Explainer: अवैध खनन से करोड़ों का नुकसान; किसने निभाई जिम्मेदारी, किसने की अनदेखी
Illegal Mining: पिछले कुछ वर्षों में यमुनानगर जिले में अवैध खनन गतिविधियों के कई मामले सामने आए हैं। खनन और भूविज्ञान विभाग के अधिकारियों ने अवैध खनन में संलिप्त लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर और जुर्माने लगाकर कार्रवाई की है। अब, हरियाणा राज्य प्रवर्तन ब्यूरो (Enforcement Bureau) ने कथित अवैध खनन गतिविधि का एक और मामला उजागर किया है।
मामले में कितने क्रशर शामिल पाए गए?
यमुनानगर जिले में कई स्टोन क्रशर और स्क्रींनिंग प्लांट अवैध रूप से खनिज संसाधनों को प्रोसेस करते पाए गए। इनमे से 17 स्टोन क्रशर और स्क्रीनिंग प्लांट को 30 जुलाई 2025 को नोटिस जारी किए गए। ये नोटिस हरियाणा खनन और भूविज्ञान विभाग के महानिदेशक द्वारा जारी किए गए थे, जिनमें मालिकों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए तलब किया गया।
मामला सामने कैसे आया?
प्रवर्तन ब्यूरो को जानकारी मिली थी कि कई स्टोन क्रशरों के पोर्टल ‘ई-रवाना’ (e-rawana) पर सक्रिय नहीं थे, जिससे वे खनिजों की खरीद-फरोख्त से बच रहे थे। इनके GST रिटर्न भी ‘शून्य’ दर्शाए गए थे, जिससे प्रतीत होता था कि वे संचालन में नहीं हैं। लेकिन जब बिजली खपत के रिकॉर्ड देखे गए, तो पता चला कि इन क्रशरों की बिजली खपत बहुत अधिक थी, जो इस बात की ओर इशारा करता था कि ये अवैध खनिज संसाधनों को प्रोसेस कर रहे थे।
प्रवर्तन ब्यूरो ने कौन से रिकॉर्ड जुटाए?
ब्यूरो ने दिसंबर 2023 से मार्च 2025 तक की बिजली बिलों की जानकारी हरियाणा पावर यूटिलिटीज से और जीएसटी रिटर्न का डेटा सेल्स टैक्स विभाग से प्राप्त किया। इसके बाद ब्यूरो ने ई-रवाना पोर्टल और बिजली बिलों के आधार पर सत्यापन कर पाया कि कई क्रशर और स्क्रींनिंग प्लांट अवैध खनिज संसाधनों की प्रोसेसिंग कर रहे थे।
सरकार को कितना नुकसान हुआ?
ये स्टोन क्रशर और स्क्रींनिंग प्लांट अवैध खनिजों का इस्तेमाल करके अवैध रूप से चलाए जा रहे थे, जिससे खनन और भूविज्ञान विभाग, उत्पाद एवं कर विभाग (सेल्स टैक्स), आयकर विभाग और अन्य सरकारी विभागों को भारी राजस्व हानि हुई है।
क्या खनन विभाग अपनी जिम्मेदारी निभाने में असफल रहा?
खनन व्यवसाय से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यह चौंकाने वाली बात है कि खनन विभाग की यह मुख्य जिम्मेदारी थी कि वह अवैध क्रशरों और अन्य अवैध खनन गतिविधियों की जांच करे, लेकिन यह काम राज्य प्रवर्तन ब्यूरो ने किया। उनका कहना है कि विभाग ने समय-समय पर अवैध खनन करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज जरूर करवाई, लेकिन वे इन गतिविधियों को प्रभावी ढंग से रोकने में विफल रहे। यह आशंका भी जताई जा रही है कि विभाग के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत भी संगठित खनन माफिया के साथ हो सकती है।