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Explainer: धान उत्पादन पर संकट, किसानों की मेहनत पर पानी फिरा, जानें वजह

Crisis on Rice Production: धान की फसल अब मंडियों में पहुंच रही है, लेकिन किसानों ने इस बार विभिन्न बीमारियों और खेतों में जलभराव के कारण उपज में गिरावट की शिकायत की है। किसानों का कहना है कि सदर्न राइस...
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Crisis on Rice Production: धान की फसल अब मंडियों में पहुंच रही है, लेकिन किसानों ने इस बार विभिन्न बीमारियों और खेतों में जलभराव के कारण उपज में गिरावट की शिकायत की है। किसानों का कहना है कि सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस और असमय बरसात ने फसल को प्रभावित किया, और अब फॉल्स स्मट नामक फफूंद रोग खड़ी फसल पर हमला कर रहा है। किसानों के मुताबिक, इस बार प्रति एकड़ औसतन 20-22 क्विंटल उपज हो रही है, जबकि पिछले साल यह 34-35 क्विंटल थी।

किसान क्यों चिंतित हैं?

किसानों के अनुसार, पहले सदर्न राइस ब्लैक स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस ने फसल को प्रभावित किया। इस वायरस के कारण पौधों की वृद्धि रुक गई, पोषण का अवशोषण और विकास प्रभावित हुआ, जिससे उपज में कमी आई। इसके बाद असमय बारिश और नदी के पानी का खेतों में लगातार बहाव ने फसल को नुकसान पहुंचाया। अब फसल में फॉल्स स्मट रोग की पहचान हुई है, जो उपज और अनाज की गुणवत्ता को और बिगाड़ देगा।

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धान की फसल में फॉल्स स्मट क्या है?

फॉल्स स्मट एक फफूंद जनित रोग है, जो धान की उपज और अनाज की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। कृषि विभाग के अनुसार, यह रोग हाइब्रिड किस्मों में पाया गया है। इसकी पहचान अंबाला जिले के नारायणगढ़, साहा और बराड़ा तथा कुरुक्षेत्र जिले के पिहोवा और थानेसर में हुई है।

इस रोग के लिए 30 डिग्री से कम तापमान और अधिक आर्द्रता अनुकूल परिस्थितियां मानी जाती हैं। रोग की तीव्रता के आधार पर फसल की उपज प्रभावित होती है। इसमें धान के दानों का रूपांतरण पीले रंग के फलों जैसी संरचना में हो जाता है।

किसानों ने क्या कदम उठाए?

किसानों ने बताया कि उन्होंने फॉल्स स्मट को रोकने के लिए विभिन्न दवाओं का छिड़काव किया, लेकिन कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिले। यह रोग फसल के फूल आने के समय (flowering stage) पर हमला करता है और रोकथाम उसी समय जरूरी थी। लेकिन असमय बारिश के कारण फफूंदनाशी का छिड़काव समय पर नहीं हो सका। किसानों का कहना है कि वे इस साल भारी नुकसान झेलने को मजबूर हैं। हालांकि यह बीमारी हर साल आती है, लेकिन इस बार इसका प्रकोप ज्यादा है। किसानों ने सरकार और कृषि वैज्ञानिकों से स्थायी समाधान निकालने की अपील की है।

कृषि विभाग की सलाह क्या है?

कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को सलाह दी है कि वे अब कोई दवा या छिड़काव न करें और फसल को न छेड़ें, क्योंकि इससे रोग और ज्यादा फैल सकता है। फसल का रंग बिगड़ सकता है और उपज भी प्रभावित होगी। इस चरण पर फॉल्स स्मट को नियंत्रित नहीं किया जा सकता। चूंकि कटाई शुरू हो चुकी है और 5-10 दिनों में फसल तैयार हो जाएगी, इसलिए किसानों को सलाह दी गई है कि वे अब छिड़काव न करें, क्योंकि इससे केवल उत्पादन लागत बढ़ेगी और फायदा नहीं होगा।

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