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Explainer: गुरुग्राम कैसे होगा साफसुथरा, जानें क्या है MCG की पंचवर्षीय योजना

NCR News:  गुरुग्राम देश का एकमात्र ऐसा शहर बना हुआ है जो अब भी कूड़ा संकट का सामना कर रहा है। ऐसे में स्थानीय नगर निकाय एक बार फिर नई योजना लेकर आया है। नगर निगम गुरुग्राम (एमसीजी) ने वादा...

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NCR News:  गुरुग्राम देश का एकमात्र ऐसा शहर बना हुआ है जो अब भी कूड़ा संकट का सामना कर रहा है। ऐसे में स्थानीय नगर निकाय एक बार फिर नई योजना लेकर आया है। नगर निगम गुरुग्राम (एमसीजी) ने वादा किया है कि वह सभी बुनियादी ढांचागत कमियों को दूर करेगा और अगले 5 वर्षों में शहर को सफाई संकट से उबार लेगा।

एमसीजी की नई पंचवर्षीय योजना क्या है?

नगर निगम गुरुग्राम (एमसीजी) ने हरियाणा सरकार को 744 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। सफाई संकट और कचरा प्रबंधन को हल करने पर केंद्रित यह नई योजना जिले भर में स्वच्छता व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पांच वर्षीय खाका प्रस्तुत करती है। प्रस्ताव में ज़ोनवार बजट आवंटन और मानव संसाधन व ढांचे की प्रमुख कमियों की पहचान की गई है।

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योजना में क्या-क्या शामिल है?

प्रस्ताव में ज़ोन-वार विकास के लिए धन आवंटित किया गया है। दस्तावेज़ के अनुसार:

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  • ज़ोन 1 और 2 के लिए 382.59 करोड़ रुपये, ज़ोन 3 और 4 के लिए 361.45 करोड़ रुपये तय किए गए हैं।
  • बजट में मैकेनाइज्ड और मैनुअल—दोनों तरह की सफाई व्यवस्था की लागत शामिल है।
  • प्रस्ताव में संसाधन बढ़ाने पर जोर देते हुए 39 नई सफाई मशीनें खरीदने और 16 पुरानी मशीनों को हटाने की सिफारिश की गई है।
  • मानव संसाधन की भारी कमी पर भी जोर दिया गया है। वर्तमान में एमसीजी के पास 2,521 सफाई कर्मचारी हैं, जबकि 6,500 और कर्मचारियों की जरूरत है। एक वार्ड पार्षद के मुताबिक, निगम 1,500 नए कर्मचारियों की भर्ती कर इस कमी को आंशिक रूप से पूरा करने की योजना बना रहा है।

अधिकारी क्या कहते हैं?

एमसीजी अधिकारियों का कहना है कि यह नई योजना प्रत्येक वार्ड की जरूरत के अनुसार समाधान प्रदान करेगी। टेंडर भी वार्ड और ज़ोन की विशेष आवश्यकताओं के अनुसार जारी किए जाते हैं। बजट जिला स्तर पर चल रहे व आगामी प्रोजेक्ट्स की संख्या के अनुसार आवंटित होता है, न कि वार्ड स्तर पर। अधिकारियों ने प्रत्येक ज़ोन की विस्तार से समीक्षा कर प्रमुख समस्याओं को सूचीबद्ध किया है।

2025 में गुरुग्राम की सफाई पर अब तक कितना खर्च हुआ है?

एमसीजी के व्यय आंकड़ों के अनुसार 1 अप्रैल से 31 अक्टूबर के बीच इस वित्तीय वर्ष में सफाई और कचरा प्रबंधन पर 151 करोड़ रुपये खर्च किए गए। इसमें से:

  • 66 करोड़ – डोर-टू-डोर कचरा संग्रह
  • 28 करोड़ – रखरखाव, पानी आपूर्ति और जल निकासी
  • 16 करोड़ – वाहन किराया
  • 26 करोड़ – कचरा प्रबंधन
  • 5 करोड़ – मशीनरी
  • 5 करोड़ – आवारा पशु (गाय, बंदर) नियंत्रण

वर्तमान में शहर में सफाई व्यवस्था कैसे संचालित हो रही है?

एमसीजी ने शहर में कई स्थानों पर स्पॉट करेक्शन तो किया है, परंतु कूड़े की समस्या का स्थायी समाधान अभी भी अधूरा है। 11 नवंबर को वार्ड पार्षदों और मेयर राज रानी मल्होत्रा के बीच हुई बैठक में कई मुद्दों पर चिंता जताई गई जैसे कचरा प्रबंधन में लगातार लापरवाही, कर्मचारियों का अधिक बोझ, कई वार्डों में अपर्याप्त सफाई, डोर-टू-डोर कलेक्शन में दिक्कतें, खाली प्लॉट्स में अवैध कूड़ा फेंकना, जगह-जगह कचरे के ढेर, अनियमित सफाई शेड्यूल।

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