑफ पेरी, सेंट आना, सेंट थॉम्स वगैरह और भी खास चर्चें यहां हैं।

पांचवीं सदी का ब्रह्मा मंदिर

पणजी से 28 किलोमीटर दूर है 500 साल से ज्यादा पुराना श्रीभगवती मन्दिर। मन्दिर परिसर में एक नहीं, बल्कि अलग-अलग 5 मंदिर हैं। भीतर मां भगवती की अष्टभुजा की खड़ी मुद्रा की अनुपम प्रतिमा मन मोहती है। उधर क्यूपीम की पहाड़ियों के शिखर पर है श्री चन्द्रनाथ मंदिर। मंदिर ऐसा बना है कि पूर्णिमा की रात में, चंद्र ललिमा सीधे शिवलिंग पर दमक उठती है। और है ब्रह्म केरेमबीलियम गांव में पांचवीं सदी का ब्रह्मा मंदिर। कम को ही मालूम है कि यह देश में भगवान ब्रह्मा के गिने-चुने मंदिरों में से एक है।

वाइल्ड लाइफ सफारी और बर्ड सेंचुरी

तमाम समुद्री तट और लहरों के दिलकश नजारों के चलते ही गोवा पहले-पहले पर्यटक नक्शे पर उभरा। करीब 100 किलोमीटर लम्बे समुद्री किनारे पर दुनिया के कई जाने-माने बीच हैं। नॉर्थ गोवा का 7 किलोमीटर घुमावदार किनारा है कलानगुट बीच और साउथ की ओर खूबसूरत तट का नाम कोल्वा बीच है। अरामवोल बीच चट्टानों और रेत के अनूठे मेल के लिए जाना जाता है। नारियल के ऊंचे पेड़ों और चट्टानी माहौल विदेशी टूरिस्ट्स को खूब भाता है। नॉर्थ गोवा के बागा, केंडोलियम, मीरामार जैसे बीच हैं, तो साउथ में बेंबोलिम, अगोडा, मजोरदा वगैरह। अंजुना बीज चापोरा किले के करीब है। समुद्री खेल-क्रीड़ाएं और पिकनिक के लिए डोना पौला बीच सबसे आगे हैं। रेतीला पलोलम बीच गोवा के साउथ में है। गोवा के कुछ और दर्शनीय स्थलों में भगवान महावीर वाइल्ड लाइफ सफारी और सलीम अली बर्ड सेंचुरी का उल्लेखनीय हैं।

मनडोवी नदी पर डांस क्रूज

एक और बड़ा आकर्षण है- क्रूज। मनडोवी नदी पर डांस क्रूज पर हर नया पर्यटक जरूर जाता है। उधर चापोरा नदी में, हाउस बोट क्रूज भी खासमखास है। और फिर, क्रूज में सफर करते-करते कसीनो खेलिए। काइट, सनबर्न और जैज फेस्टिवल तो गोवा की जान हैं। नवम्बर में फिल्म फेस्टिवल और फरवरी में कार्निवल का सारी दुनिया बेसब्री से इंतजार करती है। इसीलिए मौजां ही मौजां के नए-पुराने तौर-तरीकों के कॉकटेल के साथ गोवा का सैर-सपाटा हर बार यादगार बन जाता है।

कैसे जाएं : दिल्ली से गोवा ढाई घंटे में

गोवा सारा साल छुट्टियां गुजारने का सदाबहार ठिकाना है। फिर भी, मौसम खुशनुमा होने की वजह से अक्टूबर से मई तक बेस्ट महीने हैं। नवंबर से फरवरी पीक सीजन है, इसलिए होटल बहुत मंहगे मिलते हैं। जून और जुलाई में मॉनसून का लुत्फ खूब ले सकते हैं। इस दौरान, होटलों के सस्ते पैकेज भी उतरते हैं। यूं भी, गोवा जाना आसान है। 1970 के दशक की हिट फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ गोवा तक के हसीन सड़क सफर पर ही थी। सड़क ही नहीं, गोवा दिल्ली से रेल और उड़ान से जुड़ा है। सीधी उड़ान से दिल्ली से गोवा पहुंचने में करीब ढाई घंटे लगते हैं। जबकि अलग- अलग रेलगाड़ियां करीब 25 से 30 घंटे लगाती हैं।

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