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Explainer: हरियाणा का लक्ष्य और गिरें पराली जलाने के मामले, ऐसे की है पूरी तैयारी

Stubble Management: हरियाणा ने फसल अवशेष प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार किया है। पिछली धान सीजन में सक्रिय अग्नि स्थानों (AFLs) में 2023 की तुलना में 39 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस उपलब्धि के बावजूद, कृषि एवं किसान कल्याण...
सांकेतिक फाइल फोटो।
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Stubble Management: हरियाणा ने फसल अवशेष प्रबंधन में उल्लेखनीय सुधार किया है। पिछली धान सीजन में सक्रिय अग्नि स्थानों (AFLs) में 2023 की तुलना में 39 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। इस उपलब्धि के बावजूद, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने सक्रिय अग्नि स्थानों को और घटाने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए राज्य के उन 10 जिलों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जहां पिछले साल सबसे ज्यादा AFLs दर्ज हुए थे।

पिछले चार वर्षों में सक्रिय अग्नि स्थानों के कितने मामले दर्ज हुए?

विभिन्न विभागों के अधिकारियों के संयुक्त प्रयास, उल्लंघन करने वाले किसानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई — जैसे कृषि रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ करना, एफआईआर दर्ज करना — और पराली प्रबंधन तरीकों को अपनाने से हरियाणा में 2024 में पराली जलाने के मामलों में बड़ी गिरावट आई। राज्य में 2024 में 1,406 मामले दर्ज हुए, जबकि 2023 में 2,303, 2022 में 3,661 और 2021 में 6,987 मामले थे।

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किन जिलों को पराली जलाने के हॉटस्पॉट के रूप में चिह्नित किया गया है?

ये 10 जिले हैं — फतेहाबाद, जींद, कैथल, अंबाला, सिरसा, कुरुक्षेत्र, करनाल, हिसार, यमुनानगर और सोनीपत। 15 सितंबर से 30 नवंबर, 2024 के आंकड़ों के अनुसार, फतेहाबाद में 2023 के 579 मामलों से घटकर 2024 में 130 मामले हुए। जींद में 343 से 218, कैथल में 262 से 194, अंबाला में 195 से 99, सिरसा में 188 से 162, कुरुक्षेत्र में 154 से 132, करनाल में 126 से 96, हिसार में 111 से 49, यमुनानगर में 98 से 38 और सोनीपत में 78 से 70 मामले दर्ज हुए। रोहतक में 71 से घटकर 24, पलवल में 57 से घटकर 39, जबकि पानीपत में 25 से बढ़कर 41 और झज्जर में 20 से घटकर 12 मामले दर्ज हुए। जिला उपायुक्तों को ‘रेड’ और ‘येलो’ जोन गांवों और प्रमुख धान उत्पादक क्षेत्रों में विशेष कदम उठाने और सूक्ष्म स्तर पर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं।

फसल अवशेष प्रबंधन के लिए विभाग कितना सब्सिडी देता है?

पराली जलाने की समस्या जो सर्दियों में वायु प्रदूषण और धुंध का बड़ा कारण है से निपटने के लिए सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) योजना शुरू की। इसके तहत पराली प्रबंधन के इन-सीटू और एक्स-सीटू तरीकों को अपनाने वाले किसानों को इस सीजन से 1,200 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी, जबकि पहले यह 1,000 रुपये थी। इसके अलावा, स्ट्रॉ बेलर, हैप्पी सीडर और पेडी स्ट्रॉ चॉपर जैसी पराली प्रबंधन मशीनरी की खरीद पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। शून्य पराली जलाने वाले ‘रेड जोन’ पंचायतों को 1 लाख रुपये और ‘येलो जोन’ पंचायतों को 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार दिया जाता है।

पराली जलाने पर रोक के लिए कौन-कौन से सख्त कदम उठाए जाते हैं?

पराली जलाने में शामिल किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के अलावा, ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ (MFMB) पोर्टल में रेड एंट्री की जाती है, जिससे वे दो लगातार सीजन तक ई-खरीद के माध्यम से फसल नहीं बेच सकते।

2025–26 सीआरएम योजना के तहत किन मशीनों पर सब्सिडी मिलेगी?

सुपर एसएमएस, बेलिंग मशीनें, हैप्पी सीडर, रोटरी स्लैशर, पेडी स्ट्रॉ मल्चर, हाइड्रोलिक रिवर्सिबल एमबी प्लाउ, जीरो-टिल ड्रिल, सुपर सीडर, सरफेस सीडर, रीपर/रीपर-कम-बाइंडर, लोडर और टेडर मशीनें। किसानों को 50 प्रतिशत सब्सिडी या विभाग द्वारा अनुमोदित दर जो भी कम हो दी जाएगी।

आवेदन कैसे करें और किन दस्तावेजों की आवश्यकता है?

व्यक्तिगत किसान 20 अगस्त तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन www.agriharyana.gov.in या http://www.agriharyana.gov.in पर किया जा सकता है, साथ ही ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल पर रबी 2025 या खरीफ 2024 की फसल के लिए पंजीकरण जरूरी है। जरूरी दस्तावेजों में ट्रैक्टर आरसी (यदि लागू हो), फैमिली आईडी, पैन कार्ड, आधार कार्ड, स्वयं घोषणा पत्र, बैंक खाता विवरण और जाति प्रमाण पत्र (एससी किसानों के लिए) शामिल हैं।

कौन आवेदन कर सकता है और क्या सीमाएं हैं?

प्रत्येक फैमिली आईडी से केवल एक आवेदन किया जा सकता है और जिन आवेदकों को पिछले तीन वर्षों में किसी विशेष उपकरण के लिए सब्सिडी मिल चुकी है, वे उसी उपकरण के लिए पुनः पात्र नहीं होंगे।

यदि आवेदन लक्ष्य से अधिक हों तो लाभार्थियों का चयन कैसे होगा?

चयन जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यकारी समिति करेगी। यदि आवेदन लक्ष्य से अधिक हुए, तो किसानों की मौजूदगी में ऑनलाइन ड्रा के जरिए चयन किया जाएगा।

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