साम्राज्यवादी चीन अपनी नाक बचाने के लिये किस सीमा तक जा सकता है, इसका खुलासा उस अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट से हुआ, जिसमें कहा गया है कि गलवान में भारतीय वीर जवानों से हुए संघर्ष में उसके नौ गुना अधिक सैनिक मारे गये थे। महाशक्ति होने का दम भरने वाला चीन इस हद तक चला गया कि अपने जवानों की मौत को नकारने लगा है। बहरहाल, हताहतों की संख्या का खुलासा होने की खबरों ने चीन की फजीहत तो करा ही दी है। दरअसल, आस्ट्रेलिया के सोशल मीडिया शोधकर्ताओं के एक समूह ने एक साल की लंबी जांच के बाद निष्कर्ष निकाला कि जून, 2020 में भारत के साथ गलवान घाटी सीमा पर हुए आमने-सामने के संघर्ष में चीनी सैनिकों की हताहतों की संख्या आधिकारिक आंकड़ों की तुलना में बहुत अधिक थी जिस पर बीजिंग ने पर्दा डालने की नाकाम कोशिश की। घटना के बाद रूसी सूत्रों ने 45 चीनी सैनिकों के मारे जाने की बात कही थी, जिसके आठ महीने बाद चीनी सरकार ने हताहतों की संख्या चार बतायी थी। एक आस्ट्रेलियाई अखबार ने दावा किया है कि इस संघर्ष में कम से कम 38 सैनिक रक्त जमाती नदी में अंधेरे के आगोश में समा गये थे। इसके विपरीत भारत ने अपने वीर सैनिकों के बलिदान का सम्मान करते हुए उजागर किया था कि इस घातक आमने-सामने की लड़ाई में उसके बीस सैनिक शहीद हुए। रिपोर्ट बताती है कि चीन के अधिकारियों ने सोशल मीडिया में नागरिकों की जानकारी व मीडिया रिपोर्टों पर पर्दा डाल दिया था ताकि दुनिया को गलवान घाटी का सच पता न चल सके। दुनिया के सामने जो तथ्य रखे गये वह चीनी सत्ताधीशों की मनगढ़ंत कहानियां मात्र थीं। लेकिन हालिया रिपोर्टों ने तथ्यों को छिपाने की चीनी सरकार की नाकाम कोशिश को दुनिया के सामने उजागर कर दिया। दुनिया ने जाना कि साम्यवादी चीन में सच्चाई को कैसे लौह आवरण के जरिये जनता के सामने आने से रोका जाता है।
वहीं दूसरी ओर गलवान को लेकर चीनी मंसूबे वहां आयोजित हो रहे शीतकालीन ओलंपिक में उजागर हो गये हैं। उसने इन खेलों का राजनीतीकरण करते हुए जो कदम उठाया है, उसकी भारत में तीखी प्रतिक्रिया हुई है। दरअसल, चीन ने शीतकालीन ओलंपिक की मशाल का वाहक सेना के एक रेजिमेंटल कमांडर को बनाया है। यह सैन्य अधिकारी गलवान संघर्ष में शामिल था और टकराव में घायल हुआ था। भारत ने खेलों को राजनीति से जोड़ने के प्रयासों की कड़ी निंदा की है। भारत ने निर्णय किया है कि भारतीय अधिकारी शीतकालीन ओलंपिक समारोह के उद्घाटन और समापन समारोह में भाग नहीं लेंगे। भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन के उस उकसाने वाले कदम की भी निंदा की है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के एक भारतीय किशोर के अपहरण के बाद उसे यातानाएं दी गई। इतना ही नहीं, अमेरिकी सीनेट की विदेश संबंध समिति के एक सीनेटर ने भी शीतकालीन ओलंपिक के राजनीतीकरण के चीनी प्रयासों की तीखी आलोचना की है। साथ ही कहा कि ओलंपिक मशाल ले जाने वाला अधिकारी उस सैन्य कमान का हिस्सा था, जिसने भारत पर हमला किया था। साथ ही चीन के अल्पसंख्यक मुस्लिमों के दमन में भी शामिल था। बहरहाल, ताजा खुलासे से स्पष्ट हो गया है कि गलवान संघर्ष चीन के शक्ति प्रदर्शन और विस्तारवादी नीतियों का सुनियोजित एजेंडा था। इसके बावजूद कोई देश अपने शहीदों के बलिदान को नकारने जैसा कृत्य करे तो यह उसकी निरंकुशता का ही परिचायक है। इन्हीं हालात में भारतीय सीमा पर पैदा की जा रही चुनौतियों को देखते हुए आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे को कहना पड़ा कि हम भविष्य में होने वाली जंग का ट्रेलर देख रहे हैं। एक ऑनलाइन सेमिनार में भाग लेते हुए उन्होंने देश का ध्यान राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये चीन व पाकिस्तान से पैदा होने वाली चुनौतियों की ओर खींचा। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत भविष्य में होने वाले संघर्ष की झलकियां देखते हुए अपने रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की लगातार कोशिश कर रहा है। साथ ही उत्तरी सीमाओं पर आधुनिक तकनीक से लैस सक्षम बलों को तैनात करने की जरूरत बतायी।