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Explainer: भाखड़ा डैम से क्यों छोड़ा जा रहा पानी, क्या होगा इसका असर

Bhakra Flood Gate: पानी के बढ़ते स्तर और भारी बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए, भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) ने मंगलवार को भाखड़ा डैम से नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ना शुरू किया। सतलुज नदी पर स्थित यह डैम 2025...
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Bhakra Flood Gate: पानी के बढ़ते स्तर और भारी बारिश के पूर्वानुमान को देखते हुए, भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड (BBMB) ने मंगलवार को भाखड़ा डैम से नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ना शुरू किया। सतलुज नदी पर स्थित यह डैम 2025 के मॉनसून सीजन में पहली बार खोला गया है। इसका उद्देश्य यह है कि पूर्वानुमानित बारिश से पहले जल स्तर को नियामक सीमा तक लाया जा सके और ओवरफ्लो का खतरा टाला जा सके।

BBMB के रिकॉर्ड के अनुसार, 19 अगस्त को भाखड़ा डैम का जल स्तर 1,665.06 फीट तक पहुंच गया, जो इस तारीख के लिए तय किए गए 1,662 फीट के मानक स्तर से 3 फीट अधिक है। डैम की अधिकतम क्षमता 1,680 फीट है, हालांकि कुछ सालों में अत्यधिक बारिश के दौरान यह स्तर 1,685 फीट तक भी पहुंच चुका है।

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भाखड़ा एशिया के सबसे ऊंचे ग्रैविटी डैम्स में से एक है और भारत की जल प्रबंधन तथा ऊर्जा अवसंरचना का प्रमुख स्तंभ है। 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर (BCM) की भंडारण क्षमता और 1,680 फीट की अधिकतम जल क्षमता वाला यह डैम बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और जलविद्युत उत्पादन में अहम भूमिका निभाता है। इससे पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली को लाभ मिलता है।

गुरु गोविंद सागर झील (भाखड़ा जलाशय) विस्तृत नहर नेटवर्क को सहारा देती है और 1 करोड़ एकड़ से अधिक कृषि भूमि की सिंचाई करती है। भारी वर्षा के समय यह डैम बाढ़ से बचाव के लिए बफर का काम करता है और सतलुज के बहाव को नियंत्रित कर ग्रामीण आजीविका और शहरी जल सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

चरणबद्ध तरीके से फाटक खोले गए

BBMB-नंगल के वरिष्ठ डिजाइन इंजीनियर (वाटर रेगुलेशन) द्वारा जारी आधिकारिक सूचना के अनुसार, 19 अगस्त को फाटक चरणबद्ध तरीके से खोले गए ताकि पानी का सुरक्षित और धीरे-धीरे निष्कासन हो सके:

  • पहला चरण (3 बजे दोपहर): फाटक 1 फुट तक खोले गए
  • दूसरा चरण (4 बजे शाम): फाटक 2 फुट तक खोले गए
  • तीसरा चरण (5 बजे शाम): रेडियल और फ्लड कंट्रोल दोनों गेट मिलाकर 3 फुट तक खोले गए

पानी का वितरण

BBMB ने कुल 45,000 क्यूसेक पानी छोड़ा, जिसमें से 22,000 क्यूसेक सीधा सतलुज नदी में गया और 23,000 क्यूसेक नंगल हाइडल नहर में छोड़ा गया। यह नहर आगे भाखड़ा मेन लाइन और आनंदपुर साहिब हाइडल नहर से होते हुए सतलुज से दोबारा जुड़ती है। इस संतुलित प्रवाह का उद्देश्य प्राकृतिक नदी प्रवाह, सिंचाई और जलविद्युत प्रणाली को समर्थन देना है, बिना किसी एक निकास मार्ग को बोझिल किए।

चेतावनी जारी

BBMB ने स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर निचले इलाकों के लोगों को सतर्क रहने की चेतावनी दी है। खासकर बेला और मंड क्षेत्र में अलर्ट जारी किया गया है, क्योंकि ये इलाके सतलुज नदी के तटबंध में आते हैं और डुबान का सबसे ज्यादा खतरा इन्हें ही रहता है। इतिहास में ये क्षेत्र मौसमी खेती के लिए ही इस्तेमाल होते थे, लेकिन हाल के वर्षों में घटती बारिश के चलते यहां लोगों ने स्थायी घर बना लिए हैं। ऐसे में भारी बारिश के मौसम में यहां बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है।

पिछले अनुभवों से सबक

BBMB की सावधानी 1988 की बाढ़ के अनुभव से प्रेरित है, जब सितंबर में भारी वर्षा के कारण डैम के फाटक 20 फुट तक खोलने पड़े थे, जिससे पंजाब के मैदानी इलाकों में भारी बाढ़ आई थी। तभी से डैम को उसकी अधिकतम सीमा तक भरने से परहेज़ किया जा रहा है और सख्त जलस्तर मानकों का पालन किया जाता है। भाखड़ा डैम के फाटक इससे पहले 18 अगस्त 2023 और 17 अगस्त 2019 को खोले गए थे। मौजूदा जल छोड़ना BBMB की सुरक्षित और परिस्थिति-आधारित संचालन नीति का हिस्सा है।

आगे की स्थिति

आने वाले हफ्तों में और बारिश की संभावना को देखते हुए यह समयपूर्व और नियंत्रित जल छोड़ना एक एहतियाती कदम है। फिलहाल वर्तमान डिस्चार्ज से बड़े पैमाने पर बाढ़ की आशंका नहीं है, लेकिन हालात पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी। किसानों, ग्रामीणों और जिला प्रशासन को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। जैसे-जैसे जलवायु पैटर्न बदल रहे हैं और वर्षा अनिश्चित होती जा रही है, ऐसे कदम जल भंडारण, बिजली उत्पादन और बाढ़ सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की महत्ता को दर्शाते हैं।

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