Explainer: आखिर कैसे हुआ फतेहाबाद में धान घोटाला, अब पकड़ी जांच ने रफ्तार
Fatehabad Paddy scam: लगभग तीन साल पहले हरियाणा के फतेहाबाद जिले में सामने आए बहु-करोड़ी धान खरीद घोटाले की जांच अब तेज हो गई है। गत सप्ताह पुलिस ने रिमांड पर चल रहे दो मुख्य आरोपियों से पूछताछ के दौरान 7 लाख रुपये नकद बरामद किए। यह तब हुआ जब आर्थिक अपराध शाखा ने 6 करोड़ रुपये के इस घोटाले में तीन लोगों रतिया के बलिहार सिंह, नन्हेरी के केवल सिंह और बुर्ज के भूपिंदर सिंह को गिरफ्तार किया। आरोपियों ने कथित तौर पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे नकली धान की फसल दर्ज कराई और सरकारी खरीद योजनाओं से लाभ उठाया। इस घोटाले से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हुआ और अब कई सरकारी अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं।
घोटाले की प्रकृति और इसे कैसे अंजाम दिया गया?
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने उन व्यक्तियों के नाम, आधार नंबर और बैंक खातों का उपयोग कर नकली धान की फसल दर्ज कराई, जिनकी कोई कृषि भूमि नहीं थी। इन झूठी प्रविष्टियों को "मेरी फसल मेरा ब्यौरा" पोर्टल पर डाला गया और फिर धान को सरकारी एजेंसियों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर बेचा गया। मौके पर जांच में पता चला कि जमीन या तो बंजर थी या उस पर ‘किन्नू’ जैसी दूसरी फसलें थीं। जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने पड़ोसी राज्यों से सस्ता धान खरीदकर उसे स्थानीय फसल बताकर एमएसपी प्रणाली का फायदा उठाया।
घोटाला कैसे उजागर हुआ और अब तक क्या कानूनी कार्रवाई हुई?
यह फर्जीवाड़ा तब सामने आया जब असली जमीन मालिकों, जिनमें सिरसा, फतेहाबाद और जींद के लोग शामिल थे, ने पाया कि उनकी जमीन का इस्तेमाल बिना अनुमति के धान पंजीकरण में किया गया है। उन्होंने मुख्यमंत्री उड़न दस्ते से शिकायत की, जिसके बाद जांच शुरू हुई। 2022 में स्क्वॉड अधिकारी राजेश कुमार ने एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें 26 लोगों को नामजद किया गया था, जिनमें चावल मिल मालिक और निजी एजेंट शामिल थे। केस आईपीसी की कई धाराओं में दर्ज किया गया है, जिनमें धोखाधड़ी, जालसाजी, आपराधिक विश्वासघात और आपराधिक साजिश शामिल हैं। अधिकारियों का कहना है कि जांच गहराने पर और गिरफ्तारियां व बरामदगी हो सकती हैं।
आरोपी कौन हैं और जांच में क्या प्रगति हुई है?
गिरफ्तार तीन लोगों में बलिहार सिंह, केवल सिंह और भूपिंदर सिंह शामिल हैं। भूपिंदर को न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, जबकि बलिहार और केवल पुलिस रिमांड पर हैं। पूछताछ के दौरान दोनों ने घोटाले की योजना और क्रियान्वयन की जानकारी दी। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने बलिहार से 2 लाख और केवल से 5 लाख रुपये बरामद किए। इसके अलावा मोबाइल फोन डेटा, बैंक रिकॉर्ड और दस्तावेजों का विश्लेषण किया जा रहा है ताकि पूरे धन प्रवाह का पता लगाया जा सके।
इस घोटाले में और कौन जांच के दायरे में है?
पुलिस का मानना है कि अंदरूनी लोगों की मदद के बिना यह घोटाला संभव नहीं था। खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, रतिया और धर्सूल कला की मंडी समितियों और हरियाणा राज्य भंडारण निगम के कई अधिकारी जांच के घेरे में हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने आरोपियों द्वारा प्रस्तुत झूठे भूमि और फसल रिकॉर्ड के आधार पर मंजूरी और खरीद प्रक्रिया को आसान बनाया।