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Explainer: राजपुरा-मोहाली रेल लिंक, मालवा से चंडीगढ़ की दूरी घटाने वाला सपना

Rajpura-Mohali Rail Link: इस परियोजना का क्रियान्वयन न केवल प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा लेगा, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों के इरादों की भी।
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Rajpura-Mohali Rail Link: पंजाब के मालवा क्षेत्र को सीधे चंडीगढ़ से जोड़ने वाली रेल लाइन की मांग दशकों से केवल संसदीय बहसों और रेलवे के नक्शों तक सीमित रही। अब केंद्र सरकार की ओर से राजपुरा-मोहाली रेल लिंक को मंजूरी मिलने से इंतजार खत्म हुआ है, लेकिन इस परियोजना का क्रियान्वयन न केवल प्रशासनिक क्षमता की परीक्षा लेगा, बल्कि केंद्र और राज्य सरकारों के इरादों की भी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रेलवे को इस परियोजना को व्यापक ‘पंजाब रेल पुनर्जागरण’ योजना का हिस्सा मानकर आगे बढ़ाने को कहा है, जिसके तहत राज्य में 25,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।

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परियोजना की पृष्ठभूमि

आजादी के शुरुआती दशकों में ही इस लिंक का विचार सामने आया था। इसका तर्क साफ था—बठिंडा, पटियाला, अबोहर और अन्य मालवा जिलों से आने वाली ट्रेनों के प्रवेश बिंदु राजपुरा को सीधे मोहाली से जोड़ना, ताकि चंडीगढ़ पहुंचने के लिए अंबाला का चक्कर न लगाना पड़े। लेकिन परियोजना कागजों से आगे नहीं बढ़ सकी।

यह लंबा ठहराव 23 सितंबर को खत्म हुआ, जब रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस लाइन को मंजूरी दी। उन्होंने कहा,  “यह एक वादा पूरा हुआ है, जो 50 साल से लंबित मांग थी। इससे किसानों, उद्योगों, छात्रों और श्रद्धालुओं को सीधा लाभ मिलेगा। यह वास्तव में प्रधानमंत्री की ओर से पंजाब के लोगों के लिए एक तोहफा है।”

केंद्र सरकार पूरे प्रोजेक्ट को वित्तपोषित करेगी, जबकि पंजाब सरकार पर ज़मीन अधिग्रहण और उसे सौंपने की जिम्मेदारी होगी। अधिकारियों का कहना है कि चुना गया मार्ग खेती की ज़मीन पर न्यूनतम प्रभाव डालेगा, जिससे कृषि प्रधान राज्य में संभावित विरोध कम होगा।

लिंक से होने वाले फायदे

क्यों नहीं बन पाया दशकों तक?

आगे की चुनौतियां

केंद्र की रणनीति

फायदा तभी होगा जब...

मालवा के लोगों के लिए असली फायदा तभी होगा जब ट्रेनें सचमुच बिना अंबाला घुमाव के चंडीगढ़ चलेंगी। पंजाब के उद्योग मंत्री संजीव अरोड़ा ने कहा— “यह बहुत देर से आया हुआ लेकिन ज़रूरी प्रोजेक्ट है। मोहाली-राजपुरा रेल लिंक उद्योग और राज्य की राजधानी से संपर्क को बढ़ावा देगा। उम्मीद है कि इसे ज़मीन पर जल्दी उतारा जाएगा।” मोहाली के उद्योगपति तजिंदर बंसल ने कहा— “सिर्फ 66 किमी दूरी घटने से ही घंटे और लागत की बचत होगी। यह उद्योग के लिए परिवर्तनकारी होगा।” वहीं, किसान नेता शमशेर सिंह बोले— “हम मुआवज़े और पुनर्वास को ध्यान से देखेंगे। हमारे लिए 1 एकड़ ज़मीन भी अहम है।”

आगे की राह

अगर सब योजना के मुताबिक चला तो यह लाइन 2-3 साल में शुरू हो सकती है।

अगले कदम

रेलवे निवेश

पंजाब में रेलवे का वार्षिक निवेश तेज़ी से बढ़ा है। 2009-14 में औसतन 225 करोड़ रुपये से बढ़कर 2025-26 में 5,421 करोड़ रुपये। लगभग 22,000 करोड़ रुपये के नौ नए ट्रैक प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है, और 30 स्टेशन ‘अमृत भारत’ योजना के तहत पुनर्विकसित हो रहे हैं।

परियोजना की संक्षिप्त झलक

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