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HSGMC बनाम हरियाणा सरकार: जानें क्या है प्रस्तावित संशोधनों पर टकराव की पूरी कहानी

HSGMC vs Government: हरियाणा कैबिनेट द्वारा हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन अधिनियम (2014) में संशोधनों को मंजूरी दिए जाने के बाद हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एचएसजीएमसी) के आम सभा सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया है। ये संशोधन आगामी विधानसभा सत्र...
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सांकेतिक फाइल फोटो।
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HSGMC vs Government: हरियाणा कैबिनेट द्वारा हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन अधिनियम (2014) में संशोधनों को मंजूरी दिए जाने के बाद हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी (एचएसजीएमसी) के आम सभा सदस्यों ने कड़ा विरोध जताया है। ये संशोधन आगामी विधानसभा सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। एचएसजीएमसी के सदस्यों का कहना है कि इन संशोधनों का प्रस्ताव आम सभा से बिना कोई परामर्श किए किया गया है। आम सभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर इन संशोधनों को खारिज कर दिया है।

हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन अधिनियम क्या है?

हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधन अधिनियम (2014) हरियाणा विधानसभा द्वारा पारित एक कानून है, जिसके तहत राज्य में स्थित सिख गुरुद्वारों और उनकी संपत्तियों के प्रबंधन के लिए अलग कमेटी का गठन किया गया था। इससे पहले इनका प्रबंधन शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) करती थी।

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एचएसजीएमसी हरियाणा सरकार से नाराज क्यों है?

हाल ही में हुई हरियाणा सरकार की कैबिनेट बैठक में इस अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों को मंजूरी दी गई। इसी संदर्भ में 8 अगस्त को कुरुक्षेत्र में एचएसजीएमसी की आम सभा की बैठक बुलाई गई, जिसमें सदस्यों ने इन बदलावों को खारिज कर दिया और एक प्रस्ताव पारित कर इनका विरोध करने का निर्णय लिया। सदस्यों का कहना है कि इन संशोधनों को कैबिनेट ने कमेटी की 11-सदस्यीय कार्यकारिणी से बिना परामर्श किए पारित किया, और ये बदलाव उनकी शक्तियों को कमजोर करते हैं।

मुख्य प्रस्तावित संशोधन क्या हैं?

सदस्यों के अनुसार, हरियाणा कैबिनेट ने धारा 17 (2) (c) में संशोधन को मंजूरी दी है। वर्तमान में यह धारा आम सभा को दो-तिहाई बहुमत से किसी सदस्य को हटाने की शक्ति देती है। संशोधन लागू होने पर यह शक्ति हरियाणा सिख गुरुद्वारा न्यायिक आयोग को मिल जाएगी।

धारा 44 और 45 में संशोधन के तहत मतदाता पात्रता, अयोग्यता, गुरुद्वारा कर्मचारियों से जुड़े सेवा मामलों और गुरुद्वारा कमेटियों से संबंधित चयन या नियुक्ति विवादों के समाधान का विशेष अधिकार नए गठित न्यायिक आयोग को मिलेगा।

एक अन्य प्रस्तावित संशोधन के तहत न्यायिक आयोग के आदेशों के खिलाफ अपील 90 दिनों के भीतर सीधे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर की जाएगी। वर्तमान में यह अपील पहले जिला अदालत में दायर करनी होती है। धारा 46 में भी संशोधन प्रस्तावित हैं।

अपील प्रक्रिया में क्या बदलाव प्रस्तावित हैं?

वर्तमान में न्यायिक आयोग के आदेशों के खिलाफ अपील पहले जिला अदालत में और फिर हाई कोर्ट में की जाती है। संशोधन के बाद जिला अदालत का चरण समाप्त हो जाएगा और अपील सीधे पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में, 90 दिनों के भीतर की जा सकेगी।

एचएसजीएमसी इन संशोधनों का विरोध क्यों कर रही है?

एचएसजीएमसी का कहना है कि ये संशोधन उनकी कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने की शक्तियां छीन लेंगे, खासकर सदस्यों को हटाने और आंतरिक विवादों के समाधान से जुड़ी शक्तियां। साथ ही, कमेटी का यह भी आरोप है कि इन प्रस्तावित संशोधनों से पहले उनसे कोई परामर्श नहीं किया गया।

एचएसजीएमसी आम सभा की बैठक में क्या निर्णय लिया गया?

कुरुक्षेत्र में अध्यक्ष जगदीश सिंह झिंडा की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रस्तावित संशोधनों का बहिष्कार करने का प्रस्ताव पारित किया गया और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मिलने का समय मांगा गया, ताकि उनसे इन्हें पारित न करने का अनुरोध किया जा सके। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए कमेटी चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री के ओएसडी से मिलने वाली है।

क्या सभी सदस्य बैठक में मौजूद थे?

नहीं। कमेटी में 49 सदस्य (40 निर्वाचित और 9 नामित) हैं। इनमें से 32 सदस्य बैठक में मौजूद रहे और संशोधनों का विरोध किया। प्रकाश सिंह सहूवाल (अकाल पंथक मोर्चा) और दिदार सिंह नलवी (पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष) जैसे कुछ प्रमुख सदस्य बैठक में नहीं आए, लेकिन उन्होंने भी प्रस्तावित बदलावों पर असंतोष जताया है।

सरकार ने ये संशोधन क्यों प्रस्तावित किए हैं?

सरकार का कहना है कि इन संशोधनों का उद्देश्य पारदर्शिता बढ़ाना और न्यायिक निगरानी सुनिश्चित करना है।

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