IndiGo flight operations crisis: इंडिगो में फ्लाइट संचालन संकट क्यों गहराया, यहां पढ़ें क्या हैं इसकी वजहें
IndiGo flight operations crisis: इंडिगो (Indigo) देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है। यह इन दिनों गंभीर परिचालन संकट से जूझ रही है। पिछले चार दिनों में दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत बड़े एयरपोर्ट्स पर 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द हो...
IndiGo flight operations crisis: इंडिगो (Indigo) देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है। यह इन दिनों गंभीर परिचालन संकट से जूझ रही है। पिछले चार दिनों में दिल्ली, बेंगलुरु और हैदराबाद समेत बड़े एयरपोर्ट्स पर 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द हो चुकी हैं।
संकट की मुख्य वजह DGCA के नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियम हैं, जिनमें पायलटों के लिए अधिक आराम अवधि और सख्त नाइट-फ्लाइंग लिमिट शामिल हैं। इन नियमों के लागू होने से बड़ी संख्या में पायलट अनिवार्य विश्राम पर चले गए, जबकि इंडिगो ने इसी समय अपना विंटर शेड्यूल बढ़ा दिया था।
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इसके अलावा, A320 विमान के सॉफ्टवेयर एडवाइजरी, देर रात तक बढ़ते विलंब और सीजनल भीड़भाड़ ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। इंडिगो दिन में 2,200 से अधिक उड़ानें संचालित करता है, इसलिए छोटी सी परेशानी भी सैकड़ों कैंसिलेशन का कारण बन गई।
DGCA ने पायलट रोस्टरिंग में राहत देने के लिए एक अहम FDTL नियम वापस लिया है, मगर पायलट यूनियनें इंडिगो प्रबंधन को खराब प्लानिंग, कम स्टाफिंग, भर्ती रोकने और नए नियमों को नजरअंदाज करने के लिए जिम्मेदार ठहरा रही हैं।
इधर, यात्री 10–12 घंटे तक एयरपोर्ट पर फंसे रहने, कई बार री-शेड्यूलिंग और सीमित सहायता के साथ परेशान हैं, जबकि एयरलाइन स्थिति सामान्य करने की कोशिश कर रही है।
इंडिगो उड़ान संकट: मुख्य बिंदु
- चार दिनों में 1,000 से अधिक उड़ानें रद्द, देशभर में भारी अव्यवस्था।
- मुख्य कारण: नए FDTL नियम, जिनमें पायलटों के लिए सख्त आराम अवधि अनिवार्य।
- नए नियम: हफ्ते में 48 घंटे विश्राम, लंबे नाइट-ड्यूटी समय, सप्ताह में केवल 2 नाइट लैंडिंग, और 8 घंटे की नाइट फ्लाइंग सीमा।
- इन नियमों से बड़ी संख्या में पायलट एक साथ अनिवार्य विश्राम पर चले गए।
- A320 विमान की सॉफ्टवेयर एडवाइजरी और आधी रात तक बढ़ी देरी ने संकट बढ़ाया।
- इंडिगो के विशाल ऑपरेशन (2,200+ उड़ानें प्रतिदिन) ने स्थिति को और जटिल बनाया।
- DGCA ने साप्ताहिक विश्राम को छुट्टी से बदलने पर लगी रोक हटाई—अस्थायी राहत।
- यूनियनों का आरोप: इंडिगो प्रबंधन ने प्लानिंग में चूक की, स्टाफिंग कम रखी, पायलटों की चेतावनियाँ अनसुनी कीं।
- DGCA पर भी सवाल—पायलट उपलब्धता देखे बिना विंटर शेड्यूल मंजूर किया।
- यात्री भारी देरी, लगातार री-शेड्यूलिंग और अपर्याप्त सहायता से परेशान।
- इंडिगो की 63% बाजार हिस्सेदारी पर एकाधिकार को लेकर चिंता।
- संसद में भी मुद्दा उठा; केंद्र ने रिफंड और सुधारात्मक कदम सुनिश्चित करने को कहा।

