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Ambala Jailbreak अम्बाला सेंट्रल जेल से दो माह में दूसरी फरारी, हरियाणा मानवाधिकार आयोग सख्त, कहा ‘अब जवाबदेही तय करनी होगी’

Ambala Jailbreak हरियाणा में जेल सुरक्षा पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। अम्बाला सेंट्रल जेल से एक और विचाराधीन कैदी के फरार होने की घटना ने राज्य की कारागार व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया...
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Ambala Jailbreak हरियाणा में जेल सुरक्षा पर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। अम्बाला सेंट्रल जेल से एक और विचाराधीन कैदी के फरार होने की घटना ने राज्य की कारागार व्यवस्था की खामियों को उजागर कर दिया है। यह केवल सुरक्षा चूक नहीं, बल्कि प्रशासनिक सतर्कता, जवाबदेही और निगरानी प्रणाली पर भी सीधा प्रश्न है। हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस घटना को ‘गंभीर प्रणालीगत विफलता’ बताया है और महानिदेशक (डीजी) कारागार, हरियाणा से 20 नवम्बर तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।

कैसे हुई फरारी

घटना 28 सितंबर 2025 की दोपहर की है। बिहार निवासी अजय कुमार, जो पंचकूला में दर्ज पॉक्सो मामले में विचाराधीन था, अम्बाला सेंट्रल जेल से फरार होने में सफल रहा। जानकारी के अनुसार, जेल परिसर में अचानक बिजली गुल होने के बाद उसने जेल कारखाने के पीछे लगे 18 फुट ऊंचे बिजली के खंभे पर चढ़कर ऊपर से गुजर रही तारों की मदद से परिधि दीवार पार की।

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सीसीटीवी फुटेज में सामने आया कि वह बिजली खंभे के सहारे दीवार लांघकर बाहर निकल गया, जबकि किसी सुरक्षाकर्मी ने उस दौरान अलार्म तक नहीं बजाया। यह घटना तकनीकी और मानवीय दोनों स्तरों पर गंभीर लापरवाही का उदाहरण बन गई है।

सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल

अगस्त 2025 में भी इसी जेल से उत्तर प्रदेश निवासी कैदी सुखबीर फरार हुआ था, और अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिला। दो महीनों में यह दूसरी घटना है, जिससे स्पष्ट है कि जेल प्रशासन ने पिछली चूक से कोई सबक नहीं लिया।

दोनों कैदियों का अब तक फरार रहना यह दर्शाता है कि सुरक्षा व्यवस्था कागजों पर मजबूत है, लेकिन जमीनी स्तर पर कमजोर।

यह केवल लापरवाही नहीं, मानवाधिकार का उल्लंघन है : आयोग

हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ललित बत्रा तथा सदस्य कुलदीप जैन और दीप भाटिया ने इस घटना को जेल सुरक्षा प्रोटोकॉल की गंभीर विफलता बताया। आयोग ने कहा कि बार-बार हो रही ऐसी घटनाएं न केवल जेल नियमावली का उल्लंघन हैं, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का भी हनन करती हैं।

आयोग के अनुसार, ‘कैदियों की सुरक्षित अभिरक्षा सुनिश्चित न कर पाना केवल प्रशासनिक लापरवाही नहीं, बल्कि यह जन सुरक्षा के लिए खतरा है। ऐसी घटनाएं कानून के शासन और जनता के विश्वास दोनों को कमजोर करती हैं।’

आयोग ने सवाल उठाया कि जब जेल परिसर के हर कोने में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं, तब भी कैदी के भागने की जानकारी वास्तविक समय में क्यों नहीं मिली। इसे आयोग ने ‘जवाबदेही की गहरी कमी’ बताते हुए कहा कि यह केवल व्यक्तिगत चूक नहीं, बल्कि पूरी प्रणाली की विफलता है।

आयोग ने यह भी कहा कि बिजली आपूर्ति, परिधि सुरक्षा, कैदियों की नियमित गिनती और तकनीकी मॉनिटरिंग जैसी बुनियादी प्रक्रियाओं की अनदेखी यह दर्शाती है कि प्रशासनिक अनुशासन लगभग निष्प्रभावी हो चुका है।

दो कर्मचारी निलंबित, जांच जारी : जेल प्रशासन की सफाई

अम्बाला सेंट्रल जेल के अधीक्षक सतविंदर गोदारा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि अजय कुमार जेल कारखाने में कार्यरत था और दोपहर की गिनती के दौरान अनुपस्थित पाया गया। बाद में सीसीटीवी फुटेज से स्पष्ट हुआ कि वह बिजली खंभे का उपयोग कर भाग निकला।

घटना के बाद दो जेल कर्मचारियों को निलंबित किया गया है और अन्य अधिकारियों के विरुद्ध कर्तव्य में लापरवाही के लिए चार्जशीट की सिफारिश की गई है। इस बीच, सीआईए और बलदेव नगर पुलिस की टीमें फरार कैदी की तलाश में जुटी हैं, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिली है।

अब सुधार दिखना चाहिए, सिर्फ रिपोर्ट नहीं : आयोग

आयोग ने महानिदेशक कारागार, हरियाणा को सख्त निर्देश दिए हैं कि हालिया जेलब्रेक की स्वतंत्र और गहन जांच कराई जाए। सुरक्षा ढांचे की संरचनात्मक समीक्षा कर खामियां उजागर की जाएं, लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, सभी जेलों में सीसीटीवी की लाइव मॉनिटरिंग प्रणाली लागू की जाए और जेल नियमावली व मानवाधिकार मानकों के नियमित ऑडिट की व्यवस्था की जाए।

आयोग ने आदेश दिया है कि 20 नवम्बर 2025 तक विस्तृत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। जस्टिस ललित बत्रा ने कहा, ‘जेल सुरक्षा में असफलता केवल प्रबंधन की गलती नहीं है, यह कानून, मानवाधिकार और समाज के विश्वास  तीनों का उल्लंघन है।’

लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं होगी : डॉ. पुनीत अरोड़ा

आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने कहा कि आयोग ने उपलब्ध तथ्यों को देखते हुए स्वतः संज्ञान लिया है। उन्होंने कहा, ‘यह केवल एक जेल की घटना नहीं, बल्कि पूरे राज्य की कारागार प्रणाली की साख का प्रश्न है। ऐसी घटनाएं आमजन के विश्वास को आहत करती हैं। आयोग चाहता है कि अब केवल रिपोर्ट नहीं, बल्कि सुधार के ठोस परिणाम दिखें।’

 

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