RTE उल्लंघन पर हरियाणा के निजी स्कूलों पर कार्रवाई, क्या है विवाद और किसे लगेगा जुर्माना?
Haryana Education Department: हरियाणा में 2,800 से अधिक मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों ने प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के उन निर्देशों का पालन नहीं किया जो शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत लागू किए जाने थे। अब विभाग इन स्कूलों पर...
Haryana Education Department: हरियाणा में 2,800 से अधिक मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों ने प्राथमिक शिक्षा निदेशालय के उन निर्देशों का पालन नहीं किया जो शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम के तहत लागू किए जाने थे। अब विभाग इन स्कूलों पर 5,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाने की तैयारी में है। निदेशालय ने शिक्षा अधिकारियों को ऐसे स्कूलों की सूची सिफारिशों सहित भेजने के निर्देश दिए हैं ताकि आगे की कार्रवाई की जा सके।
RTE अधिनियम शिक्षा विभाग के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
RTE अधिनियम के तहत राज्य के मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) और वंचित वर्गों के बच्चों को प्रवेश का अधिकार दिया गया है। इस कानून के अनुसार, कक्षा एक या प्रवेश स्तर की कक्षाओं में 25 प्रतिशत सीटें इन वर्गों के बच्चों के लिए आरक्षित होती हैं।
स्कूलों और शिक्षा विभाग के बीच विवाद की वजह क्या है?
नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत अप्रैल में हो गई थी, लेकिन RTE अधिनियम के तहत प्रवेश चाहने वाले बच्चों को जुलाई तक इंतजार करना पड़ा। इसमें देरी का कारण विभाग की ओर से सीटों से संबंधित डेटा जुटाने में विलंब और स्कूलों द्वारा सीटें घोषित करने में सुस्ती रहा। बार-बार आपत्तियां आने और प्रवेश तिथियों की समयसीमा बढ़ाने के कारण स्थिति और जटिल हो गई। इस साल 10,744 निजी स्कूलों को RTE के तहत सीटें घोषित करने को कहा गया था, लेकिन बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कई स्कूलों ने ऐसा नहीं किया।
DEEOs (जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी) को क्या निर्देश दिए गए?
निदेशालय ने पत्र जारी कर DEEOs को निर्देश दिया है कि वे उन 1,680 मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों की जानकारी भेजें जिन्होंने सीटें घोषित नहीं कीं। इसके अलावा 1,128 स्कूलों की जानकारी मांगी गई है जिन्हें मान्यता या अन्य कारणों से सीट आवंटन में अस्वीकार किया गया था। अधिकारियों को 23 अक्टूबर तक अपनी रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। साथ ही, निदेशालय ने मान्यता प्राप्त और बिना मान्यता वाले बंद पड़े स्कूलों की जानकारी MIS कोड सहित भेजने के निर्देश भी दिए हैं।
स्कूलों पर कितना जुर्माना लगाया जाएगा?
जिन स्कूलों ने सीटें घोषित नहीं कीं:
1,000 रुपये तक शुल्क वाले स्कूल: 30,000 रुपये जुर्माना
3,000 रुपये तक शुल्क वाले स्कूल: 70,000 रुपये जुर्माना
6,000 रुपये तक शुल्क वाले स्कूल: 1 लाख रुपये जुर्माना
6,000 रुपये से अधिक शुल्क वाले स्कूलों को महानिदेशक द्वारा व्यक्तिगत सुनवाई दी जाएगी।
जिन स्कूलों को अस्वीकृत किया गया
1,000 रुपये तक शुल्क वाले स्कूल: 5,000 रुपये जुर्माना
2,000 रुपये तक शुल्क वाले स्कूल: 10,000 रुपयेजुर्माना
3,000 रुपये तक शुल्क वाले स्कूल: 15,000 रुपये जुर्माना
5,000 रुपये तक शुल्क वाले स्कूलों को महानिदेशक द्वारा व्यक्तिगत सुनवाई दी जाएगी।
निजी स्कूल संघों की क्या प्रतिक्रिया है?
नेशनल इंडिपेंडेंट स्कूल्स एलायंस (NISA) ने उन स्कूलों के लिए राहत की मांग की है जो विभागीय पोर्टल की तकनीकी समस्याओं या गलतफहमी के कारण डेटा अपलोड नहीं कर पाए। संघ ने कहा कि उन्हें उन स्कूलों पर कार्रवाई से कोई आपत्ति नहीं है जिन्होंने बार-बार चेतावनी के बावजूद सीटें घोषित नहीं कीं। हालांकि, संघ ने यह भी कहा कि विभागीय अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने में देरी की और पिछले वर्षों के बकाये भी समय पर जारी नहीं किए।