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Myopia क्या आपका बच्चा भी दूर की चीजें धुंधली देखता है? पीजीआई ने बताई मायोपिया की सच्चाई

PGI चंडीगढ़ में हर महीने पहुंच रहे 50 से 60 नए मायोपिक के मरीज
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Myopia क्या आपका बच्चा दूर की चीजें धुंधली देखता है या टीवी देखने के लिए बहुत पास चला जाता है? अगर हां, तो यह मायोपिया यानी निकट दृष्टि दोष का संकेत हो सकता है। पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के एडवांस्ड आई सेंटर के विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि बच्चों की नजर तेजी से कमजोर हो रही है और अब यह समस्या एक बड़ी स्वास्थ्य चिंता बन चुकी है।

अस्पताल के पीडियाट्रिक ऑप्थैल्मोलॉजी डिवीजन में हर महीने लगभग 50 से 60 नए मायोपिक बच्चे पहुंच रहे हैं, जिनमें करीब 43 प्रतिशत बच्चों में हाई मायोपिया यानी गंभीर दृष्टि दोष पाया जा रहा है। डॉ. जसप्रीत सुखीजा, प्रोफेसर, पीडियाट्रिक ऑप्थैल्मोलॉजी सर्विसेज, एडवांस्ड आई सेंटर, ने बताया कि हाई मायोपिया से आगे चलकर रेटिनल डिटैचमेंट (रेटिना का अलग होना), ग्लूकोमा और मैक्युलर डीजेनेरेशन जैसी स्थितियां उत्पन्न हो सकती हैं, जो स्थायी दृष्टि हानि का कारण बन सकती हैं।

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पीजीआई में आयोजित मायोपिया जागरूकता अभियान में शामिल होते बच्चे।

डॉ. सुखीजा ने कहा कि बच्चों का अत्यधिक समय मोबाइल, टीवी और टैबलेट पर बिताना तथा खुली हवा में खेलने की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। उन्होंने बताया कि अभिभावक अक्सर यह मान लेते हैं कि मायोपिया केवल चश्मे तक सीमित है, जबकि वास्तव में यह भविष्य में गंभीर नेत्र रोगों का रूप ले सकता है।

सेंटर की विशेषज्ञ टीम डॉ. सृष्टि राज, डॉ. श्वेता चौरासिया और डॉ. सवलीन कौर के अनुसार, यह प्रवृत्ति न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी तेजी से बढ़ रही है। अनुमान है कि वर्ष 2030 तक हर तीन में से एक शहरी बच्चा मायोपिक हो सकता है और 2050 तक इसकी दर 48 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।

डॉक्टरों ने अभिभावकों से अपील की है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम सीमित करें, उन्हें रोजाना कम से कम एक-दो घंटे बाहर खेलने दें और हर छह महीने में उनकी आंखों की जांच कराएं। साथ ही बताया कि अब मायोपिया की प्रगति को धीमा करने के लिए कई नए उपाय उपलब्ध हैं, जैसे लो-डोज एट्रोपिन ड्रॉप्स, ऑर्थो-के लेंस और स्मार्ट ग्लासेज, जो बच्चों की दृष्टि को सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो रहे हैं।

पीजीआईएमईआर के डॉक्टरों का कहना है कि मायोपिया से बचाव केवल इलाज का विषय नहीं, बल्कि जीवनशैली सुधार की जरूरत है। बच्चों की आंखों की रोशनी बचाना अभिभावकों, शिक्षकों और समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है।

क्या है मायोपिया? (Myopia Explained Simply)

मायोपिया या निकट दृष्टि दोष एक नेत्र समस्या है जिसमें व्यक्ति को पास की वस्तुएं साफ दिखती हैं, लेकिन दूर की वस्तुएं धुंधली नजर आती हैं। यह तब होता है जब आंख की लंबाई सामान्य से अधिक बढ़ जाती है या कॉर्निया (आंख का पारदर्शी आगे का भाग) अधिक घुमावदार हो जाता है।

मुख्य कारण

  1. मोबाइल, टीवी, टैबलेट आदि पर अधिक समय बिताना
  2. खुली हवा में खेलने का समय घट जाना
  3. लगातार पास से पढ़ना या स्क्रीन पर ध्यान केंद्रित रखना
  4. पारिवारिक इतिहास (वंशानुगत कारण)

लक्षण

  1. दूर की चीजें धुंधली दिखना
  2. टीवी या ब्लैकबोर्ड देखने में परेशानी
  3. बार-बार आंखें मिचमिचाना या मलना
  4. सिरदर्द या आंखों में थकान महसूस होना

खतरे

  1. अगर मायोपिया बहुत ज्यादा बढ़ जाए तो हाई मायोपिया कहा जाता है, जिससे भविष्य में
  2. रेटिनल डिटैचमेंट (रेटिना का अलग होना)
  3. ग्लूकोमा (आंख का दबाव बढ़ना)
  4. मैक्युलर डीजेनेरेशन (रेटिना के केंद्र की कमजोरी) का खतरा बढ़ जाता है।

बचाव के उपाय

  1. बच्चों को रोजाना कम से कम एक-दो घंटे बाहर खेलने दें
  2. स्क्रीन टाइम सीमित करें (छोटे बच्चों के लिए दिन में एक घंटे से कम)
  3. हर छह महीने में आंखों की जांच करवाएं
  4. पढ़ते समय पर्याप्त रोशनी रखें

डॉक्टर की सलाह से लो-डोज एट्रोपिन ड्रॉप्स या स्मार्ट ग्लासेज का उपयोग करें। पीजीआई के विशेषज्ञों का कहना है कि मायोपिया अब एक जन-स्वास्थ्य चुनौती बन चुका है। बच्चों की दृष्टि सुरक्षित रखने के लिए समय पर जांच, संतुलित जीवनशैली और तकनीकी उपायों का संयोजन ही इसका सबसे प्रभावी समाधान है।

 

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