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Explainer: पानीपत में डायरिया से मौतों के बाद प्रशासन अलर्ट पर, ऐसे रखें ध्यान

Diarrhoea: पानीपत में डायरिया (दस्त) के मरीजों की बढ़ती संख्या और अब तक दर्ज नौ मौतों ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों...
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी पानीपत शहर में एक ढाबे का निरीक्षण करते हुए। ट्रिब्यून
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Diarrhoea: पानीपत में डायरिया (दस्त) के मरीजों की बढ़ती संख्या और अब तक दर्ज नौ मौतों ने जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। मामले को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने प्रभावित क्षेत्रों का सर्वे शुरू कर दिया है। इन टीमों ने पीने के पानी और खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों के सैंपल इकट्ठे किए हैं। अब तक जिले में संदिग्ध डायरिया से 10 मौतें दर्ज की गई हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि किसी एक क्षेत्र में बीमारी का आउटब्रेक नहीं हुआ है। मौतों का सही कारण पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।

डायरिया क्या है?

जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. रिंकू सांगवान ने बताया, “डायरिया ऐसी स्थिति है जिसमें किसी व्यक्ति को दिन में चार से पांच बार या उससे अधिक बार पतले व पानी जैसे दस्त होते हैं। यह अधिकतर वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी संक्रमण के कारण होता है, जो संक्रमित भोजन या पानी के सेवन से फैलता है। डायरिया फूड प्वॉइजनिंग या अन्य कारणों से भी हो सकता है। बरसात का मौसम इस बीमारी के लिए संवेदनशील माना जाता है और हर साल इस दौरान मरीजों की संख्या बढ़ जाती है। इसलिए सभी को साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए।”

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मुख्य लक्षण और बचाव

डायरिया के मुख्य लक्षणों में बार-बार पतले दस्त (चार–पांच बार से अधिक), पेट दर्द, पेट में संक्रमण, पाचन तंत्र की गड़बड़ी, गैस और उल्टी शामिल हैं। यह स्थिति शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) का कारण बन सकती है, खासकर एक्यूट डायरिया में। डॉ. सांगवान ने बताया कि बचाव का सबसे महत्वपूर्ण तरीका स्वच्छता है।

इसका ध्यान रखें

जिले में अब तक कितनी मौतें हुईं?

जून में 3 मौतें

30 अगस्त: बाबरपुर में ढाई साल के बच्चे की मौत

31 अगस्त: महावीर कॉलोनी और सैनी कॉलोनी में तीन-तीन साल के दो बच्चों की मौत

7 सितंबर: देशराज कॉलोनी में दो साल के बच्चे की मौत

8 सितंबर: पांच साल के बच्चे की मौत

9 सितंबर: खलीला गांव में एक ईंट-भट्ठा मज़दूर की मौत

वर्तमान में रोज़ाना 20 से 25 मरीज, जिनमें बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, सिविल अस्पताल की ओपीडी में आ रहे हैं। इसके अलावा कई लोग निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और दवा दुकानों से भी इलाज करा रहे हैं।

प्रशासन ने अब तक क्या कदम उठाए?

स्वास्थ्य विभाग प्रभावित क्षेत्रों से पानी और खाद्य पदार्थों के सैंपल एकत्र कर रहा है। इसके लिए ज़िले में विशेष टास्क फोर्स बनाई गई है।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में ओआरएस पैकेट और दवाइयां बांटी जा रही हैं। हेल्थ इंस्पेक्टर पानी के सैंपल इकट्ठा कर रहे हैं। लोक स्वास्थ्य विभाग को जिले में स्वच्छ पानी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। सीएमओ डॉ. विजय मलिक ने सभी मृतकों के पोस्टमॉर्टम अनिवार्य कर दिए हैं, ताकि मौत का वास्तविक कारण स्पष्ट हो सके।

आगे क्या?

मामले को गंभीरता से लेते हुए जिला प्रशासन ने विशेष बैठक की है। एडीसी डॉ. पंकज यादव ने बताया कि खाद्य सुरक्षा अधिकारी को खुले में बिकने वाले खाद्य पदार्थों के सैंपल लेने के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने कहा, “स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम और लोक स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त टीमों को पानी के सैंपल लेने के लिए लगाया गया है। बुधवार को इन टीमों ने शहर के कई क्षेत्रों से 5 खाद्य और 22 पानी के सैंपल लिए हैं। लैब की रिपोर्ट दो से तीन दिन में आने की संभावना है। इसी बीच मृतकों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की भी समीक्षा की जा रही है, ताकि हाल ही में हुई मौतों का वास्तविक कारण पता चल सके।”

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