ड्यूटी-फ्री व्यापार से पानीपत को UK के बाजार में मिलेगा बेहतर अवसर
Duty-free trade: भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच द्विपक्षीय समग्र आर्थिक एवं व्यापार समझौता (CETA) एक नए अध्याय की शुरुआत कर रहा है। इस समझौते को लेकर खासकर पानीपत के उद्योग जगत और निर्यातक वर्ग में काफी उत्साह और उम्मीद देखी जा रही है।
इस समझौते के लागू होने से पानीपत के निर्यातकों को अब यूके के बाजार में ड्यूटी-फ्री (शुल्क-मुक्त) पहुंच मिलेगी, जिससे उन्हें बांग्लादेश, पाकिस्तान, कंबोडिया, श्रीलंका और तुर्की जैसे देशों के निर्यातकों पर बढ़त प्राप्त होगी। फिलहाल पानीपत से यूके को सालाना करीब 400 करोड़ रुपये का निर्यात व्यापार होता है। निर्यातकों का मानना है कि समझौते के प्रभाव में आने के बाद आने वाले वर्षों में यह व्यापार दोगुना हो सकता है।
भारत-यूके एफटीए में क्या है खास?
भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच CETA को 24 जुलाई को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूके के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके ब्रिटिश समकक्ष कीर स्टारमर की उपस्थिति में हस्ताक्षरित किया। इस समझौते के तहत भारत के 99 प्रतिशत निर्यातों को यूके में शुल्क-मुक्त प्रवेश मिलेगा, जो कुल व्यापार मूल्य का लगभग 100 प्रतिशत कवर करता है। इसका मतलब यह है कि अब टेक्सटाइल्स (वस्त्र), चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न और आभूषण, खिलौने, इंजीनियरिंग वस्तुएं, रसायन, कृषि उत्पाद और ऑटो पार्ट्स जैसे भारतीय उत्पाद यूके के बाजार में शून्य सीमा शुल्क पर प्रवेश करेंगे।
पानीपत का निर्यात कारोबार कितना महत्वपूर्ण है?
पानीपत को वैश्विक स्तर पर ‘टेक्सटाइल सिटी’ (वस्त्र नगरी) के रूप में जाना जाता है। इसकी वस्त्र उद्योग का वार्षिक कारोबार 50,000 करोड़ रुपये से अधिक है, जिसमें से करीब 20,000 करोड़ रुपये का योगदान निर्यात से होता है। पानीपत से हैंडलूम उत्पाद जैसे कुशन, कंबल, चादरें, बेड-कवर और बाथ मैट्स अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, ऑस्ट्रेलिया और यूरोप सहित दुनिया के कई देशों में निर्यात किए जाते हैं।
पानीपत के लिए एफटीए का क्या महत्व है?
पानीपत चैप्टर, हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के चेयरमैन विनोद धमीजा ने कहा कि यूके को विश्व स्तर पर एक स्थिर और भरोसेमंद बाजार माना जाता है। उनके अनुसार, यह मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पानीपत के निर्यातकों को इस स्थिर बाजार में अधिक व्यापार के अवसर प्रदान करेगा।
पहले कपड़ा उत्पादों पर कितना शुल्क लगता था?
हैंडलूम एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल के अध्यक्ष ललित गोयल ने बताया कि पहले भारत से निर्यात होने वाले टेक्सटाइल और हैंडलूम उत्पादों पर 9 से 12 प्रतिशत तक शुल्क लगता था। अब यह शुल्क शून्य हो जाएगा।
समझौता यूके बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धा को कैसे प्रभावित करेगा?
यूके के बाजार में पानीपत के निर्यातकों के लिए बांग्लादेश, पाकिस्तान, श्रीलंका, तुर्की और कंबोडिया प्रमुख प्रतिस्पर्धी थे, क्योंकि इन देशों को पहले से ही ड्यूटी-फ्री (शुल्क-मुक्त) बाजार की सुविधा प्राप्त थी। अब इस समझौते के तहत भारतीय निर्यातकों को भी ड्यूटी-फ्री पहुंच मिल जाएगी, जिससे यूके बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। (रिपोर्टः मुकेश टंडन)