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Explainer: गुरुग्राम के बंधवारी लैंडफिल में लीचेट संकट क्या है, समझिए पूरा मामला और पर्यावरणीय खतरे

Leachate Disposal: शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल द्वारा जंगल क्षेत्रों में लीचेट के अवैध निस्तारण को लेकर हाल ही में दिए गए निर्देशों ने एक बार फिर गुरुग्राम के पास स्थित बंधवारी लैंडफिल पर चल रहे संकट की ओर...
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Leachate Disposal: शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल द्वारा जंगल क्षेत्रों में लीचेट के अवैध निस्तारण को लेकर हाल ही में दिए गए निर्देशों ने एक बार फिर गुरुग्राम के पास स्थित बंधवारी लैंडफिल पर चल रहे संकट की ओर ध्यान खींचा है।

दरअसल, लीचेट एक जहरीला तरल पदार्थ होता है जो तब बनता है जब बारिश का पानी या अन्य नमी कचरे के ढेर से होकर गुजरती है और उसमें मौजूद घुलनशील या निलंबित अपशिष्ट पदार्थों को अपने साथ बहा ले जाती है। यह तरल अत्यंत विषैला होता है और यदि इसका सही ढंग से प्रबंधन न किया जाए, तो यह मिट्टी, भूजल और आसपास के जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकता है।

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बंधवारी लैंडफिल में लीचेट संकट क्या है?

गुरुग्राम के पास स्थित बंधवारी लैंडफिल पर कचरा प्रबंधन क्षमता और उत्पन्न कचरे की मात्रा के बीच भारी असंतुलन है। इस कारण यह स्थान कचरे के एक विशाल ढेर में तब्दील हो चुका है। हर बार बारिश होने पर यहां से लीचेट रिसकर नजदीकी जंगलों में पहुंच जाता है, जिससे मिट्टी और जल स्रोत प्रदूषित हो रहे हैं।

पर्यावरणविद लंबे समय से इस स्थिति पर चिंता जता रहे हैं। 2024 में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) ने आसपास के तालाबों के पानी की जांच की थी, जिसमें लीचेट प्रदूषण की पुष्टि हुई थी। 2021 में वन्यजीव विभाग के एक सर्वे में पाया गया था कि लैंडफिल का ठेका संभाल रही एजेंसी ने जानबूझकर हजारों लीटर लीचेट को अरावली क्षेत्र की परित्यक्त खनन खाइयों में डाला था, जो कि एक पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र है।

वर्तमान स्थिति क्या है?

नगर निगम के प्रयासों के बावजूद, लीचेट को एकत्र करने और परिवहन करने के लिए नियुक्त ठेकेदार इसे उपचारित करने के बजाय जंगलों में ही अवैध रूप से फेंक रहे हैं। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की शिकायतों के बाद शहरी स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने इस पर जांच के आदेश दिए हैं और दोषियों के खिलाफ FIR दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

MCG क्या कदम उठा रहा है?

लीचेट के अनियंत्रित रिसाव को रोकने के लिए गुरुग्राम नगर निगम (MCG) ने हाई-डेंसिटी पॉलीइथिलीन (HDPE) लाइनिंग वाली एक निकासी नाली का निर्माण किया है, जो लीचेट को एक संग्रहण गड्ढे तक पहुंचाती है। इस गड्ढे के माध्यम से इसे अधिकृत उपचार केंद्रों तक पहुंचाया जाता है। यह व्यवस्था सड़कों और सार्वजनिक स्थलों पर लीचेट के रिसाव को भी रोकती है।

अब HSPCB और MCG, एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (TERI) के साथ मिलकर स्थल पर ही लीचेट उपचार की एक व्यापक योजना पर कार्य कर रहे हैं। हालांकि, लीचेट के अवैध निस्तारण की लगातार मिल रही शिकायतें यह दर्शाती हैं कि इस संवेदनशील अरावली पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए सख्त निगरानी और प्रवर्तन अब भी बेहद जरूरी हैं।

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