IOCL Refinery Panipat: प्रदूषण, बीमारी और अधूरी योजनाएं... पीड़ित गांवों की अनकही कहानी
IOCL Refinery Panipat: पानीपत में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (IOCL) रिफाइनरी ने पास के गांवों में पर्यावरणीय नुकसान के लिए 42 करोड़ रुपये का जुर्माना जमा करा दिया है, लेकिन पिछले चार वर्षों में पर्यावरण सुधार के लिए कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनी। अब जिला प्रशासन ने वन, लोक स्वास्थ्य और स्वास्थ्य विभागों से पर्यावरण सुधार के लिए संशोधित प्रस्ताव मांगे हैं।
शिकायत कब और किसने की थी?
सिंहपुरा-सिथाना गांव के पूर्व सरपंच सतपाल सिंह ने 2018 में IOCL रिफाइनरी के खिलाफ राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) में शिकायत दर्ज कराई थी। पास के गांवों के सरपंच भी इसमें शामिल थे। शिकायत में कहा गया कि पानीपत रिफाइनरी बोहली, दडलाना, सिंहपुरा, सिथाना और अन्य गांवों में हवा और पानी को प्रदूषित कर रही है। आरोप था कि प्रदूषण के कारण लोगों को गंभीर बीमारियां हो रही हैं। गांवों में त्वचा रोग और सांस की बीमारियां फैली हुई थीं। शिकायत में यह भी कहा गया कि रिफाइनरी से निकलने वाला अपशिष्ट मिट्टी की उर्वरता नष्ट कर रहा है और पानी को दूषित कर रहा है, जिससे मवेशियों की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ा।
NGT ने शिकायत पर क्या कार्रवाई की?
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन अध्यक्ष आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB), हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) और पानीपत के उपायुक्त की संयुक्त टीम बनाई। इस टीम ने मौके का निरीक्षण कर पर्यावरण और स्वास्थ्य पर गंभीर असर पाया।
निरीक्षण में किस प्रकार के उल्लंघन मिले?
जांच रिपोर्ट में पाया गया कि इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ETP) के नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। हवा की गुणवत्ता मानक से अधिक पाई गई। वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों (VOCs) से आंखों में जलन और बदबू की शिकायत हुई। बिना उपचारित अपशिष्ट को हरे-भरे क्षेत्रों में छोड़ा जा रहा था। तिराना नाले में अवैध अपशिष्ट प्रवाह मिला। इकाई उत्सर्जन मानकों पर खरा नहीं उतर रही थी और BOD, COD, तेल-ग्रीस तथा कुल घुले ठोस (TDS) की मात्रा सीमा से अधिक पाई गई। भूजल के नमूनों में भी COD का स्तर काफी ऊंचा पाया गया, जिससे स्पष्ट हुआ कि भूजल बाहरी स्रोतों से दूषित है।
IOCL पर कितना पर्यावरण मुआवजा लगा?
संयुक्त समिति की पहली रिपोर्ट के आधार पर NGT ने मई 2019 में IOCL पर 17.31 करोड़ रुपये का अंतरिम पर्यावरण मुआवजा लगाया। IOCL ने यह रकम CPCB में जमा कर दी। इसके बाद जुलाई 2020 में NGT ने रिफाइनरी पर 25 करोड़ रुपये का अतिरिक्त मुआवजा लगाया, जिसे 2021 में CPCB में जमा किया गया। आदेश में NGT ने एक विशेष पैनल बनाकर पर्यावरण सुधार के उपाय करने का निर्देश दिया। CPCB ने 2021 में 7.82 करोड़ रुपये जिला प्रशासन को जारी किए।
पर्यावरण सुधार के लिए कौन-सी योजनाएं बनीं?
NGT के निर्देश के बाद HSPCB ने विभिन्न विभागों से विस्तृत कार्ययोजना मांगी। स्वास्थ्य विभाग ने मोबाइल मेडिकल वैन खरीदने और गांवों में नियमित स्वास्थ्य शिविर लगाने का प्रस्ताव दिया। IOCL को तिराना नाले पर ऑनलाइन निरंतर उत्सर्जन मॉनिटरिंग स्टेशन (OCEMS) लगाने को कहा गया। VOCs की समस्या के समाधान के लिए लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (PHED) ने नए बोरवेल लगाने और तिराना नाले को मानकों के अनुसार बदलने का प्रस्ताव दिया। वन विभाग ने रिफाइनरी के आसपास पौधारोपण का प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
विभागीय प्रस्तावों पर क्या पहल हुई?
पिछले चार सालों में ये प्रस्ताव एक दफ्तर से दूसरे दफ्तर तक घूमते रहे। अब जिला प्रशासन ने मामले को फिर से उठाया है और अधिकारियों की दो बैठकें की हैं। अगली बैठक इसी महीने तय की गई है। उपायुक्त वीरेन्द्र कुमार दहिया ने वन और स्वास्थ्य विभाग को संशोधित योजनाएं जमा करने का निर्देश दिया। उन्होंने वन विभाग को रिफाइनरी से सटे गांवों में पौधारोपण अभियान शुरू करने के लिए कहा और ग्राम पंचायतों से भूमि उपलब्धता की जांच करने को कहा। पीएचईडी ने महमदपुर, कछरोली, राजापुर और बडोली गांवों तक गहरे ट्यूबवेल और पाइपलाइन बिछाने की योजना दी। दहिया ने बोहली गांव में सीवर लाइन बिछाने का भी निर्देश दिया।