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Panipat UK exports ब्रिटेन की मंडियों में अब पानीपत के 'धागों' की चलेगी धाक : ड्यूटी-फ्री निर्यात से बढ़ेगा कारोबार

भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) ने 'टेक्सटाइल सिटी' पानीपत के निर्यातकों को नयी उम्मीद दी है। इस समझौते के तहत अब पानीपत के उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में शून्य शुल्क यानी...
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भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच हुए व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) ने 'टेक्सटाइल सिटी' पानीपत के निर्यातकों को नयी उम्मीद दी है। इस समझौते के तहत अब पानीपत के उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में शून्य शुल्क यानी ड्यूटी-फ्री पहुंच मिलेगी। स्थानीय व्यापारियों और निर्यातकों का मानना है कि इससे आने वाले वर्षों में यूके को निर्यात कारोबार दोगुना हो सकता है।

24 जुलाई को लंदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की उपस्थिति में भारत के वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता भारत के 99% निर्यात को ड्यूटी-फ्री एक्सेस प्रदान करता है, जिससे लगभग 100% व्यापार मूल्य कवर होता है।

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इसका सीधा फायदा भारत के वस्त्र, चमड़ा, मरीन उत्पाद, रत्न-आभूषण, खिलौने, इंजीनियरिंग सामान, रसायन, कृषि उत्पाद और ऑटो पार्ट्स जैसे क्षेत्रों को मिलेगा। अब ये सभी उत्पाद ब्रिटिश बाजार में बिना किसी आयात शुल्क के पहुंच सकेंगे।

पानीपत की ताकत और वैश्विक पहचान

पानीपत को 'टेक्सटाइल सिटी' के रूप में जाना जाता है। यहां का वस्त्र उद्योग सालाना 50,000 करोड़ रुपये का कारोबार करता है, जिसमें 20,000 करोड़ रुपये का निर्यात शामिल है। यहां के कारीगरों द्वारा बनाए गए हाथ से बुने हुए कवर, कंबल, बेडशीट, बाथमैट और कुशन जैसे उत्पाद अमेरिका, यूरोप, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूके सहित दुनियाभर में निर्यात किए जाते हैं।

ड्यूटी-फ्री पहुंच का कितना असर होगा?

फिलहाल पानीपत से हर साल करीब 400 करोड़ रुपये का निर्यात यूके को होता है। लेकिन अब जब उत्पादों पर 9-12% तक लगने वाला आयात शुल्क समाप्त हो गया है, तो निर्यातकों को अपनी कीमतें प्रतिस्पर्धी बनाने में मदद मिलेगी। इससे न केवल नए ऑर्डर मिलने की उम्मीद है, बल्कि स्थिर बाजार में दीर्घकालिक व्यापारिक संबंध भी मजबूत होंगे।

प्रतिस्पर्धा में बढ़त

अब तक पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, तुर्की और कंबोडिया जैसे देशों को ब्रिटिश बाजार में ड्यूटी-फ्री एक्सेस था, जिससे भारतीय उत्पाद महंगे पड़ते थे। लेकिन अब भारत को भी समान सुविधा मिल गई है। इससे भारतीय उत्पादों की कीमतें तुलनात्मक रूप से कम होंगी और बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।

निर्यातकों की प्रतिक्रिया

हरियाणा चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज, पानीपत के चेयरमैन विनोद धमीजा ने कहा कि यूके एक भरोसेमंद और स्थिर बाजार है, और यह समझौता पानीपत के निर्यातकों को अधिक ऑर्डर और बेहतर लाभ दिला सकता है। वहीं, हैंडलूम एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के चेयरमैन और पानीपत एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष ललित गोयल ने बताया कि अब तक 9-12% शुल्क के कारण कई बार ऑर्डर गंवाने पड़ते थे, लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल जाएगी।

स्थानीय उद्योग को क्या उम्मीदें हैं?

स्थानीय कारोबारी इस समझौते को पानीपत की नई आर्थिक छलांग के रूप में देख रहे हैं। उनका मानना है कि सरकार को न केवल निर्यातकों की सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए, बल्कि डिज़ाइन, पैकेजिंग और मार्केटिंग में भी सहायता देनी चाहिए ताकि भारत का टेक्सटाइल सेक्टर वैश्विक ब्रांड के रूप में उभरे।

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