Explainer: हिसार में मवेशियों की मौत, बीमारी, दूषित पानी या मानवीय लापरवाही?
Hisar Cattle Deaths: हिसार जिले में अचानक कई भैंस व गाय सहित कई पशुओं की मौत ने शहर और हरिकोट गांव में पशुपालकों के बीच दहशत फैला दी है। पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों से अपील की है कि वे आगे...
Hisar Cattle Deaths: हिसार जिले में अचानक कई भैंस व गाय सहित कई पशुओं की मौत ने शहर और हरिकोट गांव में पशुपालकों के बीच दहशत फैला दी है। पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों से अपील की है कि वे आगे होने वाले नुकसान को रोकने के लिए उनकी सलाह का पालन करें।
पिछले हफ्ते हिसार जिले में कितने मवेशियों की मौत हुई?
हरिकोट गांव में पिछले सात दिनों में करीब 10 मवेशियों, जिनमें भैंस और गाय शामिल हैं, की अचानक मौत के बाद गांव में दहशत का माहौल है। कारणों से अनजान ग्रामीण मृत पशुओं का निपटान कर रहे हैं। इसी तरह, 22 सितंबर को हिसार शहर में अलग-अलग जगहों पर लगभग 20 गायें मृत पाई गईं।
हरिकोट गांव में मवेशियों की मौत का कारण क्या माना जा रहा है?
गांववालों को आशंका थी कि ये मौतें मुंह-खुर (एफएमडी) बीमारी से हुई हैं, लेकिन पशुपालन विभाग की डॉ. मीतू ने स्पष्ट किया कि ये मौतें एफएमडी से नहीं बल्कि गंदे और ठहरे हुए पानी से फैले वायरल संक्रमण की वजह से हुई हैं। उन्होंने बताया कि हैमरेजिक सेप्टीसीमिया (एचएस) और एफएमडी के टीकाकरण की शुरुआत कर दी गई है और प्रभावित पशुओं के इलाज के लिए पशु चिकित्सा दल भेजे गए हैं।
क्या बाढ़ और जलभराव इसके पीछे कारण हो सकते हैं?
पशु चिकित्सकों का मानना है कि ठहरे हुए पानी पीने से संक्रमण फैला है। हिसार जिले के कई गांव भारी बारिश और नहर टूटने के कारण करीब एक महीने से जलमग्न हैं। यह गंदा और दूषित पानी पीने से मवेशियों में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।
22 सितंबर को हिसार शहर में गायों की मौत का कारण क्या था?
हिसार शहर में करीब 20 गायों की मौत कथित तौर पर हलवा और पूरी जैसे त्योहारों के भोजन खाने से हुई। मृत गायें महावीर कॉलोनी, मिल गेट, सेक्टर 14 और आसपास की बस्तियों में पाई गईं। लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) के विशेषज्ञ डॉ. निलेश सिंधु ने बताया कि ऐसा भोजन एसिडोसिस नामक बीमारी का कारण बन सकता है, जो पाचन तंत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और अगर तुरंत इलाज न मिले तो जानलेवा साबित हो सकती है।
मवेशियों की मौत के बाद हरिकोट गांव के ग्रामीणों की क्या मांग है?
पशुओं की मौत से चिंतित ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। इसमें विशेष पशु चिकित्सा दल की तैनाती और प्रभावित पशुपालकों को मुआवजा देने की मांग शामिल है।
पशु चिकित्सकों ने जनता को क्या सलाह दी है?
विशेषज्ञों ने ग्रामीणों से कहा है कि वे मवेशियों को हमेशा साफ पानी पिलाएं और उन्हें ठहरा हुआ पानी न पीने दें। शहरी क्षेत्रों में लोगों को केवल ताजा हरा चारा देने और तली-भुनी या मीठी चीजें खिलाने से बचने की सलाह दी गई है, क्योंकि इससे एसिडोसिस का खतरा रहता है। गौ संरक्षण कार्यकर्ता सीताराम सिंगला ने भी अपील की कि लोग त्योहारों या धार्मिक आयोजनों के दौरान हलवा और पूरी जैसी चीजें गायों को न खिलाएं, क्योंकि इससे अनजाने में उनकी जान खतरे में पड़ सकती है।