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दिल्ली NCR में फाइलों में दबी शिकायतें, हवा में 'जहर', हरियाणा की लापरवाही पर सवाल

Delhi NCR Pollution: सीपीसीबी ने भेजा कड़ा पत्र, 109 शिकायतों में से 78 लंबित
दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता में गिरावट के बीच मास्क पहने एक युवती। पीटीआई
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Delhi NCR Pollution: दिल्ली-एनसीआर इन दिनों जहरीली धुंध की चपेट में है। हवा की गुणवत्ता ऐसा रूप ले चुकी है जिसे विशेषज्ञ ‘स्वास्थ्य के लिए सबसे घातक’ श्रेणी में रखते हैं। आसमान में धुएं की मोटी परत, आंखों में जलन और सीने पर बोझ, ऐसे हालात में नागरिक लगातार शिकायतें दर्ज करा रहे हैं, लेकिन हरियाणा की कई सरकारी एजेंसियां इन शिकायतों पर कार्रवाई से कोसों दूर नजर आ रही हैं।

ऐसी लापरवाही को देखते हुए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने हरियाणा के मुख्य सचिव को बेहद सख्त पत्र भेजकर चेतावनी दी है कि प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों का समय पर निपटारा करें, वरना हालात और बिगड़ेंगे। सीपीसीबी ने अपने पत्र के साथ जो विस्तृत रिपोर्ट संलग्न की है, वह हरियाणा की एजेंसियों की वास्तविक तस्वीर सामने रखती है।

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समीर ऐप पर शिकायतें 15 अक्टूबर से 5 नवंबर तक कुल शिकायतें मिली। इनमें से केवल तीन का निपटारा किया गया। 29 शिकायतें यानी 91 प्रतिशत लंबित हैं। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण, हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कई क्षेत्रीय कार्यालय, सोनीपत और फरीदाबाद की नगर निगम इकाइयां, लगभग सभी विभागों में शिकायतें पूरी तरह लंबित हैं। फरीदाबाद, गुरुग्राम और रोहतक के क्षेत्रीय कार्यालयों में तो एक भी शिकायत का समाधान नहीं किया गया।

सोशल मीडिया पर जनता की गुहार

सोशल मीडिया पर नागरिकों ने धुआं, कचरा-जलाने, निर्माण-स्थलों की धूल और औद्योगिक प्रदूषण से जुड़े अनेक वीडियो और तस्वीरें साझा कर शिकायतें दर्ज कराईं। परंतु अधिकांश विभागों ने कोई प्रतिक्रिया तक नहीं दी। सोशल मीडिया पर इस अवधि में कुल 77 शिकायतें दर्ज की गईं। इनमें से 28 निपटाई गईं और49 यानी 64 प्रतिशत अभी तक लंबित हैं। गुरुग्राम नगर निगम ने सबसे अधिक 28 शिकायतों का निपटारा किया है, लेकिन बाकी विभागों का प्रदर्शन बहुत खराब रहा। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण, फरीदाबाद नगर निगम, शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, इन सभी के आंकड़े शून्य के बराबर हैं।

सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित, राज्यों पर बढ़ी जिम्मेदारी

सीपीसीबी ने पत्र में साफ शब्दों में कहा है कि प्रदूषण से जुड़ी शिकायतों को प्राथमिकता दें। प्रत्येक शिकायत पर तुरंत सुधारात्मक कदम उठाते हुए रिपोर्ट दर्ज करें, तभी शिकायतों को बंद माना जाएगा। हवा की गति धीमी होने और प्रदूषण बढ़ने की वजह से दिल्ली-एनसीआर पहले ही ‘गंभीर’ श्रेणी में पहुंच चुका है। इसलिए देरी बेहद नुकसानदेह साबित होगी। सुप्रीम कोर्ट भी मामले पर कड़ी नज़र रखे हुए है। सीपीसीबी ने चेतावनी देते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर सुनवाई हो रही है, ऐसे में शिकायतों की अनदेखी स्वीकार नहीं की जाएगी। यह स्पष्ट संकेत है कि राज्य सरकार पर अब प्रत्यक्ष जवाबदेही बढ़ गई है।

गुरुग्राम और फरीदाबाद सबसे कमजोर कड़ी

रिपोर्ट का सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि हरियाणा के दो बड़े औद्योगिक और अत्यधिक प्रदूषित शहर, गुरुग्राम और फरीदाबाद, शिकायतों के निपटारे में सबसे पीछे हैं। गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण में शिकायतों का शून्य निपटारा हुआ। वहीं हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के गुरुग्राम व फरीदाबाद कार्यालयों में भी शिकायतों की अनदेखी की गई। फरीदाबाद नगर निगम ने अनदेखी की वहीं गुरुग्राम नगर निगम अकेली एजेंसी है, जिसने सक्रियता दिखाई। इन दोनों जिलों में धूल, औद्योगिक धुआं, कचरा-जलाने और ट्रैफिक प्रदूषण की समस्या सबसे गंभीर मानी जाती है। लेकिन शिकायतों पर कार्रवाई का स्तर बेहद निराशाजनक है।

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