Explainer: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय इनाम-विवाद, यहां पढ़ें क्या है पूरा मामला
KU reward controversy: जिला जनसंपर्क एवं शिकायत निवारण समिति की मासिक बैठकों में एजेंडा बने रहने के बाद, गीता इनसाइट्स चैलेंज के इनाम की रकम बांटे जाने का मामला अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) तक पहुंच गया है। आयोग ने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (केयू) के कुलपति से इस मामले में कथित जातीय भेदभाव को लेकर उठाए गए कदमों की रिपोर्ट मांगी है। हालांकि, विश्वविद्यालय का कहना है कि किसी छात्र के साथ भेदभाव नहीं किया गया और प्रतियोगिता निष्पक्ष रूप से कराई गई थी।
क्या है मामला?
अनिल कुमार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने पिछले वर्ष नवंबर में आयोजित ‘नौवें अंतरराष्ट्रीय गीता सम्मेलन’ के दौरान ‘गीता इनसाइट्स चैलेंज’ में हिस्सा लिया था। इस सम्मेलन का विषय ‘श्रीमद्भगवद्गीता और सतत पारिस्थितिकी तंत्र’ था, जिसे केयू और कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड (केडीबी) ने मिलकर आयोजित किया था। छात्रों को गीता के प्रभाव से संबंधित वीडियो तैयार करने थे। अनिल का कहना है कि उन्होंने वीडियो बनाने में 30,000 रुपये से अधिक खर्च किए क्योंकि प्रतियोगिता का पहला इनाम 1 लाख रुपये था, लेकिन बाद में यह राशि तीन संयुक्त विजेताओं में बांट दी गई और उन्हें केवल 33,334 रुपये मिले। इसी के चलते उन्होंने कई शिकायतें दर्ज कराईं।
शिकायत निवारण समिति की बैठक में क्या हुआ?
जिला जनसंपर्क एवं शिकायत निवारण समिति की बैठक में खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले के राज्य मंत्री राजेश नागर ने केडीबी और केयू के अधिकारियों को पूरा इनाम देने का निर्देश दिया। इसके जवाब में केडीबी ने शहरी स्थानीय निकायों से अतिरिक्त बजट मांगा। वहीं, पहले से स्वीकृत बजट को ही पुरस्कार स्वरूप बांट दिया गया। देरी को देखते हुए मंत्री ने घोषणा की कि वे शेष 67,000 रुपये अपनी विवेकाधीन निधि से देंगे, जिसे हाल ही में मंजूरी दी गई।
NCSC ने नोटिस क्यों जारी किया?
पूर्व छात्र ने आयोग से शिकायत में कहा कि उनके वीडियो को सबसे ज्यादा व्यूज मिले थे, फिर भी इनाम की राशि बांटी गई क्योंकि वे अनुसूचित जाति से आते हैं जबकि अन्य विजेता ऊंची जाति से थे। इसके बाद आयोग ने 22 अगस्त को विश्वविद्यालय कुलपति को नोटिस जारी करते हुए कहा कि इस मामले की जांच की जाए। कुलपति से 15 दिन के भीतर उठाए गए कदमों की जानकारी मांगी गई है।
विश्वविद्यालय का क्या कहना है?
विश्वविद्यालय के जनसंपर्क निदेशक ने कहा कि प्रतियोगिता निष्पक्ष तरीके से कराई गई थी और किसी प्रतिभागी के साथ भेदभाव नहीं किया गया। किसी अन्य प्रतिभागी ने जातीय भेदभाव का आरोप नहीं लगाया। आयोग को समय पर जवाब भेजा जाएगा। विश्वविद्यालय के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि कार्यक्रम का उद्देश्य युवाओं में गीता के प्रति जागरूकता फैलाना था। इसी कारण इनाम को विजेताओं के बीच बांटा गया। पूर्व छात्र ने शिकायत निवारण समिति के समक्ष कभी जातीय भेदभाव का मुद्दा नहीं उठाया था, बल्कि यह शिकायत घटना के नौ महीने बाद की गई है।