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नशे की सुनामी

समुद्री रास्ते से नशीले पदार्थों की तस्करी
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हाल ही में एक पाकिस्तानी नौका से छह सौ करोड़ मूल्य की 86 किलोग्राम हेरोइन की बरामदगी भारत में नशे के बढ़ते कारोबार में विदेशी साजिश का खुलासा करती है। वैसे यह अकेली घटना नहीं है, हाल ही के वर्षों में अरबों रुपये के नशीले पदार्थों की बरामदगी हुई है। दरअसल, कई देशों के सत्ता प्रतिष्ठानों की मिलीभगत से नार्को-आतंकवाद के एक बड़े पैटर्न को अंजाम दिया जा रहा है। निश्चित तौर पर यह साजिश हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती है। पुराने अनुभव बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर व पंजाब में नशे के कारोबार से अर्जित धन को आतंकवाद के पोषण में लगाया गया। आतंकवादियों को हथियार व पैसा उपलब्ध कराया गया। पिछली मई में भी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो यानी एनसीबी और नौसेना के साझे मिशन के जरिये केरल तट पर ढाई हजार किलोग्राम नशीला पदार्थ बरामद किया गया। जिसकी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत पंद्रह हजार करोड़ रुपये बतायी गई थी। यह देश में बरामद अब तक की सबसे बड़ी नशे की खेप थी। गत माह गुजरात के तट पर साठ पैकेट ड्रग्स ले जा रही एक नौका को जब जब्त किया गया तो छह पाकिस्तानी चालक दल के सदस्यों को गिरफ्तार किया गया। इसी तरह फरवरी में पोरबंदर तट पर पांच विदेशी नागरिकों को चरस व 3300 किलोग्राम नशीले पदार्थों के साथ पकड़ा गया था। दरअसल, इस नशे के कारोबार की शुरुआत अक्सर अफगानिस्तान से होती है, जहां अफीम व हेरोइन का बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है। नशे का यह कारोबार अब अफगान सरकार की आय का बड़ा स्रोत भी है। बहरहाल, हालिया घटनाक्रम समुद्र के जरिये मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिये गंभीर उपायों की जरूरत बताता है। जिसके लिये मजबूत कानून, प्रवर्तन एजेंसियों की भागीदारी, कुशल खुफिया-साझाकरण तंत्र, नौसेना व तटरक्षक बलों में तालमेल तथा आतंकरोधी दस्ते के जरिये निगरानी तंत्र को मजबूत बनाने की जरूरत है।

यह भी विचारणीय प्रश्न है कि ये नशीले पदार्थ किस तरह व कहां भारत में बेचे जा रहे हैं। नशीले पदार्थों के मांग पक्ष को भी संबोधित करने की जरूरत है। नशीली दवाओं की रोकथाम के साथ ही पुनर्वास कार्यक्रमों में निवेश किया जाना चाहिए। साथ ही नशे के खिलाफ युवाओं के बीच जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है। उन उपायों को लागू करना होगा जो युवाओं को नशे से दूर रखने में मददगार हो सकें। जब भी नशे की कोई बड़ी खेप बरामद होती है तो हमारी चिंता बढ़ जाती है। सोमवार को पंजाब में नशे की एक बड़ी खेप के साथ ड्रग मनी व अन्य अवैध सामान बरामद किए गए। इस काले धंधे में अभियुक्त व्यक्ति ही नहीं, उसकी बेटी व दामाद भी लिप्त थे। यह नशे का सामान पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुंच रहा था। सवाल उठता है कि यदि इतने बड़े पैमाने पर नशीले पदार्थों की बरामदगी न होती तो कितने युवा नशीले पदार्थों का सेवन करके पथभ्रष्ट होते? देश का कितना धन विदेशों को चला जाता? इस नशे से मिलने वाला धन कालांतर में आतंकवाद व अपराध की दुनिया को मजबूत करता। हाल ही के दिनों में नशीले पदार्थों की भारी मात्रा में बरामदगी इस बात की ओर इशारा करती कि देश में नशीले पदार्थों की खपत लगातार बढ़ रही है। जो निश्चित रूप से देश की युवा शक्ति को पतन के मार्ग की ओर ले जा रही है। देखा गया है कि नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले युवा कालांतर महंगा नशा जुटाने के लिये अपराध की दुनिया में उतर जाते हैं। यह दुर्भाग्यपूर्ण ही है कि पंजाब व देश के अन्य भागों में हर साल हजारों युवा नशे की ओवरडोज से मौत की गिरफ्त में आ जाते हैं। ऐसे में देश के भविष्य को बचाने के लिये हमें राष्ट्रीय स्तर पर अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करने होंगे। पिछले वर्ष पंजाब में ड्रोन के जरिये नशीले पदार्थ भारत लाये जाने के तमाम मामले प्रकाश में आए। कई ड्रोन मार गिराये गए और भारी मात्रा में नशीले पदार्थ व हथियार भी बरामद किये गए। इन हालात में सुरक्षातंत्र को मजबूत करने, नशा मुक्ति अभियान चलाने व नशेड़ियों के पुनर्वास के लिये गंभीर प्रयास करने की जरूरत है।

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