मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

नवरात्र की शक्ति

आस्था की ऊर्जा से साधें संकल्प
Advertisement

रविवार को हमने अमावस्या पर पितृ-विसर्जन के जरिये हमारे जीवन को समृद्ध करने वाले पुरखों को पुण्य स्मरण कर विदा किया। सोमवार का सूरज नवरात्र की बहुआयामी शक्ति से पूरे देश में आस्था का उल्लास और उमंग भर रहा है। नवरात्र के साथ ही देश में पर्व-त्योहारों की ऐसी शृंखला शुरू हो जाती है, जो जनमानस के तन-मन को ही नहीं, देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई दे जाती है। ऐसे वक्त में जब देश अमेरिका के ट्रैरिफ आतंक से जूझ रहा है, स्वदेशी का मंत्र हमारी आर्थिक व राष्ट्रीय संप्रभुता का संरक्षक बन सकता है। निस्संदेह, दूसरे देशों पर हमारी आर्थिक निर्भरता हमारी अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी दुश्मन है। ये विदेशी का मोह, कहीं न कहीं राष्ट्रीय सरोकारों से हमारे विमुख होने का पर्याय भी है। देश में आर्थिक संपन्नता आई तो साथ ही विदेशी वस्तुओं को सम्मोहन भी बढ़ा है। हम स्वदेशी के उस मंत्र को भूल गए, जिसने परतंत्र भारत को आजाद कराने व ब्रिटिश सत्ता की चूलें हिलाने में बड़ी भूमिका निभाई थी। नवरात्र का पर्व व्रत और शक्ति की आराधना का पर्व है। ऐसी शक्ति जिससे राष्ट्र, समाज व व्यक्ति का कल्याण हो सके। ऐसे वक्त में जब लगातार भारत विरोधी कदम उठा रही ट्रंप सरकार ने भारतीय प्रतिभाओं पर अंकुश लगाने के लिये एच-1 बी वीजा को अस्त्र बनाया है, हमें अपनी प्रतिभाओं को देश में सहेजने का प्रयास करना चाहिए। देश के नीति-नियंताओं को मंथन करना होगा कि अमेरिका के लिये महकने वाली प्रतिभाएं देश को क्यों नहीं महका सकती?

यह अच्छी बात है कि नवरात्र पर्व की शुरुआत जीएसटी सुधारों के साथ हो रही है। अब तक दैनिक उपभोग की वस्तुओं व दवाओं आदि पर अतार्किक शुल्क लगाया गया था। जिसे बहुत पहले ही सुधार लिया जाना चाहिए था। देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर कहा जा सकता है कि अब लोगों की बचत बढ़ेगी। बचत बढ़ने से लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी और बाजार को गति मिलेगी। कुल मिलाकर स्वदेशी अर्थव्यवस्था गतिमान होगी, भारतीय-उद्योग धंधों को संबल मिलेगा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। निस्संदेह, जीएसटी दरों में कमी और पर्व-त्योहारों के इस मौसम में देश के असंगठित क्षेत्र को शक्ति मिलेगी, जो रोजगार का सबसे बड़ा स्रोत भी है। नवरात्र के व्रत का पहला संकल्प हमारी आस्था और सेहत से है। देश आज मोटापे और उससे उत्पन्न गैर संक्रामक रोग मधुमेह, उच्च रक्तचाप तथा हृदयाघात से जूझ रहा है। इस नवरात्र के दौरान हम अपने खानपान को संयमित करके आस्था के संबल के साथ अपनी सेहत में सुधार कर सकते हैं। हमारे पर्व-त्योहार गहरे तक हमारे व्यावहारिक जीवन से जुड़े हैं। उनके गहरे निहितार्थों को समझने की जरूरत है। ये पर्व व त्योहार महज कर्मकांड ही नहीं है, इसके व्यक्ति, समाज और अर्थव्यवस्था के लिये गहरे संदेश हैं। इस तरह नवरात्र बेटियों को शक्तिशाली बनाने, लैंगिक भेदभाव खत्म करने और समाज में तनाव-अवसाद दूर करके व्यक्ति और समाज को स्वस्थ बनाने का पर्व है। हमें पर्व के मर्म को समझना है।

Advertisement

Advertisement
Show comments