पानीपत में हरियाली पर कुल्हाड़ी, लेकिन जिम्मेदार कौन? जानें क्यों लगाई NGT ने फटकार
Ax on trees: पानीपत के सेक्टर-11 स्थित एक पार्क में एक पेड़ काटने और दो अन्य पेड़ों की शाखाओं की छंटाई का मामला राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) तक पहुंच गया है। एनजीटी के निर्देश पर जिला प्रशासन ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ तो एफआईआर दर्ज कर दी, लेकिन यह पहचानने में नाकाम रहा कि आखिर पार्क में किसने स्वस्थ पेड़ को काटा। अब इस मामले में एनजीटी ने जिला प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। एक साल तक फाइल एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर तक घूमती रही और अब एनजीटी ने इस मामले की सुनवाई 8 अक्टूबर को तय की है।
पेड़ कटाई का मामला क्या है?
सेक्टर-11 निवासी जगदीश कालरा ने पिछले साल सितंबर में एनजीटी में दी गई शिकायत में कहा था कि 9 जुलाई को सेक्टर के प्लॉट नंबर 761 से सटे पार्क में कुछ लोग गैरकानूनी तरीके से पेड़ों की कटाई कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया कि यह पेड़ कटाई सेक्टर के ही एक निवासी के निर्देश पर हुई थी। यह भी आरोप है कि लकड़ी को व्यावसायिक उपयोग के लिए ले जाने के लिए एक ट्रैक्टर-ट्रॉली भी मौके पर लाई गई थी।
हालांकि, स्थानीय लोगों के विरोध के चलते पेड़ काटने वाले लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली और लकड़ी वहीं छोड़कर भाग गए। लोगों ने ‘एक पीपल का पेड़’ जड़ से काट डाला और दो अन्य पेड़ों की भारी छंटाई की गई। शिकायतकर्ता ने बताया कि उन्होंने इस मामले की शिकायत डिप्टी कमिश्नर से भी की थी, जिन्होंने केस दर्ज करने के निर्देश दिए थे। लेकिन तीन महीने तक मामला दर्ज नहीं हुआ, जिसके बाद उन्होंने ग्रीन ट्रिब्यूनल का रुख किया।
एनजीटी ने शिकायत पर क्या कार्रवाई की?
एनजीटी की प्रिंसिपल बेंच, जिसकी अध्यक्षता चेयरपर्सन प्रकाश श्रीवास्तव कर रहे थे, ने 24 सितंबर 2024 के आदेश में कहा कि आवेदक ने पर्यावरणीय मानकों के अनुपालन से जुड़े गंभीर मुद्दे उठाए हैं। इसके बाद संबंधित विभागों को नोटिस जारी किए गए। एनजीटी ने डीसी को निर्देश दिए कि वे मौके का निरीक्षण करें, अवैध पेड़ कटाई की सीमा का पता लगाएं, उचित कार्रवाई करें और विस्तृत रिपोर्ट ट्रिब्यूनल के सामने पेश करें।
रिपोर्ट कब पेश हुई और इसमें क्या कहा गया?
एनजीटी के निर्देशों के बाद 4 मार्च 2025 को रिपोर्ट दायर की गई। इसमें बताया गया कि निरीक्षण में एक पीपल का पेड़ जड़ से काटा गया था और दो पेड़ों की भारी छंटाई की गई थी। पानीपत नगर निगम के कार्यकारी अभियंता ने 25 जुलाई 2024 और 13 जनवरी 2025 को थाना चांदनीबाग के एसएचओ को अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पेड़ काटने की कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा। इसके बाद पुलिस ने 25 जनवरी को अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की।
एनजीटी ने अपने हालिया आदेश में क्या कहा?
कार्रवाई में देरी पर गंभीर रुख अपनाते हुए एनजीटी ने 18 सितंबर को दिए आदेश में जिला प्रशासन को फटकार लगाई। एनजीटी ने कहा कि शिकायत सितंबर 2024 में दायर की गई थी और 24 सितंबर को नोटिस जारी हुआ। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई और आखिरकार 25 जनवरी को एफआईआर दर्ज की गई, वह भी अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ।
एनजीटी ने यह भी टिप्पणी की कि स्थानीय लोगों के विरोध पर पेड़ काटने वाले लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली और लकड़ी वहीं छोड़कर भाग गए थे। यह अजीब है कि संबंधित अधिकारियों ने करीब छह महीने इंतजार किया और उसके बाद भी अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ केस दर्ज किया। इससे यह नहीं लगता कि अधिकारी गैरकानूनी पेड़ कटाई के दोषियों के खिलाफ गंभीर थे।
शिकायतकर्ता ने क्या कहा?
शिकायतकर्ता जगदीश कालरा ने कहा कि पार्क में स्वस्थ पेड़ों की कटाई की गई। उन्होंने हर दफ्तर में शिकायत की, लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्हें एनजीटी जाना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह अकेला मामला नहीं है, बल्कि सेक्टर-11 के एक और पार्क से पेड़ कटाई की शिकायत भी है। कालरा ने बताया कि उन्होंने कई बार समाधान शिविरों में भी यह मुद्दा उठाया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि वह दोबारा एनजीटी के समक्ष यह शिकायत उठाएंगे।