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ट्रंप की वक्र दृष्टि

भारतीय प्रतिभाओं की राह में रोड़े
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अपने बेतुके फैसलों व टैरिफ वार से तमाम अर्थव्यवस्थाओं को हिलाने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की वक्र दृष्टि अब अमेरिका के नामी-गिरामी विश्वविद्यालयों पर भी पड़ी है। दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र होने का दंभ भरने वाले अमेरिका में विश्वविद्यालय परिसरों में लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति का गला घोंटा जा रहा है। अब अमेरिका में उच्च शिक्षा का सपना देखने वाले भारत व दुनिया के तमाम देशों के छात्रों के लिये ट्रंप प्रशासन ने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। हाल के दिनों में प्रतिष्ठित हार्वर्ड विश्वविद्यालयों पर मनमाने फैसले थोपे व कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए, जो विश्वविद्यालयों के परिसरों में अभिव्यक्ति की आजादी पर नकेल कसने की ही कवायद थी। दलील दी गई कि फलस्तीन का समर्थन करने वाले छात्र-छात्राओं की सूचना ट्रंप प्रशासन को दी जाए। इन्हीं बंदिशों के बाद अब ट्रंप सरकार ने दुनियाभर के अपने दूतावासों को स्टूडेंट वीजा की प्रक्रिया बंद करने का आदेश दिया है। ट्रंप सरकार की दलील है कि पहले आवेदक छात्रों के सोशल मीडिया अकाउंट की गहरी जांच की जाएगी। इस योजना पर काम चल रहा है। दरअसल, अमेरिकी सरकार द्वारा स्टूडेंट वीजा के लिये आवेदन करने वाले छात्रों की सोशल मीडिया गतिविधियों की गहन जांच तेज की जाएगी। इस फैसले से भारत समेत तमाम देशों के छात्रों की अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ाई के सपने को आंच आ सकती है। अमेरिका सरकार इसके माध्यम से उन छात्रों के आवेदन को खारिज करने की तैयारी में है जिनके सोशल मीडिया अकाउंट में ट्रंप या अमेरिका की नीतियों की आलोचना की सामग्री होगी। जाहिर है ऐसे छात्रों को अमेरिका के विश्वविद्यालयों में दाखिला नहीं दिया जाएगा। एक अनुमान के मुताबिक साल 2023-24 में करीब तीन लाख से अधिक भारतीय छात्र अध्ययनरत थे। अपने सपनों को पूरा करने के लिये हजारों भारतीय प्रतिभाएं हर साल अमेरिका का रुख करती हैं। अमेरिका के इस फैसले से उन छात्रों को दिक्कत होगी जो इस साल अगस्त से शुरू होने वाले सत्र का हिस्सा बनना चाह रहे थे।

दरअसल, अमेरिका सरकार द्वारा अपने दूतावासों को कहा गया है कि वीजा के लिये पेश किए गए नये आवेदनों को रोक दें। उन पर सोशल मीडिया खातों की जांच के बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा। यहां उल्लेखनीय है कि ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पहले से पढ़ रहे सैकड़ों छात्रों के वीजा इस आरोप के बाद निरस्त कर दिए कि उन्होंने इस्राइल विरोधी आंदोलन में शिरकत की थी। इनमें वे छात्र भी शामिल थे जिन्होंने अपने सोशल मीडिया अकांउट पर फलस्तीनियों के पक्ष में पोस्ट डाली थी। सरकार की दलील थी कि इन छात्रों को पढ़ाई के लिये वीजा मिला था न कि राजनीतिक मुद्दों में सक्रियता के लिये। उल्लेखनीय है कि कई भारतीय छात्र भी इस फैसले की चपेट में आए हैं। इसके चलते ही अमेरिकी दूतावासों को वीजा आवेदन करने वालों के सोशल अकाउंट की स्क्रीनिंग के आदेश दिए गए हैं। जांच के बाद छात्रों की गतिविधियों में अमेरिकी नीतियों का विरोध न होने पर वीजा दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि इस स्क्रीनिंग में इंस्टाग्राम, फेसबुक, एक्स, लिंक्डइन, टिकटॉक आदि सोशल मीडिया अकाउंट को शामिल किया गया है। इतना ही नहीं, वीजा पर सख्ती के अलावा पहले से अमेरिका में पढ़ रहे छात्रों के लिये नियम सख्त किए जा रहे हैं। यहां तक चेतावनी दी गई है कि नियमित कक्षाओं में न जाने वाले तथा ड्राप आउट का विकल्प चुनने वाले छात्रों के वीजा भी रद्द किए जा सकते हैं। उन्हें अपने सोशल मीडिया अकाउंट में अमेरिकी नीतियों की आलोचना करने से बचने की नसीहत दी गई है। दलील दी जा रही है कि राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरे में डालने वाले पोस्ट सोशल मीडिया पर डालने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि, ट्रंप की विश्वविद्यालयों के आजादी में दखल के खिलाफ प्रतिरोध के सुर भी अमेरिका में उभर रहे हैं। कई अदालतों ने विश्वविद्यालयों के पक्ष में स्थगन आदेश दिए हैं। अपने फैसलों की किरकिरी होते देख ही ट्रंप प्रशासन ने आने वाले छात्रों के लिये सख्त नियम लागू किए हैं। साथ ही कई विश्वविद्यालयों की आर्थिक मदद भी रोकी है। बहरहाल, विवाद का कोई समाधान फिलहाल नजर नहीं आता।

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