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संभावनाओं से भरपूर एक रचनात्मक कैरियर

आर्किटेक्चर

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अशोक जोशी

शहरीकरण और प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ, योजना बनाने, डिज़ाइन करने और भवन निर्माण के नए तरीकों का उदय हुआ है। गगनचुंबी इमारतों, राजमार्गों, आवास परिसरों, मॉल आदि बनाने की आवश्यकता के कारण, एक आर्किटेक्चर बैचलर की आवश्यकता बढ़ रही है। आर्किटेक्चर कोर्स में से एक प्रसिद्ध कोर्स है जिसे बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर कहा जाता है। इस कोर्स में मानविकी, इंजीनियरिंग, सौंदर्यशास्त्र आदि की विभिन्न धाराओं के कई पहलू शामिल हैं। बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर कोर्स में विभिन्न सिद्धांत विषय, स्टूडियो, परियोजना कार्य, व्यावहारिक प्रशिक्षण और अनुसंधान प्रशिक्षण शामिल हैं। यदि आप अपने भविष्य के लिए एक रचनात्मक कैरियर चुनना चाहते हैं, तो बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर आपके लिए एक अच्छा जॉब विकल्प है।

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आर्किटेक्चर का कार्य

आर्किटेक्चर का कार्य होता है कि वह पहले किसी भी संरचना के बारे में एक प्लान बनाएं और फिर उसका डिजाइन तैयार करें और उसके बाद में उसका निर्माण करवाएं, आज हम जितने भी बड़े-बड़े बांध इमारतें देखते हैं जिनके डिजाइन एकदम हटकर होते हैं या साधारण भी होते हैं तो यह सभी एक आर्किटेक्चर द्वारा ही बनाए जाते हैं। किसी भी बिल्डिंग को बनाने से पहले उसकी पूरी तैयारी करनी पड़ती है जो आर्किटेक्चर ही करता है। आर्किटेक्चर हमको बताते हैं कि इस बिल्डिंग का निर्माण कैसे होगा और ये कैसी दिखेगी। आर्किटेक्चर सबसे पहले बनने वाली बिल्डिंग के बारे में सारी बातें जान लेता है तब उसका प्लान बनता है, प्लान बनाने के बाद ही बिल्डिंग का काम आगे शुरू किया जाता है। आर्किटेक्चर अलग-अलग तरीके की डिज़ाइन बनाने में माहिर होता है।

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आर्किटेक्चर बनने की योग्यता व कोर्स

आर्किटेक्चर बनने के लिए आपको इसका कोर्स करना होता है। इसके लिए 12वीं कक्षा गणित और इंग्लिश के साथ में कम से कम 50 फीसदी अंकों से पास होना अनिवार्य है। अगर आपने 10वीं के बाद डिप्लोमा कोर्स किया है तो आर्किटेक्चर की डिग्री कर सकते हैं जिसके लिए 12वीं पास जरूरी नहीं। आर्किटेक्चर में कैरियर के लिए बैचलर ऑफ़ आर्किटेक्चर (बी. आर्क) की डिग्री लेनी होती है।

बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर कोर्स क्या है?

बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर में इमारतों के मॉडल डिज़ाइन करने, निर्माण ब्लूप्रिंट तैयार करने और किसी भी भूमि और भवन की अन्य भौतिक संरचनाओं का अध्ययन शामिल है। इस कोर्स को करने के इच्छुक उम्मीदवारों के लिए विज्ञान में एक मज़बूत पृष्ठभूमि होना अनिवार्य है। आमतौर पर कोर्स 5 वर्ष लंबा होता है, लेकिन कुछ विश्वविद्यालय 3-4 साल का कोर्स प्रदान करते हैं। बैचलर ऑफ आर्किटेक्चर के लिए स्पेशलाइज़ेशन में आर्किटेक्चरल इंजीनियरिंग, आर्किटेक्चरल इतिहास, आर्किटेक्चरल डिज़ाइन, इंटीरियर आर्किटेक्चर, अर्बन प्लानिंग, लैंडस्केप आर्किटेक्चर शामिल है।

