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Explainer: सिरसा में रजिस्ट्री पर 'ब्रेक', तहसीलदार की अनुपस्थिति बनी लोगों के लिए सिरदर्द

Sirsa E-Disha Center: सिरसा में ई-दिशा केंद्र पर भूमि पंजीकरण (जमीन रजिस्ट्री) की प्रक्रिया बेहद धीमी हो गई है। लोग टोकन मिलने के बाद भी कई दिनों तक इंतजार करने को मजबूर हैं। इस देरी का मुख्य कारण है एक...
सिरसा में ई-दिशा केंद्र में लाइन पर लगे लोग। फाइल फोटो ट्रिब्यून
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Sirsa E-Disha Center: सिरसा में ई-दिशा केंद्र पर भूमि पंजीकरण (जमीन रजिस्ट्री) की प्रक्रिया बेहद धीमी हो गई है। लोग टोकन मिलने के बाद भी कई दिनों तक इंतजार करने को मजबूर हैं। इस देरी का मुख्य कारण है एक पूर्णकालिक तहसीलदार की अनुपस्थिति। लगभग एक महीने पहले पूर्व तहसीलदार भुवनेश कुमार को रिश्वत मामले में निलंबित कर दिया गया था। तब से रजिस्ट्री का कार्य अन्य अधिकारियों को सौंपा गया, लेकिन सिस्टम सुचारू रूप से नहीं चल पा रहा है। लंबी कतारें, नाराज नागरिक और अव्यवस्थित व्यवस्था ने गंभीर संकट पैदा कर दिया है। लोग त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक केवल अस्थायी कदम ही उठाए गए हैं। पूरा दबाव अब नायब तहसीलदार पर आ गया है।

भूमि पंजीकरण में देरी का मुख्य कारण तहसीलदार भुवनेश कुमार के निलंबन के बाद अब तक कोई नया तहसीलदार नियुक्त न किया जाना है। विधायक गोकुल सेतिया द्वारा सोशल मीडिया पर एक सीसीटीवी वीडियो साझा करने के बाद, जिसमें भुवनेश कथित रूप से रिश्वत से संबंधित बातचीत करते दिखाई दे रहे थे, सरकार ने उन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। तब से रजिस्ट्री का कार्य नायब तहसीलदार, जिला राजस्व अधिकारी (DRO), और उपमंडल अधिकारी (SDM) को सौंपा गया, लेकिन वास्तव में केवल नायब तहसीलदार ही सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं।

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देरी से लोग कैसे प्रभावित हो रहे

लोग वैध टोकन होने के बावजूद कई दिनों तक इंतजार कर रहे हैं। एक व्यक्ति कमल को सोमवार के लिए टोकन मिला था, लेकिन उनका काम गुरुवार को जाकर पूरा हुआ। पंजीकरण दोपहर 2 बजे के बाद ही शुरू होता है, और केंद्र शाम 5 बजे बंद हो जाता है, जिससे कई लोगों का काम अधूरा रह जाता है। यहां तक कि कामकाजी दिनों में भी देरी आम बात हो गई है, और जब नायब तहसीलदार अनुपस्थित होते हैं, तो कोई भी काम नहीं हो पाता।

क्या कहते हैं अधिकारी

नायब तहसीलदार सुभाष चंद्र ने स्वीकार किया कि काम का बोझ उनके लिए बहुत अधिक है। उन्होंने बताया कि स्टाफ नया और अप्रशिक्षित है, जिससे देरी और बढ़ जाती है। साथ ही उन्हें अन्य क्षेत्रों में भी ड्यूटी करनी पड़ती है, जिनमें कोर्ट में पेशी भी शामिल है। जिला राजस्व अधिकारी (DRO) संजय चौधरी ने कहा कि उन्होंने तहसीलदार का कार्यभार लेने से इनकार कर दिया, क्योंकि वह उनके वर्तमान पद से नीचे का पद है।

स्टाफ तो बढ़ा पर नहीं हुआ समाधान

29 जुलाई को द ट्रिब्यून में खबर प्रकाशित होने के बाद, ई-दिशा केंद्र पर स्टाफ की संख्या दो से बढ़ाकर चार कर दी गई। हालांकि, इससे नायब तहसीलदार पर काम का दबाव कम नहीं हुआ है और लोगों को अब भी बार-बार दफ्तर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। जब तक एक नया तहसीलदार नियुक्त नहीं किया जाता, समस्या का समाधान होता नहीं दिख रहा।

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