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Punjab flood: क्या रहे पंजाब में बाढ़ के कारण, प्राकृतिक आपदा थी या मानवजनित संकट?

Punjab flood: पंजाब ने हाल के इतिहास में सबसे भयानक बाढ़ का सामना किया है, जिसमें अब तक 57 लोगों की मौत हो चुकी है, पशुधन का भारी नुकसान हुआ है और संपत्ति व बुनियादी ढांचे को व्यापक क्षति पहुंची...
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सांकेतिक फाइल फोटो।
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Punjab flood: पंजाब ने हाल के इतिहास में सबसे भयानक बाढ़ का सामना किया है, जिसमें अब तक 57 लोगों की मौत हो चुकी है, पशुधन का भारी नुकसान हुआ है और संपत्ति व बुनियादी ढांचे को व्यापक क्षति पहुंची है। सफाई और पुनर्वास कार्यों के बीच बुनियादी सवाल उठते हैं आखिर बाढ़ आई क्यों? क्या यह पूरी तरह प्राकृतिक आपदा थी या मानवजनित कारणों का नतीजा? संभवतः दोनों कारकों का मेल रहा। इस बीच, आम आदमी पार्टी सरकार पर कथित कुप्रबंधन और तैयारी की कमी को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप भी जारी हैं।

रिकॉर्ड तोड़ वर्षा

अगस्त और सितम्बर में रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के ऊपरी क्षेत्रों में लगातार बारिश हुई, जिससे नदियों में असामान्य जल प्रवाह दर्ज किया गया। इससे नदियां उफान पर आ गईं और तटबंधों के साथ-साथ बाढ़ क्षेत्र भी जलमग्न हो गए। 26 अगस्त की रात को रावी में जल प्रवाह 14.11 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया, जो 1988 की बड़ी बाढ़ (11.2 लाख क्यूसेक) से भी अधिक था। पोंग और भाखड़ा बांध में जल स्तर खतरे के निशान तक पहुंचने पर नियंत्रित ढंग से पानी छोड़ना पड़ा, जिसने हालात और बिगाड़े।

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क्या नदियों ने बदला रास्ता?

पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर गोयल का दावा है कि सरकार ने नदियों की सफाई और तटबंधों की मजबूती जैसे सभी एहतियाती कदम उठाए थे, लेकिन असली नुकसान नदियों के मार्ग बदलने से हुआ। वहीं, कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने आरोप लगाया कि नदियों का चैनलाइजेशन नहीं हुआ और तटबंध मजबूत नहीं किए गए। उन्होंने कहा कि अवैध खनन ने भी बाढ़ को बढ़ाया।

खुद की बनाई हुई आपदा

विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ मानवजनित कारणों ने भी हालात बिगाड़े। नालों, नहरों, बांधों और जलाशयों की सफाई और डी-सिल्टिंग की कमी ने जल भंडारण क्षमता घटा दी। बाढ़ क्षेत्र में वनों की कटाई, अतिक्रमण और धुस्सी बांधों की जर्जर हालत ने तबाही और बढ़ाई।

बांध प्रबंधन पर सवाल

आरोप यह भी हैं कि बांधों का प्रबंधन ठीक से नहीं हुआ। पानी को अधिकतम क्षमता तक रोके रखना और अचानक छोड़ना नुकसानदायक साबित हुआ।

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (BBMB) पर आरोप है कि उन्होंने पानी पाकिस्तान जाने के डर से समय रहते नहीं छोड़ा। हाल ही में पंजाब सरकार ने भाखड़ा बांध का अधिकतम जल स्तर 1,680 फीट से घटाकर 1,670 फीट करने की मांग रखी है, ताकि आपात स्थिति में अतिरिक्त जगह मिल सके।

सफाई और पुनर्निर्माण

BBMB के पूर्व सचिव सतीश सिंगला का कहना है कि नदियों के पुराने रास्ते कभी नहीं भूलते। नदी तल से नियमित सिल्ट हटाना और बाढ़ क्षेत्र को अतिक्रमण से मुक्त रखना बेहद जरूरी है। पूर्व नौकरशाह कहन सिंह पन्नू का कहना है कि नदी की बाढ़ वहन क्षमता सिल्ट जमाव के कारण कम हो गई है। इसलिए निरंतर डी-सिल्टिंग ही समाधान है।

तटबंध रणनीति

विशेषज्ञों का सर्वसम्मत मत है कि डी-सिल्टिंग के साथ-साथ तटबंधों को भी मजबूत किया जाना चाहिए। इसके लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) का एक हिस्सा इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है।

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