मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

Explainer: अवैध गर्भपात रोकने की जंग, करनाल का मॉडल क्यों बन रहा उदाहरण

Action against illegal abortion: ‘रिवर्स ट्रैकिंग’ पद्धति हो रही कारगर साबित
Advertisement

Action against illegal abortion: करनाल स्वास्थ्य विभाग अब अवैध गर्भपात और लिंग निर्धारण जैसी गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों पर शिकंजा कस रहा है। विभाग ने इसके लिए नवाचारपूर्ण ट्रैकिंग विधियों को अपनाया है और इनकी मदद से उत्तर प्रदेश के दो स्वास्थ्य केंद्रों का पता लगाया है। अधिकारियों का मानना है कि इन सख्त कदमों से जिले का लिंगानुपात आने वाले समय में और बेहतर होगा। यहां जानिए पहल, लिंगानुपात में सुधार और विभाग के सामने मौजूद चुनौतियों के बारे में विस्तार से।

इन केंद्रों का पता कैसे लगाया गया?

नियमित निरीक्षणों के दौरान करनाल जिले की स्वास्थ्य टीमों ने दो ऐसी महिलाओं की पहचान की, जिन्होंने हाल ही में गर्भपात करवाया था। जब अधिकारियों ने उनसे और उनके परिवारजनों से पूछताछ की, तो दोनों ने बताया कि उन्होंने हरियाणा के बाहर जाकर यह प्रक्रिया करवाई थी। एक महिला ने कहा कि उसने सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) में गर्भपात करवाया, जबकि दूसरी ने बताया कि उसका गर्भपात शामली (उत्तर प्रदेश) में हुआ। विभाग ने दोनों मामलों की पुष्टि के बाद उन केंद्रों की पहचान कर ली जहां गर्भपात करवाया गया था।

Advertisement

स्वास्थ्य विभाग ने क्या कार्रवाई की है?

करनाल स्वास्थ्य विभाग ने सहारनपुर और शामली स्थित इन केंद्रों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 89 के तहत दो एफआईआर दर्ज की हैं।

क्या है ‘रिवर्स ट्रैकिंग’ और यह कैसे काम करती है?

‘रिवर्स ट्रैकिंग’ एक ऐसी जांच पद्धति है जिसमें स्वास्थ्य अधिकारी अवैध गर्भपात या लिंग निर्धारण केंद्रों का पता उलटी दिशा में लगाते हैं। यानी जांच किसी क्लिनिक या सूचना से नहीं, बल्कि उन महिलाओं से शुरू की जाती है जिन्होंने गर्भपात करवाया है। महिलाओं की गवाही के आधार पर अधिकारी यह पता लगाते हैं कि गर्भपात कहां किया गया। हाल ही में अपनाई गई इस पद्धति से विभाग को सहारनपुर और शामली स्थित अवैध केंद्रों का पता लगाने में सफलता मिली। अधिकारियों का मानना है कि यह तरीका मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट (MTP Act) के उल्लंघनों को रोकने में बेहद प्रभावी साबित हो रहा है।

अवैध गर्भपात रोकने में क्या चुनौतियां हैं?

अक्सर ये गैरकानूनी प्रक्रियाएं पड़ोसी राज्यों या बिना लाइसेंस के चलने वाले निजी केंद्रों में की जाती हैं। ऐसे केंद्र निगरानी की कमी और अंतर-राज्यीय समन्वय के अभाव का फायदा उठाते हैं। अतीत में भी विभाग ने कई अंतरराज्यीय और अंतर-जिला अवैध गर्भपात व लिंग जांच केंद्रों का भंडाफोड़ किया है। विभाग इन्हें बालिका अनुपात में असंतुलन और भ्रूणहत्या रोकने की सबसे बड़ी चुनौती मानता है।

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान क्या है और करनाल में इसका असर कैसा रहा है?

‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान बाल लिंगानुपात सुधारने और बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया राष्ट्रीय कार्यक्रम है। इसे प्रधानमंत्री ने 22 जनवरी 2015 को शुरू किया था। इस अभियान का करनाल में सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जिले का लिंगानुपात 2014 में 886 से बढ़कर 2024 में 926 हो गया — यानी 10 साल में 40 अंकों का सुधार। 2023 में यह अनुपात 908 था, जो 2024 में बढ़कर 926 पहुंचा और हरियाणा में करनाल चौथे स्थान पर आ गया। अगस्त 2025 में यह अनुपात 920 था, जो सितंबर में बढ़कर 926 हो गया।

विभाग की ओर से उठाए जा रहे कदम

पिछले एक दशक में स्वास्थ्य विभाग ने अल्ट्रासाउंड केंद्रों, अस्पतालों और अन्य संस्थानों पर कुल 54 छापेमारी अभियान चलाए, जिनमें से लगभग 47 में सफलता मिली। विभाग के अनुसार, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और पंजाब सबसे बड़ी चुनौती हैं, जहां लोग आसानी से यह प्रक्रिया करवाते हैं। विभाग ने उन गांवों में कार्यरत एएनएम, आशा कार्यकर्ताओं और चिकित्सा अधिकारियों को भी नोटिस जारी किए हैं, जहां लिंगानुपात कम है। अब विभाग का ध्यान ऐसे गांवों और वार्डों पर है जिनका अनुपात औसत से नीचे है। साथ ही, बालिका संरक्षण और शिक्षा के प्रति जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं।

 

Advertisement
Tags :
Action against illegal abortionExplainerfemale foeticideharyana newsHindi Newssex determination testअवैध गर्भपात के खिलाफ एक्शनएक्सप्लेनरकन्या भ्रूण हत्यालिंग निर्धारण टेस्टहरियाणा समाचारहिंदी समाचार
Show comments