Explainer: ट्रैफिक जाम, हादसों और असुविधा से मिलेगी मुक्ति, हरियाणा में सड़कों से हटेंगे लावारिस पशु
Stray animal free Haryana: हरियाणा की सड़कों व सार्वजनिक स्थानों पर वर्षों से व्याप्त लावारिस पशुओं की समस्या अब प्रदेश सरकार के पिन पॉइंट पर है। प्रदेश सरकार ने हरियाणा को 'आवारा पशु मुक्त राज्य' बनाने की कवायद शुरू की है।
शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने आवारा पशुओं से ट्रैफिक जाम, सड़क हादसों, संपत्ति के नुकसान और स्वास्थ्य संबंधी खतरों से त्रस्त जनता को राहत देने के लिए एक निर्णायक कदम उठाया है। 1 अगस्त से 31 अगस्त 2025 तक एक विशेष राज्यव्यापी सघन अभियान चलाया जाएगा। प्रदेश के सभी शहरी निकायों को अपने क्षेत्रों को पूरी तरह आवारा पशु मुक्त करने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके अंतर्गत अब आवारा पशुयों का पूरा बही-खाता भी सरकारी रिकार्ड में दर्ज होगा व उन्हें पुनर्वास हेतु पंजीकृत गौशालाओं में स्थानांतरित किया जायेगा।
एक माह लंबे विशेष अभियान के तहत राज्य के सभी नगर निगम, नगर परिषद व नगर पालिका मिल कर एक समन्वित योजना के अनुसार कार्य करेंगी। प्रत्येक निकाय में एक वरिष्ठ अधिकारी को नोडल ऑफिसर नियुक्त किया गया है, जो प्रतिदिन की प्रगति की निगरानी करेगा और रिपोर्ट शाम 5 बजे तक निदेशालय को भेजेगा। अभियान को शहरी स्थानीय निकाय, हरियाणा गौशाला आयोग व पशु पालण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में संचालित किया जाएगा।
पशुओं की होगी जिओ-टैगिंग
प्रत्येक पकड़े गए पशु को कान में टैग लगाया जाएगा और उसका पूरा विवरण दर्ज किया जाएगा, जैसे टैग नंबर, पकड़ने की तारीख व स्थान, पुनर्वास स्थल (गौशाला का नाम), और स्वास्थ्य स्थिति। यह डेटा शहरी स्थानीय निकाय स्तर पर बनाए गए केंद्रीय रजिस्टर में दर्ज होगा। हर कार्रवाई का जिओ-टैगिंग के साथ फ़ोटोग्राफिक सबूत रिकॉर्ड में दर्ज किया जाएगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे। बता दें कि अभियान के दौरान विशेष टीमों का गठन किया जाएगा जो सार्वजनिक स्थलों जैसे सड़कों, बाजारों, पार्कों और धार्मिक स्थलों से आवारा पशुओं की पहचान कर उन्हें गौशाला में स्थानांतरित करेंगी।
पशु मालिकों को मिलेगी उल्लंघन पर कड़ी सजा
सरकार ने स्पष्ट किया है कि यदि कोई पशु मालिक अपने जानवरों को सड़कों पर खुला छोड़ता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। इसमें जुर्माना, पशु की जब्ती व चालान शामिल हैं। सभी क्षेत्रों में लाउडस्पीकरों के माध्यम से चेतावनियां प्रसारित की जाएंगी।
जनभागीदारी से चलेगा अभियान
अभियान को जन आंदोलन बनाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा स्थानीय मीडिया, सोशल मीडिया, होर्डिंग्स को जागरूकता फैलाई जाएगी। एनजीओ, स्वयंसेवी संगठन और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अभियान में शामिल किया जाएगा, ताकि अज्ञात पशुओं की पहचान और सूचना सांझा की जा सके।
साप्ताहिक समीक्षा से होगी पारदर्शिता
पूरे अभियान की साप्ताहिक समीक्षा राज्य स्तर पर की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी क्षेत्र में काम अधूरा न रह जाए और सुधारात्मक कदम समय पर उठाए जा सकें।
सिर्फ अभियान नहीं, परिवर्तन की शुरुआत!
हरियाणा सरकार का यह प्रयास यदि पूरी तरह से लागू होता है, तो न केवल राज्य की सड़कों से अराजकता का अंत होगा, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा, स्वच्छता और सुविधा भी नए स्तर पर पहुंचेगी। यह मॉडल पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।
सुरक्षित पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी
अभियान के अंतर्गत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी पशु असुरक्षित न रहे। सभी पशुओं को प्रमाणित और चिन्हित गौशालाओं या आश्रय स्थलों में पहुँचाया जाएगा। इसके लिए स्थानीय गौशाला प्रबंधन और ज़िला पशु कल्याण समिति से समन्वय किया जाएगा।
डबवाली अभियान की सफलता पर संदेह
सरकार के पशु मुक्त राज्य के समयबद्ध अभियान की डबवाली में सफलता को लेकर उम्मीद है। शहर में सैंकड़ों की तादाद में आवारा पशु घूम रहे हैं। यहां एक गौशाला व एक नंदीशाला है। जिनमें जगह की काफी कमी बताई जा रही है। इन परिस्थितियों में प्रशासन के समक्ष पशुओं के पुनर्वास को लेकर जगह की कमी आड़े आ सकती है। नंदीशाला प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष पंकज ने बताया कि प्रशासन द्वारा नंदी शाला को सौंप गई साथ एकड़ जगह में से काफी जगह पर कुछ परिवारों का कब्जा है यदि उसे जगह को खाली करवाया जाए तो सैकड़ो पशुओं के लिए और जगह बन सकती है।
मौजूदा समय में नंदीशाला में करीब 100 नए पशुओं की रखने की जगह बनाई जा सकती है। पंकज मोंगा ने बताया कि नंदीशाला की जमीन भी अभी तक केंद्र सरकार के नाम पर है और उसका नाम तब्दीली की फ़ाइल लंबे समय से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रही है। वहीं श्री गौशाला डबवाली के प्रधान राजेश जिंदल निरंकारी ने बताया कि गौशाला में सरकारी स्तर पर 1600 गौवंश की समर्था है, जबकि मौजूदा समय 1700 गौवंश हैं।