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Explainer: क्या है नशे के खिलाफ मानस हेल्पलाइन, क्यों है यह पहल अलग? पढ़ें खासियत

Manas Helpline:हरियाणा लंबे समय से नशे की समस्या से जूझ रहा है। सीमावर्ती जिलों से लेकर शहरी इलाकों तक नशे की लत और तस्करी एक बड़ी चुनौती रही है। सरकार ने इस खतरे को समझते हुए अब समाज को इसमें...
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सांकेतिक फोटो
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Manas Helpline:हरियाणा लंबे समय से नशे की समस्या से जूझ रहा है। सीमावर्ती जिलों से लेकर शहरी इलाकों तक नशे की लत और तस्करी एक बड़ी चुनौती रही है। सरकार ने इस खतरे को समझते हुए अब समाज को इसमें सीधी भागीदारी देने का रास्ता खोला है। इसी कड़ी में ‘मानस हेल्पलाइन’ (1933) को प्रदेश में नशे के खिलाफ लड़ाई का सबसे बड़ा हथियार बनाया गया है। यह हेल्पलाइन न सिर्फ सूचनाएं जुटाती है, बल्कि आम नागरिकों को इस जंग का सक्रिय सिपाही भी बना रही है।

18 जुलाई, 2024 को भारत सरकार ने ‘मानस हेल्पलाइन’ शुरू की थी। शुरुआत में इसे सिर्फ हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (HSNCB) मुख्यालय से जोड़ा गया। लेकिन जल्द ही इसे सभी जिलों तक पहुंचा दिया गया। अब हर जिले में इसकी यूनिट सक्रिय है, ताकि कोई भी सूचना सीधे उसी इलाके की कार्रवाई करने वाली टीम तक पहुंचे। यह व्यवस्था प्रशासन और जनता के बीच भरोसे की कड़ी का काम कर रही है। पहले जहां नशे से जुड़ी जानकारी देने में लोग डरते थे, वहीं अब उन्हें एक सुरक्षित और गोपनीय माध्यम मिल गया है।

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नागरिकों के लिए दो रास्ते

मानस हेल्पलाइन को खास बनाने वाली बात यह है कि इसमें सूचना देने के दो आसान रास्ते हैं। मानस हेल्पलाइन नंबर 1933 और हरियाणा एनसीबी का नंबर 90508-91508, इन नंबरों पर कॉल करके कोई भी व्यक्ति नशे की तस्करी, बिक्री या सेवन की जानकारी दे सकता है। कॉल करने वाले की पहचान पूरी तरह गुप्त रखी जाती है। इसके अलावा ऑनलाइन पोर्टल ncbmanas.gov.in पर भी शिकायत दी जा सकती है।

क्यों है यह पहल अलग?

नशे के खिलाफ सरकार पहले भी कई प्रयास कर चुकी है। लेकिन यह पहल इसलिए अलग है क्योंकि इसमें समाज को सीधी भागीदारी का अवसर मिला है। इसके खास पहलू हैं।

  • त्वरित कार्रवाई: हर कॉल और शिकायत तुरंत जिले की टीम को भेजी जाती है।
  • गोपनीयता की गारंटी: नागरिकों को बेखौफ होकर आगे आने का हौसला मिलता है।
  • सामुदायिक जिम्मेदारी: यह लड़ाई सिर्फ पुलिस या सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की है।

हरियाणा का सामाजिक आंदोलन

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के हेड व डीजीपी ओपी सिंह का कहना है कि नशे जैसी सामाजिक बुराई को केवल कानून से नहीं खत्म किया जा सकता। इसके लिए लोगों की सोच और सहभागिता जरूरी है। यही कारण है कि हेल्पलाइन को एक “जन आंदोलन” का रूप दिया गया है। स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता अभियान, पंचायत स्तर पर बैठकों और पोस्टर-बैनर के जरिए संदेश फैलाया जा रहा है कि – “नशे की सूचना दें, समाज को बचाएं।”

युवाओं के लिए संदेश

नशे का सबसे ज्यादा असर युवाओं पर पड़ता है। पढ़ाई छोड़ने से लेकर अपराध की ओर जाने तक, नशा युवाओं के भविष्य को बर्बाद करता है। सरकार चाहती है कि हेल्पलाइन के जरिए खुद युवा इस जंग में नेतृत्व करें। अगर वे अपने आसपास होने वाली गतिविधियों की सूचना देंगे, तो न सिर्फ उनका समाज सुरक्षित होगा, बल्कि उनकी अगली पीढ़ी भी इस जहर से बच सकेगी। ओपी सिंह का कहना है कि नशे का कारोबार छिपकर चलता है और इसे तोड़ने के लिए नागरिकों का सहयोग जरूरी है। अगर हर गांव, हर मोहल्ले में लोग सतर्क रहकर हेल्पलाइन पर जानकारी देंगे, तो तस्करी की जड़ें काटना आसान हो जाएगा।

आगे की राह

‘मानस हेल्पलाइन’ महज एक फोन नंबर या पोर्टल नहीं है, बल्कि यह हरियाणा में एक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत है। जिस तरह महिला सुरक्षा के लिए हेल्पलाइन नंबर ने बदलाव लाया, उसी तरह नशे के खिलाफ भी यह पहल ठोस असर डाल सकती है। सवाल यही है कि क्या नागरिक इसे सिर्फ सरकार का काम मानकर चुप बैठेंगे या आगे आकर अपने समाज को नशे से मुक्त बनाने की जिम्मेदारी लेंगे?

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