Explainer: हरियाणा में क्यों आयुष्मान योजना अस्तित्व संकट से जूझ रही
IMA vs Haryana Government: गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत हरियाणा में अस्तित्व के संकट से गुजर रही है। आयुष्मान भारत योजना से जुड़े निजी अस्पतालों और...
IMA vs Haryana Government: गरीब मरीजों को निजी अस्पतालों में भी मुफ्त इलाज उपलब्ध कराने वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत हरियाणा में अस्तित्व के संकट से गुजर रही है। आयुष्मान भारत योजना से जुड़े निजी अस्पतालों और राज्य सरकार के बीच चल रहा विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है, जिससे लाखों मरीजों की परेशानी बढ़ गई है।
7 अगस्त से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA)-हरियाणा के बैनर तले राज्यभर के करीब 600 निजी अस्पतालों के डॉक्टरों ने आयुष्मान कार्डधारक मरीजों का इलाज बंद कर दिया है। डॉक्टरों का कहना है कि इलाज रोकने के समय तक राज्य की बीजेपी सरकार पर करीब 500 करोड़ रुपये का बकाया था, जिसके कारण अस्पतालों के लिए इस योजना के तहत सेवाएं जारी रखना असंभव हो गया था।
आयुष्मान भारत योजना प्रत्येक परिवार को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान करती है। इस योजना का उद्देश्य गरीब और वंचित परिवारों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना है। पहली सूची के लाभार्थियों के लिए केंद्र और राज्य सरकार क्रमशः 40 और 60 प्रतिशत लागत साझा करते हैं। अन्य लाभार्थियों की लागत पूरी तरह राज्य सरकार उठाती है।
इलाज बंद होने से कई मरीजों को अपनी सर्जरी टालनी पड़ी है, जबकि बड़ी संख्या में मरीज अब सरकारी अस्पतालों पर निर्भर हैं, जिनके पास सीमित संसाधन और बिस्तर हैं। मोतियाबिंद और अस्थि-चिकित्सा संबंधी सर्जरी सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं। आपातकालीन मरीजों की भीड़ सरकारी अस्पतालों में उमड़ रही है, जहां अधिकारी गंभीर मामलों को प्राथमिकता दे रहे हैं, लेकिन मान रहे हैं कि सिस्टम पर भारी दबाव है।
IMA की राष्ट्रीय इकाई ने हरियाणा अध्याय का समर्थन करते हुए राज्य सरकार की आलोचना की और समयबद्ध भुगतान व संरचनात्मक सुधारों की मांग का समर्थन किया है। निजी डॉक्टरों ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, सेवाएं बहाल नहीं होंगी।
IMA-हरियाणा ने न केवल बकाया राशि तुरंत चुकाने की मांग की है, बल्कि पूरे सिस्टम में सुधार की भी जरूरत बताई है। IMA हरियाणा के अध्यक्ष डॉ. महावीर पी. जैन ने कहा, “प्रक्रिया को पूरी तरह सुचारु बनाने की आवश्यकता है। फरवरी 2024 में लॉन्च किए गए नए पोर्टल में खामियां हैं, मरीज को डिस्चार्ज करने के बाद भी अनावश्यक कटौतियां हो रही हैं और राज्य अधिकारियों से संवाद भी बेहद कमजोर है। हम कम से कम 2,500 करोड़ रुपये का वार्षिक बजट आवंटन चाहते हैं ताकि योजना सुचारु रूप से चल सके।” उन्होंने चेतावनी दी कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक मरीजों और अस्पतालों के हित में उनकी वास्तविक मांगें पूरी नहीं की जातीं।
डॉक्टरों का आरोप है कि बकाया भुगतान में देरी के साथ-साथ स्थानीय प्रशासन द्वारा छापे और नोटिस जारी करने जैसी कार्रवाइयों ने संकट को और बढ़ाया है। इस बीच, राज्य सरकार ने निजी अस्पतालों की चिंताओं की अनदेखी करने से इनकार किया है। आयुष्मान भारत हरियाणा की सीईओ संगीता टेटरवाल ने कहा कि सरकार नियमित रूप से धनराशि जारी कर रही है। उन्होंने बताया—
“434 करोड़ रुपये की कुल बकाया राशि में से 5 अगस्त तक लगभग 250 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। शुक्रवार को हमें 291 करोड़ रुपये और प्राप्त हुए हैं, जिसे जल्द ही जारी किया जाएगा।”
उन्होंने यह भी माना कि पांच अस्पतालों को मरीजों का इलाज न करने पर नोटिस जारी किया गया था, लेकिन दावा किया कि हड़ताल का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। टेटरवाल ने कहा, “निजी डॉक्टर अब भी मरीजों का इलाज कर रहे हैं और हमारे पास दावे बढ़े हैं। इस महीने हमें अब तक 81,000 दावे प्राप्त हुए हैं, जबकि पिछले पूरे महीने केवल 80,000 दावे आए थे।”