Explainer: बहादुरगढ़ में अवैध प्लास्टिक और डाईंग यूनिट्स पर्यावरण के लिए खतरा
Industrial Pollution: झज्जर जिले के बहादुरगढ़ कस्बे के ग्रामीण और शहरी इलाकों में चल रही अवैध प्लास्टिक री-प्रोसेसिंग और जींस डाईंग यूनिट्स पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रही हैं। ये यूनिट्स पर्यावरण कानूनों का उल्लंघन करती हैं और बिना आवश्यक अनुमतियों के संचालित होती हैं। पिछले एक साल में हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (HSPCB) के स्थानीय कार्यालय ने ऐसी 139 यूनिट्स के खिलाफ कार्रवाई की है, जिससे औद्योगिक प्रदूषण पर गंभीर सवाल उठे हैं।
इन अवैध यूनिट्स को कौन चला रहा है और ये कैसे काम कर रही हैं?
अधिकतर अवैध यूनिट्स दिल्ली से आए लोगों द्वारा चलाई जा रही हैं, जिन्होंने राजधानी में सख्त कार्रवाई के बाद अपना संचालन बहादुरगढ़ में शिफ्ट कर लिया। ये यूनिट्स बिना आवश्यक स्थापना या संचानक की सहमति (Consent to Establish CTE या Consent to Operate CTO) लिए प्लास्टिक री-प्रोसेसिंग, धुलाई, पिघलाने और जींस डाईंग का काम करती हैं। ये प्रदूषण नियंत्रण मानकों की अनदेखी कर कचरे को सीधे नालों में छोड़ देती हैं।
स्थानीय लोग इन गतिविधियों में कैसे शामिल हैं?
स्थानीय निवासी अपने मकान बाहरी लोगों को किराए पर देकर इन अवैध यूनिट्स को बढ़ावा देते हैं। कई यूनिट्स घरेलू बिजली कनेक्शन का दुरुपयोग कर औद्योगिक मशीनें चलाती हैं। किराए की आय के लालच में लोग पर्यावरण और कानूनी नियमों की अनदेखी करते हुए इन खतरनाक गतिविधियों को समर्थन देते हैं।
अब तक HSPCB ने क्या कार्रवाई की है?
पिछले एक साल में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 139 अवैध यूनिट्स पर कार्रवाई की है। इनमें से लगभग 80 यूनिट्स को बंद कराया जा चुका है और बाकी पर कार्रवाई जारी है। इसके अलावा 13 अवैध PVC गोदामों पर भी कार्यवाही की जा रही है। ये सभी यूनिट्स संयुक्त टीमों की छापेमारी में विभिन्न इलाकों से पकड़ी गईं।
ये अवैध यूनिट्स मुख्य रूप से कहां स्थित हैं?
बहादुरगढ़ के बिहार कॉलोनी, परनाला, निजामपुर रोड, बमदौली, नेताजी नगर, कृष्णा नगर और छोटू राम नगर में अवैध यूनिट्स की पहचान की गई है। ये यूनिट्स प्रायः किराए के मकानों से संचालित होती हैं और छोटे पैमाने पर चलने के कारण आसानी से छिप जाती हैं।
ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा रहे हैं?
HSPCB जोखिम वाले इलाकों में नियमित निरीक्षण कर रही है ताकि अवैध यूनिट्स का जल्द पता लगाकर उन्हें बंद किया जा सके। क्षेत्रीय अधिकारी शैलेंद्र अरोड़ा ने प्रदूषण नियंत्रण मानकों के पालन, मशीनरी की जांच और दस्तावेजों की वैधता पर जोर दिया। उन्होंने पंचायत विभाग और शहरी निकायों से अपील की कि वे नियमित सर्वे कर यह सुनिश्चित करें कि उनकी सीमा में कोई अवैध यूनिट संचालित न हो।