डिग्री ही काफी नहीं

आर्किटेक्चर में कैरियर के लिए, रचनात्मकता, तकनीकी दक्षता, और परियोजना प्रबंधन जैसे कौशल ज़रूरी होते हैं। वहीं आर्किटेक्चर को डिग्री हासिल करने के साथ ही कुछ सॉफ्टवेयर भी सीखने पड़ते हैं जैसे कि ऑटोकैड या ऐसे सॉफ्टवेयर जिनमें आर्किटेक्चर किसी बिल्डिंग का डिजाइन बना पाते है। सॉफ्टवेयर में काम करने के लिए स्केचअप, रेविट, 3 डी स्टूडियो मैक्स, ऑटोकैड, वी-रेए फोटोशॉप और हैंड ड्राइंग आना बहुत जरूरी होता है। इस क्षेत्र के पेशेवरों में एनालिटिकल स्किल्स,समस्या समाधान करने का हुनर, क्रिएटिविटी, गणित की अच्छी समझ, एल्गोरिदम मॉडल की समझ के साथ ही तकनीकी स्किल्स तथा कम्प्यूटर का ज्ञान होना ज़रूरी है।

कैरियर संभावनाएं

एक अनुमान के अनुसार आर्किटेक्चर सेवाओं का बाज़ार 2025 तक 395 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। यह बेहतर प्रदर्शन और कैरियर बनाने की संभावनाएं प्रदान करता है। आर्किटेक्चर में कैरियर के कई क्षेत्र हैं, जैसे आवासीय और वाणिज्यिक डिज़ाइन, शहरी नियोजन आदि। आर्किटेक्चर में कैरियर, डिज़ाइन, रचनात्मकता, और नवाचार के प्रति जुनूनी छात्रों के लिए कई अवसर प्रदान करता है। एक आर्किटेक्ट्स के रूप में आप प्राइवेट, पब्लिक एवं गवर्नमेंट किसी भी सेक्टर में कैरियर बना सकते हैं। पब्लिक सेक्टर में लोक निर्माण, सिंचाई, स्वास्थ्य जैसे विभागों में आर्किटेक्ट की मांग लगातार बनी रहती है। वहीं आर्किओलॉजिकल डिपार्टमेंट, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस, रेलवे, इसके अलावा, लोकल एजेंसी, एस्टेट डिपार्टमेंट, हाउसिंग में भी नौकरी की तलाश कर सकते हैं। कुछ वर्षों का अनुभव हासिल कर लेते हैं, तो कंसल्टेंट और कंस्ट्रक्टर के रूप में बिजनेस की शुरुआत भी कर सकते हैं। कंस्ट्रक्शन के क्षेत्र में बडे पैमाने पर हो रहे इन्वेस्टमेंट के कारण ऑकिटेक्चर की डिमांड लगातार बढ़ती जा रही है। जानकारों की मानें, तो भारत में ऑकिटेक्चर की मांग और सप्लाई में अभी भी काफी अंतर है।

अच्छी आय वाला कैरियर

भारत में आर्किटेक्चर में स्नातक की औसत सैलरी 4-5 लाख रुपये प्रति वर्ष है. हालांकि, अनुभव, योग्यता, स्थान, और प्रकार के आधार पर वेतन अलग-अलग हो सकता है। एक ऑकिटेक्ट के रूप में जब आप किसी प्राइवेट सेक्टर में जॉब शुरू करेंगे तो आपकी सैलरी 20 से 25 हजार रुपये प्रति माह हो सकती है। हालांकि सैलरी ऑर्गेनाइजेशन के आकार और आपके अनुभव पर भी डिपेंड करती है। दो से चार साल के अनुभव के बाद मासिक सैलरी 50 हजार रुपये से अधिक हो सकती है। वहीं गर्वनमेंट सेक्टर में पे-स्केल के अनुसार लाखों में सैलरी पा सकते हैं।

प्रमुख संस्थान

आर्किटेक्चर में कैरियर के लिए बेहतर कॉलेज चुनना बहुत ज़रूरी है। कोर्स की फीस कॉलेज के आधार पर अलग-अलग होती है। छात्रवृत्ति के लिए भी आवेदन किया जा सकता है, जिससे ट्यूशन फ़ीस के लिए पूर्ण या आंशिक अनुदान मिलता है। देश में इस क्षेत्र के प्रमुख संस्थान हैं : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान खड़गपुर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान मैंगलोर, दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ विश्वविद्यालय, एस.आर.एम. विज्ञान और इंजीनियरिंग कॉलेज पुणे और स्कूल ऑफ प्लानिंग ऐंड आर्किटेक्चर नई दिल्ली।

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