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Explainer: हरियाणा की सड़कें अपराधियों से ज्यादा घातक, जानें पुलिस अब क्या उठा रही कदम

Haryana Road Accidents: 10 महीनों में 4 हजार जाने गईं, डीजीपी ने दिखाई सख्ती, पुलिस अलर्ट पर
सांकेतिक फाइल फोटो।
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Haryana Road Accidents: हरियाणा की सड़कों पर हादसों का कहर इस कदर बढ़ गया है कि आंकड़े अब डराने लगे हैं। राज्य में साल 2025 के पहले दस महीनों में करीब चार हजार लोगों की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो चुकी है, जबकि इसी अवधि में हत्या के मामलों में 800 लोग मारे गए। यानी सड़कें अब अपराधियों से ज्यादा घातक साबित हो रही हैं। इन भयावह आंकड़ों ने हरियाणा पुलिस को झकझोर दिया है।

पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह ने सभी जिलों के पुलिस अधिकारियों को सख्त निर्देश जारी किए हैं कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस और तत्काल कदम उठाए जाएं। पुलिस मुख्यालय से जारी पत्र में डीजीपी ने कहा है कि जनवरी से अक्टूबर तक की अवधि में सड़क हादसों में हुई मौतों की संख्या हत्याओं से पांच गुना अधिक है, जो बेहद चिंताजनक है।

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उन्होंने लिखा – ‘सड़क पर मरने वाला हर व्यक्ति किसी घर का कमाने वाला सदस्य होता है। इन हादसों से न सिर्फ परिवार टूटते हैं, बल्कि लाखों रुपये इलाज में खर्च हो जाते हैं और कई लोग जीवनभर के लिए अपंग हो जाते हैं।’ डीजीपी ने निर्देश दिया है कि प्रत्येक थाना प्रभारी अपने क्षेत्र में दुर्घटनाओं के ‘ब्लाइंड स्पॉट’ और ‘एक्सीडेंट हॉटस्पॉट’ की पहचान करें, ताकि वहां संकेतक चिह्न, रिफ्लेक्टिव टेप और चेतावनी बोर्ड लगाए जा सकें।

ओवरस्पीडिंग और शराबखोरी पर जीरो टॉलरेंस

पुलिस महानिदेशक ने कहा कि अब शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों को सीधे 15 से 20 दिन के लिए जेल भेजा जाएगा। उन्होंने आदेश दिया कि जहां ओवरस्पीडिंग की संभावना है, वहां इफेक्टिव नाके लगाए जाएं और बिना किसी नरमी के चालान काटे जाएं। सिंह ने सख्त लहजे में कहा कि ऐसे सिरफिरे ड्राइवरों के कारण सड़कें फायरिंग रेंज से भी ज्यादा खतरनाक हो जाती हैं। इन पर लगाम कसना जरूरी है। साथ ही, उन्होंने ट्रक ऑपरेटरों को निर्देश दिया कि उनके ड्राइवर प्रशिक्षित हों और उन्हें पर्याप्त आराम दिया जाए। अक्सर टारगेट टाइम पूरा करने के दबाव में ट्रक दिन-रात बिना रुके चलते रहते हैं, जो दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बनता है।

‘डिजाइन फॉल्ट’ पर भी होगी जिम्मेदारी तय

ओपी सिंह ने अपने आदेश में यह भी जोड़ा कि कई बार सड़क दुर्घटनाएं केवल ड्राइविंग लापरवाही नहीं, बल्कि सड़क डिजाइन और इंजीनियरिंग की खामियों के कारण होती हैं। उन्होंने कहा कि अब से सड़क निर्माण एजेंसियों और इंजीनियरों की भी जवाबदेही तय की जाएगी। जहां बार-बार दुर्घटनाएं होती हैं, वहां निर्माण विभाग से संपर्क कर मनमाने कट्स बंद कराए जाएं, जरूरी साइनेज लगाए जाएं और डिजाइन इंजीनियरिंग फॉल्ट की जांच की जाए। डीजीपी ने साफ कहा – ‘यदि समय रहते सुधारात्मक कदम नहीं उठाए गए तो सड़कों के डिजाइनर और इंजीनियरों की आपराधिक जिम्मेदारी तय की जाएगी।’

खराब गाड़ियों पर भी नजर, रिफ्लेक्टिव कोन अनिवार्य

डीजीपी ने निर्देश दिया कि सड़क पर खराब होकर खड़ी किसी भी गाड़ी को तुरंत हटवाया जाए। अगर वाहन हटाना संभव न हो, तो पुलिस को वहां रिफ्लेक्टिव टेप वाले कोन लगवाने होंगे ताकि दूसरे वाहनों को खतरे का अंदेशा पहले से हो। उन्होंने कहा कि कई हादसे इसलिए होते हैं क्योंकि रात में ड्राइवरों को सड़क पर खड़ी गाड़ियां दूर से नजर नहीं आतीं।

थाना प्रभारियों को दो माह का टारगेट

राज्य पुलिस प्रमुख ने सभी थाना प्रभारियों को दो महीने का टारगेट दिया है। उन्हें अपने क्षेत्र में पिछले साल नवंबर-दिसंबर में हुई दुर्घटनाओं की तुलना में इस बार मौतों की संख्या घटाने का लक्ष्य पूरा करना होगा। जो अधिकारी इसमें सफल रहेंगे, उन्हें गणतंत्र दिवस के मौके पर सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि हाईवे के आसपास शराब के ठेकों की निगरानी बढ़ाई जाए, ताकि ड्राइवर नशे में वाहन न चलाएं। ठेकेदारों से कहा गया है कि वे हिंदी में चेतावनी स्टिकर लगाएं – ‘शराब पीकर गाड़ी चलाना जानलेवा है।’

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