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Explainer: प्रवासियों के पलायन ने गुरुग्राम पुलिस को मुश्किल में डाला, मची अव्यवस्था

Campaign Against Immigrants: गुरुग्राम, जिसे 'मिलेनियम सिटी' कहा जाता है, एक बार फिर बड़े पैमाने पर हो रहे प्रवासी पलायन की मार झेल रहा है। यह तीसरी बार है जब शहर इस तरह की स्थिति का सामना कर रहा है।...
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Campaign Against Immigrants: गुरुग्राम, जिसे 'मिलेनियम सिटी' कहा जाता है, एक बार फिर बड़े पैमाने पर हो रहे प्रवासी पलायन की मार झेल रहा है। यह तीसरी बार है जब शहर इस तरह की स्थिति का सामना कर रहा है। घरेलू कामकाज, सफाई जैसी सेवा क्षेत्र के ढह जाने से शहर घुटनों पर आ गया है। घरेलू सहायिकाओं, सफाईकर्मियों और अन्य प्रवासी कामगारों के अचानक बिना सूचना छोड़कर जाने से अफरा-तफरी मच गई है। जो मामला पहले एक स्थानीय नागरिक मुद्दा लग रहा था, वह अब एक राष्ट्रीय राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है।

क्यों भाग रहे प्रवासी?

इस पलायन की वजह गुरुग्राम पुलिस द्वारा चलाया जा रहा एक सत्यापन अभियान है। गृह मंत्रालय के निर्देशों के तहत पुलिस कथित रूप से अवैध रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए यह अभियान चला रही है। इस महीने पुलिस ने इस अभियान को तेज कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, करीब 250 लोगों को हिरासत में लेकर शहर के चार अलग-अलग केंद्रों में रखा गया है।

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जब पुलिस ने कई प्रवासी बस्तियों पर छापेमारी की, तो शहर के प्रवासी कामगारों में दहशत फैल गई। अब कई लोगों को डर है कि बंगाली भाषा बोलने के चलते उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया जा सकता है। इस बीच सोशल मीडिया पर कथित पुलिस अत्याचार के वीडियो वायरल हो रहे हैं (जिनमें से अधिकांश को पुलिस फर्जी बता रही है), जिससे डर और बढ़ गया है।

वर्तमान स्थिति क्या है

गुरुग्राम के कई इलाकों में घरेलू कामगारों और कूड़ा उठाने वालों की भारी कमी हो गई है क्योंकि बड़ी संख्या में ये लोग शहर छोड़ चुके हैं। जहां एक ओर निवासी परेशान हैं कि वे अपने रोजमर्रा के कामों के लिए असहाय हो गए हैं, वहीं शहरी सफाई व्यवस्था पर सबसे बुरा असर पड़ा है। गुरुग्राम में 80% सफाईकर्मी पश्चिम बंगाल से आने वाले प्रवासी हैं। इनके पलायन के चलते घर-घर जाकर कूड़ा उठाने और कचरे के केंद्र बिंदुओं से कूड़ा उठाने का काम बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यह स्थिति इसलिए और भी गंभीर है क्योंकि शहर पहले से ही कचरा प्रबंधन की समस्या से जूझ रहा था।

स्थानीय रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) प्रवासियों के समर्थन में आगे आए हैं। इन प्रवासी कामगारों के नियोक्ता और RWA मिलकर उनके लिए वैकल्पिक आवास की व्यवस्था कर रहे हैं ताकि पलायन के असर को कम किया जा सके।

क्या कहती है पुलिस

कड़ी आलोचना झेलने के बाद, गुरुग्राम पुलिस ने अवैध प्रवासियों के संदेह में की जा रही हिरासत की प्रक्रिया को फिलहाल निलंबित कर दिया है। पुलिस के मुताबिक अब तक 10 अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की गई है, और उनकी निर्वासन प्रक्रिया को लेकर केंद्रीय अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है।

पुलिस ने किसी भी तरह की उत्पीड़न या प्रताड़ना के आरोपों से इनकार किया है और सोशल मीडिया पर वायरल फर्जी वीडियो और अफवाहों को प्रवासी पलायन की वजह बताया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का दावा है कि असम और बंगाल से अफवाहें फैलाई जा रही हैं, और अधिकांश प्रवासी श्रमिकों को ऐसे वीडियो भेजे जा रहे हैं जिनमें उन्हें शहर छोड़ने की सलाह दी जा रही है।

सत्यापन अभियान और पलायन का राजनीतिक प्रभाव क्या है?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आरोप लगाया है कि हरियाणा और केंद्र दोनों में सत्तासीन ‘डबल इंजन’ बीजेपी सरकार बंगालियों को निशाना बनाने के लिए इस सत्यापन अभियान का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से उनके वोटरों को ही निशाना बनाया जा रहा है। ममता ने इस कार्रवाई को "भाषायी आतंकवाद" (Linguistic Terror) बताया है और आरोप लगाया कि लोगों को सिर्फ बंगाली बोलने के कारण हिरासत में लिया जा रहा है।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि गुरुग्राम पुलिस ने 52 बंगाली भाषी प्रवासी कामगारों को अवैध रूप से बांग्लादेशी मानकर हिरासत में लिया है। ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी इस अभियान के जरिए बंगाल में वोटरों को ‘मिटाने’ की कोशिश कर रही है, जैसा कि उन्होंने दिल्ली और महाराष्ट्र में किया था।

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया है कि सत्यापन प्रक्रिया में कोई देरी न हो, और पश्चिम बंगाल पुलिस इस काम के लिए दिन-रात काम कर रही है।

इस मुद्दे पर ममता को टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा का भी समर्थन मिला है, जिन्होंने गुरुग्राम पुलिस के डिटेंशन सेंटर्स की तुलना "नाजी जर्मनी के शिविरों" से की है।

बीजेपी का पलटवार

बीजेपी ने ममता बनर्जी पर पलटवार करते हुए उन्हें झूठा बताया है। पार्टी नेता अमित मालवीय ने कहा कि जिन लोगों से पूछताछ की जा रही है, वे बांग्लादेशी अवैध प्रवासी हैं, जो बंगाली बोलते हैं लेकिन भारतीय नागरिक नहीं हैं। बीजेपी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल की सरकार अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड और अन्य दस्तावेज दिलाकर उन्हें भारत में घुसपैठ करने में मदद कर रही है। (रिपोर्टः सुमेधा शर्मा)

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